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हाईकोर्ट ने मुरादाबाद में ग्राम रोजगार सेवक के खाली पद पर भर्ती के लिए दिया आदेश

मुरादाबाद की ग्राम पंचायत नगलिया बल्लू में ग्राम रोजगार सेवक के खाली पद पर भर्ती के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है. कोर्ट ने यह आदेश नियुक्ति को लेकर दाखिल एक याचिका के मामले में दिया है.

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Published : Jul 16, 2022, 7:01 PM IST

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुरादाबाद की ग्राम पंचायत नगलिया बल्लू में ग्राम रोजगार सेवक के खाली पद पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने रोहिताश कुमार की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि साल 2008 की भर्ती में 2009 में चयन किया गया. लेकिन चयनित अभ्यर्थी के कार्यभार ग्रहण नहीं करने के कारण पद खाली रह गया. वहीं याची को पंचायत सदस्य का भाई होने के कारण नियुक्त करने से इंकार कर दिया गया था. जिस पर याचिका दायर कर नियुक्ति की मांग की गई थी.

याची का कहना था कि 23 नवंबर 2007 के शासनादेश में स्पष्ट कहा गया है कि ग्राम प्रधान, उप प्रधान, सदस्य और सचिव के संबंधियों की ग्राम रोजगार सेवक पद पर नियुक्ति नहीं की जाएगी. संबंधियों की सूची में भाई का उल्लेख नहीं किया गया है. इसलिए पंचायत सदस्य का भाई होने के कारण नियुक्ति से इंकार नहीं किया जा सकता. वैसे भी बाद में याची के भाई ने इस्तीफा दे दिया था.

यह भी पढ़ें- निठारी कांड: सुरिंदर कोली को फांसी की सजा को लेकर पेपर बुक तैयार करने का आदेश

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शासनादेश की सूची उदाहरणात्मक है. रक्त संबंधियों की सूची दी गई है. बहन सूची में शामिल है. यदि भाई को अलग रखा गया तो शासनादेश का उद्देश्य पूरा नहीं होगा. इसलिए संबंधियों में भाई डीम्ड शामिल माना जाएगा. नियुक्ति एक साल के लिए संविदा पर की जाती है, जिसे बढ़ाया जा सकता है. अब इतने साल बाद याची की नियुक्ति का निर्देश जारी नहीं किया जा सकता.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुरादाबाद की ग्राम पंचायत नगलिया बल्लू में ग्राम रोजगार सेवक के खाली पद पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने रोहिताश कुमार की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि साल 2008 की भर्ती में 2009 में चयन किया गया. लेकिन चयनित अभ्यर्थी के कार्यभार ग्रहण नहीं करने के कारण पद खाली रह गया. वहीं याची को पंचायत सदस्य का भाई होने के कारण नियुक्त करने से इंकार कर दिया गया था. जिस पर याचिका दायर कर नियुक्ति की मांग की गई थी.

याची का कहना था कि 23 नवंबर 2007 के शासनादेश में स्पष्ट कहा गया है कि ग्राम प्रधान, उप प्रधान, सदस्य और सचिव के संबंधियों की ग्राम रोजगार सेवक पद पर नियुक्ति नहीं की जाएगी. संबंधियों की सूची में भाई का उल्लेख नहीं किया गया है. इसलिए पंचायत सदस्य का भाई होने के कारण नियुक्ति से इंकार नहीं किया जा सकता. वैसे भी बाद में याची के भाई ने इस्तीफा दे दिया था.

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कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शासनादेश की सूची उदाहरणात्मक है. रक्त संबंधियों की सूची दी गई है. बहन सूची में शामिल है. यदि भाई को अलग रखा गया तो शासनादेश का उद्देश्य पूरा नहीं होगा. इसलिए संबंधियों में भाई डीम्ड शामिल माना जाएगा. नियुक्ति एक साल के लिए संविदा पर की जाती है, जिसे बढ़ाया जा सकता है. अब इतने साल बाद याची की नियुक्ति का निर्देश जारी नहीं किया जा सकता.

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