प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद के स्थान को कृष्ण जन्मभूमि की मान्यता देने की मांग की गई थी. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है.
याचिका में विवादित परिसर हिंदुओं को सौंपने की मांग : महक महेश्वरी की जनहित याचिका में विवादित परिसर हिंदुओं को सौंपने की मांग की गई थी. जनहित याचिका में दावा किया गया कि विवादित परिसर पहले मंदिर था. कहा गया कि मंदिर को तोड़कर वहां शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया गया था. जिस जगह अभी मस्जिद है, वहां द्वापर युग में कंस ने भगवान श्रीकृष्ण के माता-पिता को कैद कर रखा हुआ था. याचिका में मामले का निपटारा होने तक विवादित परिसर में हिंदुओं को पूजा अर्चना की अनुमति देने की भी मांग की गई थी.
इसी मांग को लेकर कई मुकदमे पेंडिंग :इसी मांग को लेकर कई मुकदमे पेंडिंग होने के आधार पर जनहित याचिका खारिज की गई है. कोर्ट ने कहा कि लगभग ऐसी ही मांग को लेकर डेढ़ दर्जन मुकदमे लंबित हैं और जब ओरिजिनल सूट ही पेंडिंग है तो ऐसे मामले में जनहित याचिका पर फैसला नहीं दिया जा सकता. गौरतलब है कि इस याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने गत चार सितंबर को अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था. सुनवाई के दौरान याची महक माहेश्वरी के उपस्थित न होने के कारण जनहित याचिका 19 जनवरी 2021 को खारिज हो गई थी. बाद में मार्च 2022 में जनहित याचिका रेस्टोर हुई.
डेढ़ दर्जन सिविल सूट जिला अदालत में किए गए थे दाखिल : गौरतलब है कि मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन को लेकर तकरीबन डेढ़ दर्जन सिविल सूट मथुरा की जिला अदालत में दाखिल किए गए थे. एकल पीठ ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इन मुकदमों की सुनवाई मथुरा की जिला अदालत की बजाय अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद की तर्ज पर हाईकोर्ट में ही सीधे तौर पर किए जाने का आदेश दिया था. हालांकि हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की गई है.
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