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हाईकोर्ट ने लिपिक के अवैध नियुक्ति से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ जांच का दिया आदेश - Major Asharam Tyagi Memorial Girls School Meerut

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के एक स्कूल में लिपिक के अवैध नियुक्ति मामले में अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई 20 जुलाई की नियत की है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : May 30, 2022, 10:30 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक स्कूल में लिपिक की अवैध नियुक्ति में शामिल अधिकारियों एवं चयन समिति के खिलाफ जांच करने के आदेश दिए हैं. साथ ही बीएसए मेरठ से पूछा है कि उन्होंने किन विधिक प्रावधानों के तहत अपने पूर्ववर्ती अधिकारियों के आदेशों को निरस्त किया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने मेरठ के मेजर आशाराम त्यागी स्मारक कन्या विद्यालय के लिपिक शनि त्यागी की नियुक्ति निरस्त करने के खिलाफ याचिका पर दिया है.

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याची को बीएसए के अनुमोदन पर विद्यालय प्रबंध समिति द्वारा दिसंबर 2011 में नियुक्त किया गया था. लेकिन 2020 में एक शिकायत के आधार पर बीएसए ने अपने अनुमोदन को निरस्त कर दिया था. बीएसए ने जांच के दौरान पाया कि याची के चयन के समय न तो टाइपिंग टेस्ट लिया गया था और न ही चयन समिति में अनुसूचित जाति के विशेषज्ञ सदस्य को शामिल किया गया था. न्यायालय ने पाया कि याची की अवैध नियुक्ति शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही के कारण हुई थी. कोर्ट ने कहा कि बीएसए ने गलती स्वीकार की है. कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई की तिथि पर दोषी अधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही करने का निर्देश दिया जाएगा. कोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारी मेरठ से छह सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा गया है कि किन विधिक प्रावधानों के तहत उन्होंने अपने पूर्ववर्ती अधिकारियों के आदेशों की समीक्षा कर निरस्त किया है. याचिका की सुनवाई 20 जुलाई को होगी.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक स्कूल में लिपिक की अवैध नियुक्ति में शामिल अधिकारियों एवं चयन समिति के खिलाफ जांच करने के आदेश दिए हैं. साथ ही बीएसए मेरठ से पूछा है कि उन्होंने किन विधिक प्रावधानों के तहत अपने पूर्ववर्ती अधिकारियों के आदेशों को निरस्त किया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने मेरठ के मेजर आशाराम त्यागी स्मारक कन्या विद्यालय के लिपिक शनि त्यागी की नियुक्ति निरस्त करने के खिलाफ याचिका पर दिया है.

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याची को बीएसए के अनुमोदन पर विद्यालय प्रबंध समिति द्वारा दिसंबर 2011 में नियुक्त किया गया था. लेकिन 2020 में एक शिकायत के आधार पर बीएसए ने अपने अनुमोदन को निरस्त कर दिया था. बीएसए ने जांच के दौरान पाया कि याची के चयन के समय न तो टाइपिंग टेस्ट लिया गया था और न ही चयन समिति में अनुसूचित जाति के विशेषज्ञ सदस्य को शामिल किया गया था. न्यायालय ने पाया कि याची की अवैध नियुक्ति शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही के कारण हुई थी. कोर्ट ने कहा कि बीएसए ने गलती स्वीकार की है. कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई की तिथि पर दोषी अधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही करने का निर्देश दिया जाएगा. कोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारी मेरठ से छह सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा गया है कि किन विधिक प्रावधानों के तहत उन्होंने अपने पूर्ववर्ती अधिकारियों के आदेशों की समीक्षा कर निरस्त किया है. याचिका की सुनवाई 20 जुलाई को होगी.

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