प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि मरीज के लिए अस्पताल मंदिर जैसा है और डॉक्टर भगवान जैसे. लेकिन, डॉक्टर मरीज को धन कमाने का जरिया समझने लगे हैं. वे ली गई शपथ के विपरीत काम कर रहे हैं. कोर्ट ने यह टिप्पणी मिलावटी प्लेटलेट्स से मरीज की मौत मामले में कपट, षड्यंत्र और धोखाधड़ी के आरोपी असरावल रोड साहा पीपलगांव स्थित ग्लोबल हॉस्पिटल के मकान मालिक बच्चूलाल साहू को जमानत पर रिहा करने से इनकार करते हुए की है.
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने बच्चूलाल साहू की जमानत अर्जी खारिज करते हुए दिया है. कोर्ट ने कहा कि घटना के समय डेंगू फैला था. प्लेटलेट्स मिलना कठिन था. इसकी ब्लैक मार्केटिंग की जा रही थी. याची इसमें लिप्त हुआ. मरीज के भरोसे का गलत इस्तेमाल कर मिलावटी प्लेटलेट्स देने में शामिल हुआ. यह जानते हुए कि मिलावटी प्लेटलेट्स से मरीज की मौत हो सकती है. यह अपराध है. याची के इसमें लिप्त होने का आरोप है, इसलिए उसे जमानत पाने का अधिकार नहीं है.
मामले के तथ्यों के अनुसार ग्लोबल हॉस्पिटल में भर्ती मरीज की डॉक्टरों व स्टाफ की लापरवाही से मौत हो गई. डेंगू पीड़ित मरीज को मिलावटी प्लेटलेट्स दी गई थी. याची का कहना था कि उसका अस्पताल से कोई सरोकार नहीं है. न वह अस्पताल का मालिक है, न ही स्टाफ. वह अस्पताल में शेयर होल्डर भी नहीं है. उसने अस्पताल को 10 साल के लिए अपना मकान किराए पर दिया है. घटना में उसकी कोई भूमिका नहीं है.
शिकायतकर्ता की मानवीय आधार पर मदद करने की कोशिश में उसे फंसाया गया है. उसके बेटे के नाम प्लेटलेट्स के एवज में 25 हजार रुपये ट्रांसफर किए गए थे. न उसने पैसा लिया और न ही प्लेटलेट्स दी. सरकारी वकील ने अर्जी का यह कहते हुए प्रतिवाद किया कि याची चल रहे रैकेट का हिस्सा है. उसने फोन पे से पैसा लेकर प्लेटलेट्स बेची हैं. याची पर षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप है.
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