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नामांकन में महिला प्रधान प्रत्याशी से लिया जाए स्वयं काम करने का हलफनामा, पतियों के हस्तक्षेप पर हाईकोर्ट का राज्य निर्वाचन को निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महिला प्रधान के पति द्वारा ग्राम सभा के कामकाज में हस्तक्षेप पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि अब नामांकन के समय महिला प्रत्याशी से हलफनामा लिया जाए कि वह स्वयं काम करेंगी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 29, 2023, 3:56 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम सभा के कामकाज में प्रधानपतियों के हस्तक्षेप को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को सर्कुलर जारी कर भविष्य में नामांकन के समय प्रत्याशी से हलफनामा लिया जाए कि महिला ग्राम प्रधान के कार्य में पति या अन्य किसी का हस्तक्षेप नहीं होगा. कोर्ट ने प्रमुख सचिव पंचायत राज को भी यह आदेश सभी ग्राम प्रधानों को प्रेषित करने का निर्देश दिया है.

महिला प्रधान और उसके पति पर लगाया जुर्मानाः यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने गांव सभा मदपुरी की और से दायर याचिका पर दिया है. कोर्ट ने बिना महिला ग्राम प्रधान के माध्यम से प्रधानपति के हलफनामे से दाखिल गांव सभा की याचिका 10 हजार रुपये हर्जाने के साथ खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि प्रधान व प्रधान पति पांच- पांच हजार रुपये का डिमांड ड्राफ्ट दो सप्ताह में महानिबंधक कार्यालय में जमा करेंगे.

महिला प्रधान एक रबर स्टाम्पः कोर्ट ने जिलाधिकारी बिजनौर को निर्देश दिया कि नगीना तहसील की मदपुरी गांव सभा के कार्य में प्रधान पति सुखदेव सिंह हस्तक्षेप न करने पाएं. वहां के सभी काम महिला प्रधान करमजीत कौर द्वारा किए जाएं. कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रधान पति बहुत लोकप्रिय शब्द हो गया है. इस शब्द का व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है. प्रधानपति बिना किसी अधिकार के महिला ग्राम प्रधान की शक्तियों का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे हैं. महिला प्रधान एक रबर स्टाम्प की तरह रह गई है. गांव सभा के सभी निर्णय प्रधानपति लेते हैं. चुना हुआ जनप्रतिनिधि मूक दर्शक बना रहता है. यह याचिका इसका सटीक उदाहरण है.

प्रधानपति को गांव सभा के काम में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहींः कोर्ट ने कहा कि ग्राम सभा की ओर से याचिका दाखिल करने का गांव सभा का कोई प्रस्ताव याचिका में संलग्न नहीं है. महिला प्रधान को अपनी शक्ति अपने पति या अन्य किसी को देने का अधिकार नहीं है. प्रधानपति को भी गांव सभा के काम में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. इसके बावजूद प्रधानपति ने हलफनामा देकर महिला प्रधान के माध्यम से गांव सभा की ओर से याचिका दाखिल की, जिसका उसे अधिकार नहीं है.

ऐसे तो महिला सशक्तिकरण का राजनीतिक उद्देश्य विफल हो जाएगाः कोर्ट ने कहा कि यदि इस तरह की अनुमति दी गई तो महिला सशक्तिकरण का राजनीतिक उद्देश्य विफल हो जाएगा. महिला को विशेष आरक्षण देकर राजनीति की मुख्य धारा में शामिल करने की कोशिश नाकाम हो जाएगी. प्रदेश में कई महिला प्रधान हैं, जो अच्छे काम कर रही हैं. लेकिन इस मामले में प्रधानपति के हस्तक्षेप से दाखिल अनधिकृत याचिका हर्जाने सहित खारिज की जाती है.

इसे भी पढ़ें-हाई कोर्ट की टिप्पणी, फ्लैट खरीदार कब्जे में किसी भी देरी के लिए मुआवजे का दावा करने के हकदार

इसे भी पढ़ें-हाई कोर्ट ने मुख्तार अंसारी के दोनों सालों सहित तीन के खिलाफ कार्रवाई पर रोक

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम सभा के कामकाज में प्रधानपतियों के हस्तक्षेप को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को सर्कुलर जारी कर भविष्य में नामांकन के समय प्रत्याशी से हलफनामा लिया जाए कि महिला ग्राम प्रधान के कार्य में पति या अन्य किसी का हस्तक्षेप नहीं होगा. कोर्ट ने प्रमुख सचिव पंचायत राज को भी यह आदेश सभी ग्राम प्रधानों को प्रेषित करने का निर्देश दिया है.

महिला प्रधान और उसके पति पर लगाया जुर्मानाः यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने गांव सभा मदपुरी की और से दायर याचिका पर दिया है. कोर्ट ने बिना महिला ग्राम प्रधान के माध्यम से प्रधानपति के हलफनामे से दाखिल गांव सभा की याचिका 10 हजार रुपये हर्जाने के साथ खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि प्रधान व प्रधान पति पांच- पांच हजार रुपये का डिमांड ड्राफ्ट दो सप्ताह में महानिबंधक कार्यालय में जमा करेंगे.

महिला प्रधान एक रबर स्टाम्पः कोर्ट ने जिलाधिकारी बिजनौर को निर्देश दिया कि नगीना तहसील की मदपुरी गांव सभा के कार्य में प्रधान पति सुखदेव सिंह हस्तक्षेप न करने पाएं. वहां के सभी काम महिला प्रधान करमजीत कौर द्वारा किए जाएं. कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रधान पति बहुत लोकप्रिय शब्द हो गया है. इस शब्द का व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है. प्रधानपति बिना किसी अधिकार के महिला ग्राम प्रधान की शक्तियों का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे हैं. महिला प्रधान एक रबर स्टाम्प की तरह रह गई है. गांव सभा के सभी निर्णय प्रधानपति लेते हैं. चुना हुआ जनप्रतिनिधि मूक दर्शक बना रहता है. यह याचिका इसका सटीक उदाहरण है.

प्रधानपति को गांव सभा के काम में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहींः कोर्ट ने कहा कि ग्राम सभा की ओर से याचिका दाखिल करने का गांव सभा का कोई प्रस्ताव याचिका में संलग्न नहीं है. महिला प्रधान को अपनी शक्ति अपने पति या अन्य किसी को देने का अधिकार नहीं है. प्रधानपति को भी गांव सभा के काम में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. इसके बावजूद प्रधानपति ने हलफनामा देकर महिला प्रधान के माध्यम से गांव सभा की ओर से याचिका दाखिल की, जिसका उसे अधिकार नहीं है.

ऐसे तो महिला सशक्तिकरण का राजनीतिक उद्देश्य विफल हो जाएगाः कोर्ट ने कहा कि यदि इस तरह की अनुमति दी गई तो महिला सशक्तिकरण का राजनीतिक उद्देश्य विफल हो जाएगा. महिला को विशेष आरक्षण देकर राजनीति की मुख्य धारा में शामिल करने की कोशिश नाकाम हो जाएगी. प्रदेश में कई महिला प्रधान हैं, जो अच्छे काम कर रही हैं. लेकिन इस मामले में प्रधानपति के हस्तक्षेप से दाखिल अनधिकृत याचिका हर्जाने सहित खारिज की जाती है.

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