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हाईकोर्ट ने हत्या आरोपी की आजीवन कारावास सजा रद्द की

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने मुजफ्फनगर के राजपाल को हत्या के आरोप से बरी कर दिया है. इसके साथ ही सत्र अदालत द्वारा दी गई आजीवन कैद की सजा रद्द कर रिहा करने का आदेश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jan 27, 2022, 10:32 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने मुजफ्फनगर के राजपाल को हत्या के आरोप से बरी कर दिया है. इसके साथ ही सत्र अदालत द्वारा दी गई आजीवन कैद की सजा रद्द कर रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह आदेश अभियोजन पक्ष द्वारा हत्या के आरोप को संदेह से परे स‌ाबित करने में नाकाम रहने के आधार पर दिया है. कोर्ट ने कहा, केवल परिस्थिति जन्य संदेह के आधार पर हत्या का आरोप साबित नहीं होता. उसके लिए ठोस सबूत होने चाहिए. न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता तथा न्यायमूर्ति ओमप्रकाश त्रिपाठी कीखंड पीठ ने राजपाल की सजा के खिलाफ अपील को स्वीकार करते हुए दिया है.

उल्लेखनीय है कि मृतक रामफल के बेटे बबलू ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसके पिता ने राजपाल को चार बीघा जमीन बेची थी. जमीन के एवज में एक लाख रुपये, ट्रैक्टर व ट्राली तथा एक मशीन देने का राजपाल ने वादा किया था किन्तु वायदे से मुकर गए. 29 जून 2001 को आरोपी उसके घर आया और उसके पिता को ईंट बेचने के लिए हरिद्वार ले गया. एक जुलाई 2001 को राजपाल ने रात दो बजे बबलू को बताया कि उसके पिता ने अत्याधिक शराब पी ली है उनको सांस लेने में दिक्कत है. मौके पर जाकर देखने पर रामफल मरा हुआ पाया गया. उसके शरीर पर चोट के भी निशान था.

इसे भी पढ़ें-चुनाव के दौरान बेवजह शस्त्र जमा करने को बाध्य न करें:हाईकोर्ट

वहीं राजपाल के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शराब पीने का साक्ष्य नहीं मिला. मृतक के कपड़े पर खून लगा था, किन्तु ट्रैक्टर ट्राली में या जमीन में खून नहीं लगा था. पुलिस ने सही विवेचना नहीं की. अभियुक्त के खिलाफ मजबूत संदेह तो है किन्तु पुख्ता सबूत नहीं है कि उसी ने हत्या की है. इसके बाद कोर्ट ने राजपाल की आजीवन कारावास सजा रद्द करते हुए बरी करने का आदेश दिया.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने मुजफ्फनगर के राजपाल को हत्या के आरोप से बरी कर दिया है. इसके साथ ही सत्र अदालत द्वारा दी गई आजीवन कैद की सजा रद्द कर रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह आदेश अभियोजन पक्ष द्वारा हत्या के आरोप को संदेह से परे स‌ाबित करने में नाकाम रहने के आधार पर दिया है. कोर्ट ने कहा, केवल परिस्थिति जन्य संदेह के आधार पर हत्या का आरोप साबित नहीं होता. उसके लिए ठोस सबूत होने चाहिए. न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता तथा न्यायमूर्ति ओमप्रकाश त्रिपाठी कीखंड पीठ ने राजपाल की सजा के खिलाफ अपील को स्वीकार करते हुए दिया है.

उल्लेखनीय है कि मृतक रामफल के बेटे बबलू ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसके पिता ने राजपाल को चार बीघा जमीन बेची थी. जमीन के एवज में एक लाख रुपये, ट्रैक्टर व ट्राली तथा एक मशीन देने का राजपाल ने वादा किया था किन्तु वायदे से मुकर गए. 29 जून 2001 को आरोपी उसके घर आया और उसके पिता को ईंट बेचने के लिए हरिद्वार ले गया. एक जुलाई 2001 को राजपाल ने रात दो बजे बबलू को बताया कि उसके पिता ने अत्याधिक शराब पी ली है उनको सांस लेने में दिक्कत है. मौके पर जाकर देखने पर रामफल मरा हुआ पाया गया. उसके शरीर पर चोट के भी निशान था.

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वहीं राजपाल के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शराब पीने का साक्ष्य नहीं मिला. मृतक के कपड़े पर खून लगा था, किन्तु ट्रैक्टर ट्राली में या जमीन में खून नहीं लगा था. पुलिस ने सही विवेचना नहीं की. अभियुक्त के खिलाफ मजबूत संदेह तो है किन्तु पुख्ता सबूत नहीं है कि उसी ने हत्या की है. इसके बाद कोर्ट ने राजपाल की आजीवन कारावास सजा रद्द करते हुए बरी करने का आदेश दिया.

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