प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि बहुमंजिला आवासीय इमारतों की सोसाइटी का कानून मौजूदा आर्थिक वास्तविकता और भविष्य में आने वाली सामाजिक चुनौतियों के मद्देनजर बनाया गया है. कोर्ट ने कहा कि अपार्टमेंट एक्ट में चुनाव अधिकार सामाजिक जीवन में व्यापक सहभागिता की दृष्टि से तैयार किए गए हैं मगर यह भी सुनिश्चित किया गया है कि दैनिक जीवन में राजनीति हावी ना होने पाए. कोर्ट ने कहा कि विधायन अपार्टमेंट के जीवन और जटिलताओं को लेकर सचेत है. हाईकोर्ट ने मेरठ के विंडसोर पार्क रेसिडेंस वेलफेयर सोसाइटी के चुनाव को लेकर उठे विवाद के मामले में फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की. सोसाइटी की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति अजय भनोट ने सोसायटी द्वारा कराए जा रहे चुनाव को अवैध करार दिया तथा नए सिरे से चुनाव कराने का रजिस्ट्रार सोसाइटीज को निर्देश दिया है.
मामले के अनुसार विंडसोर सोसाइटी का पहला चुनाव वर्ष 2020 में कराया गया. सोसायटी के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट में 10 सदस्य थे जो सामान्य सदस्यों द्वारा सीधे निर्वाचित किए गए थे. इनमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव व कोषाध्यक्ष के अलावा 6 सदस्य शामिल हैं. नियमानुसार प्रत्येक वर्ष चुनाव कराया जाना चाहिए मगर वर्ष 2021 में सिर्फ 3 पदों के लिए चुनाव हुआ. यह तीनों उन सदस्यों के पद पर चुनाव था जो 1 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर रिटायर हो गए. यही प्रक्रिया 2022 में भी अपनाई गई. इस पर रजिस्ट्रार सोसाइटीज ने मामले को प्राधिकृत प्राधिकारी उप जिलाधिकारी को संदर्भित कर दिया जिसे कोर्ट में चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने कहा कि अपार्टमेंट बाय लॉज के अनुसार एक तिहाई सदस्य हर साल रिटायर होंगे और वह उस वर्ष चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. इसी प्रकार पदाधिकारियों को भी 2 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद चुनाव लड़ने पर रोक है. मौजूदा मामले में वर्ष 2021 से अवैध तरीके से चुनाव कराया जा रहा है इससे कुछ सदस्य बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट पर लगातार कब्जा बनाए हुए हैं और बिना चुनाव लड़े मैनेजमेंट में बने हुए. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए रजिस्टार सोसायटी को सभी 10 पदों पर नए सिरे से चुनाव कराने का निर्देश दिया है.
ये भी पढ़ेंः माथे पर तिलक, हाथ में रुद्राक्ष की माला बांधकर छात्रा स्कूल गई तो निकाला बाहर
ये भी पढ़ेंः अखिलेश यादव बोले, महागठबंधन के पास पीएम पद के लिए हर तरह के चेहरे