ETV Bharat / state

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका, कहा-अंग्रेजी में जाति- प्रमाणपत्र देने में कोई रोक नहीं - इलाहाबाद की न्यूज

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रदेश में अंग्रेजी में जाति प्रमाणपत्र जारी करने को लेकर 10 मई 2019 व 21 मई 2019 के शासनादेश को सही करार दिया है और चुनौती याचिका खारिज कर दी है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका.
author img

By

Published : Oct 4, 2021, 10:14 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में अंग्रेजी में जाति प्रमाणपत्र जारी करने को लेकर 10 और 21 मई 2019 के शासनादेश को सही करार दिया है और चुनौती याचिका खारिज कर दी है.

हाईकोर्ट ने कहा कि अंग्रेजी में जाति प्रमाणपत्र जारी करने को लेकर संविधान में कोई रोक नहीं है, बल्कि हिंदी के अलावा अंग्रेजी में भी प्रमाणपत्र जारी किया जा सकता है. कोर्ट ने जनहित याचिका को सस्ती लोकप्रियता के लिए दाखिल मानते हुए तीन हजार रुपये हर्जाना भी लगाया है.

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी व जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने जितेन्द्र कुमार की याचिका पर दिया है. सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानन्द पाण्डेय ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि संविधान में प्रेसिडेन्शियल आर्डर में अनुच्छेद 341 के तहत एससी जातियों की सूची हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में है। ऐसे में हिंदी में ही जाति प्रमाणपत्र जारी हो, ऐसा नहीं किया जा सकता है, जबकि देश के अन्य राज्यों में अंग्रेजी में भी जाति प्रमाणपत्र जारी किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार ने अंग्रेजी में जाति प्रमाणपत्र जारी करने का फार्मेट लागू किया है, ऐसे में अंग्रेजी में प्रमाणपत्र जारी करने में कोई गलती नहीं है.


यह भी पढ़ेंः लखीमपुर खीरी मामला: मृतकों के परिजनों को सरकारी नौकरी व 45 लाख रुपए की आर्थिक मदद देगी योगी सरकार

याची का कहना था कि यूपी में एससी जातियों में धंगड को एससी का प्रमाणपत्र हिंदी में जारी होता है क्योंकि प्रेसिडेन्शियल आर्डर में धंगड लिखा है जबकि अंग्रेजी में dhangar लिखा है. उसका कहना था कि अंग्रेजी का dhangar एससी नहीं है बल्कि ओबीसी है. ऐसे में अंग्रेजी में जाति प्रमाणपत्र जारी करने से गलत लोगों को सर्टिफिकेट मिलने लगेगा. कोर्ट ने कहा कि याची ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दे सका जिससे अंग्रेजी में जाति प्रमाणपत्र जारी करने से गलत लोगों को लाभ मिला हो.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में अंग्रेजी में जाति प्रमाणपत्र जारी करने को लेकर 10 और 21 मई 2019 के शासनादेश को सही करार दिया है और चुनौती याचिका खारिज कर दी है.

हाईकोर्ट ने कहा कि अंग्रेजी में जाति प्रमाणपत्र जारी करने को लेकर संविधान में कोई रोक नहीं है, बल्कि हिंदी के अलावा अंग्रेजी में भी प्रमाणपत्र जारी किया जा सकता है. कोर्ट ने जनहित याचिका को सस्ती लोकप्रियता के लिए दाखिल मानते हुए तीन हजार रुपये हर्जाना भी लगाया है.

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी व जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने जितेन्द्र कुमार की याचिका पर दिया है. सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानन्द पाण्डेय ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि संविधान में प्रेसिडेन्शियल आर्डर में अनुच्छेद 341 के तहत एससी जातियों की सूची हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में है। ऐसे में हिंदी में ही जाति प्रमाणपत्र जारी हो, ऐसा नहीं किया जा सकता है, जबकि देश के अन्य राज्यों में अंग्रेजी में भी जाति प्रमाणपत्र जारी किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार ने अंग्रेजी में जाति प्रमाणपत्र जारी करने का फार्मेट लागू किया है, ऐसे में अंग्रेजी में प्रमाणपत्र जारी करने में कोई गलती नहीं है.


यह भी पढ़ेंः लखीमपुर खीरी मामला: मृतकों के परिजनों को सरकारी नौकरी व 45 लाख रुपए की आर्थिक मदद देगी योगी सरकार

याची का कहना था कि यूपी में एससी जातियों में धंगड को एससी का प्रमाणपत्र हिंदी में जारी होता है क्योंकि प्रेसिडेन्शियल आर्डर में धंगड लिखा है जबकि अंग्रेजी में dhangar लिखा है. उसका कहना था कि अंग्रेजी का dhangar एससी नहीं है बल्कि ओबीसी है. ऐसे में अंग्रेजी में जाति प्रमाणपत्र जारी करने से गलत लोगों को सर्टिफिकेट मिलने लगेगा. कोर्ट ने कहा कि याची ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दे सका जिससे अंग्रेजी में जाति प्रमाणपत्र जारी करने से गलत लोगों को लाभ मिला हो.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.