ETV Bharat / state

लड़का-लड़की में कोई भी नाबालिग है तो लिव इन रिलेशनशिप को संरक्षण नहीं : High court - हाईकोर्ट की न्यूज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि केवल बालिग युगल ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं.

Etv bharat
Etv bharat
author img

By

Published : Aug 2, 2023, 9:53 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि केवल बालिग युगल ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं. यह अपराध नहीं माना जाएगा. युगल में से कोई भी नाबालिग हो तो लिव इन रिलेशनशिप मान्य नहीं है और ऐसे मामले में संरक्षण नहीं दिया जा सकता. ऐसे मामले में यदि संरक्षण दिया गया तो यह कानून और समाज के खिलाफ होगा.

कोर्ट ने कहा कि चाइल्ड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत नाबालिग का लिव इन में रहना अपराध है, चाहे पुरुष हो या स्त्री. बालिग महिला का नाबालिग पुरुष द्वारा अपहरण का आरोप अपराध है या नहीं, यह विवेचना से ही तय होगा. केवल लिव इन में रहने के कारण राहत नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि अनुच्छेद 226 के तहत हस्तक्षेप के लिए फिट केस नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिड़ला एवं न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने सलोनी यादव व अली अब्बास की याचिका पर दिया है.

याची का कहना था कि वह 19 साल की बालिग है और अपनी मर्जी से घर छोड़कर आई है तथा अली अब्बास के साथ लिव इन में रह रही है इसलिए अपहरण का केस रद्द किया जाए और याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए. कोर्ट ने एक याची के नाबालिग होने के कारण राहत देने से इनकार कर दिया और कहा कि अनुमति दी गई तो अवैध क्रियाकलापों को बढ़ावा मिलेगा. 18 वर्ष से कम आयु का याची चाइल्ड होगा, जिसे कानूनी संरक्षण प्राप्त है. कानून के खिलाफ संबंध बनाना पाक्सो एक्ट का अपराध होगा, जो समाज के हित में नहीं है.

सरकारी वकील का कहना था कि दोनों पुलिस विवेचना में सहयोग नहीं कर रहे हैं. सीआरपीसी की धारा 161 या 164 का बयान दर्ज नहीं कराया. पहली बार महिला ने हाईकोर्ट में पूरक हलफनामा दाखिल करने आई है. दोनों ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका भी की है याची के भाई पर दूसरे नाबालिग याची को बंधक बनाने का आरोप लगाते हुए पेशी की मांग की गई है. हलफनामा दाखिल कर कहा जा रहा कि दोनों लिव इन में हैं इसलिए संरक्षण दिया जाए.

एक याची के खिलाफ कौशाम्बी के पिपरी थाने में अपहरण के आरोप में एफआईआर दर्ज है. एफआईआर में प्रयागराज से अपहरण कर जलालपुर घोषी ले जाने का आरोप है. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मुस्लिम कानून में लिव इन की मान्यता नहीं है. इसे जिना माना गया है, बिना धर्म बदले संबंध बनाने को अवैध माना गया है. कोर्ट ने कहा कि कानून की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता तलाकशुदा को ही मांगने का हक है. लिव इन रिलेशनशिप शादी नहीं है इसलिए पीड़िता धारा 125 का लाभ नहीं पा सकती. बालिग महिला का नाबालिग से लिव इन में रहना अनैतिक व अवैध है. यह अपराध है. ऐसे लिव इन को कोई संरक्षण नहीं दिया जा सकता.

ये भी पढ़ेंः कानपुर में रॉकेट, हैंडग्रेनेड और बम बनाएगा अडाणी समूह, 41 प्रकार के रक्षा उत्पाद होंगे तैयार

ये भी पढ़ेंः उमेश पाल हत्याकांड में बड़ा खुलासा, अतीक अहमद के कार्यालय से मिली कोल्ट पिस्टल से ही चलाई गईं थीं गोलियां

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि केवल बालिग युगल ही लिव इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं. यह अपराध नहीं माना जाएगा. युगल में से कोई भी नाबालिग हो तो लिव इन रिलेशनशिप मान्य नहीं है और ऐसे मामले में संरक्षण नहीं दिया जा सकता. ऐसे मामले में यदि संरक्षण दिया गया तो यह कानून और समाज के खिलाफ होगा.

कोर्ट ने कहा कि चाइल्ड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत नाबालिग का लिव इन में रहना अपराध है, चाहे पुरुष हो या स्त्री. बालिग महिला का नाबालिग पुरुष द्वारा अपहरण का आरोप अपराध है या नहीं, यह विवेचना से ही तय होगा. केवल लिव इन में रहने के कारण राहत नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि अनुच्छेद 226 के तहत हस्तक्षेप के लिए फिट केस नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिड़ला एवं न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने सलोनी यादव व अली अब्बास की याचिका पर दिया है.

याची का कहना था कि वह 19 साल की बालिग है और अपनी मर्जी से घर छोड़कर आई है तथा अली अब्बास के साथ लिव इन में रह रही है इसलिए अपहरण का केस रद्द किया जाए और याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए. कोर्ट ने एक याची के नाबालिग होने के कारण राहत देने से इनकार कर दिया और कहा कि अनुमति दी गई तो अवैध क्रियाकलापों को बढ़ावा मिलेगा. 18 वर्ष से कम आयु का याची चाइल्ड होगा, जिसे कानूनी संरक्षण प्राप्त है. कानून के खिलाफ संबंध बनाना पाक्सो एक्ट का अपराध होगा, जो समाज के हित में नहीं है.

सरकारी वकील का कहना था कि दोनों पुलिस विवेचना में सहयोग नहीं कर रहे हैं. सीआरपीसी की धारा 161 या 164 का बयान दर्ज नहीं कराया. पहली बार महिला ने हाईकोर्ट में पूरक हलफनामा दाखिल करने आई है. दोनों ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका भी की है याची के भाई पर दूसरे नाबालिग याची को बंधक बनाने का आरोप लगाते हुए पेशी की मांग की गई है. हलफनामा दाखिल कर कहा जा रहा कि दोनों लिव इन में हैं इसलिए संरक्षण दिया जाए.

एक याची के खिलाफ कौशाम्बी के पिपरी थाने में अपहरण के आरोप में एफआईआर दर्ज है. एफआईआर में प्रयागराज से अपहरण कर जलालपुर घोषी ले जाने का आरोप है. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मुस्लिम कानून में लिव इन की मान्यता नहीं है. इसे जिना माना गया है, बिना धर्म बदले संबंध बनाने को अवैध माना गया है. कोर्ट ने कहा कि कानून की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता तलाकशुदा को ही मांगने का हक है. लिव इन रिलेशनशिप शादी नहीं है इसलिए पीड़िता धारा 125 का लाभ नहीं पा सकती. बालिग महिला का नाबालिग से लिव इन में रहना अनैतिक व अवैध है. यह अपराध है. ऐसे लिव इन को कोई संरक्षण नहीं दिया जा सकता.

ये भी पढ़ेंः कानपुर में रॉकेट, हैंडग्रेनेड और बम बनाएगा अडाणी समूह, 41 प्रकार के रक्षा उत्पाद होंगे तैयार

ये भी पढ़ेंः उमेश पाल हत्याकांड में बड़ा खुलासा, अतीक अहमद के कार्यालय से मिली कोल्ट पिस्टल से ही चलाई गईं थीं गोलियां

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.