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तथ्य छुपाकर नौकरी करने वाले बर्खास्त शिक्षक को हाईकोर्ट से राहत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग से बर्खास्त किए गए शिक्षक ने सेवा समाप्ति आदेश को स्थगित कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Aug 17, 2022, 10:43 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा विभाग से बर्खास्त किए गए एक शिक्षक को राहत प्रदान की है. अदालत ने सेवा समाप्ति आदेश को स्थगित करते हुए राज्य सरकार को अगले चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष माथुर ने अलीगढ़ के अनूप कुमार वर्मा की याचिका पर दिया है. वर्ष 2000 में याची को ओपीएम इंटर कॉलेज में मृतक आश्रित नियमावली के तहत सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्ति दी गई थी. 2020 में स्थानीय पार्षद मोहित शर्मा ने आरोप लगाया कि नियुक्ति के समय याची की मां शासकीय सेवाओं में कार्यरत थी. याची ने इस तथ्य को छुपाते हुए पिता के आश्रित के रूप में विधिविरुद्ध नियुक्ति प्राप्त की है. इसके बाद शिक्षा निदेशक ने तथ्यगोपन सिद्धि पर अध्यापक को बर्खास्त कर दिया था. उक्त आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई थी.

यह भी पढ़ें:सुलतानपुर नगर पालिका परिषद चेयरमैन को राहत, हाईकोर्ट ने वित्तीय अधिकार सीज करने के आदेश पर लगाई रोक

याची के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट की पूर्णपीठ द्वारा 1991 में एसके चौधरी केस में दिए गए विधिसिद्धांत पर विश्वास जताया. उन्होंने कहा के 22 वर्षों की लंबी सेवाओं के बाद शिक्षक को हटाया जाना न्यायसंगत नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने शिक्षक के अधिवक्ता के तर्कों से सहमति जताते हुए अंतरिम राहत प्रदान कर दी.

यह भी पढ़ें:अधिकारियों की मनमानी बनी मुसीबत, कोर्ट ने आयकर विभाग पर लगाया 50 लाख रुपये का हर्जाना

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा विभाग से बर्खास्त किए गए एक शिक्षक को राहत प्रदान की है. अदालत ने सेवा समाप्ति आदेश को स्थगित करते हुए राज्य सरकार को अगले चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष माथुर ने अलीगढ़ के अनूप कुमार वर्मा की याचिका पर दिया है. वर्ष 2000 में याची को ओपीएम इंटर कॉलेज में मृतक आश्रित नियमावली के तहत सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्ति दी गई थी. 2020 में स्थानीय पार्षद मोहित शर्मा ने आरोप लगाया कि नियुक्ति के समय याची की मां शासकीय सेवाओं में कार्यरत थी. याची ने इस तथ्य को छुपाते हुए पिता के आश्रित के रूप में विधिविरुद्ध नियुक्ति प्राप्त की है. इसके बाद शिक्षा निदेशक ने तथ्यगोपन सिद्धि पर अध्यापक को बर्खास्त कर दिया था. उक्त आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई थी.

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याची के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट की पूर्णपीठ द्वारा 1991 में एसके चौधरी केस में दिए गए विधिसिद्धांत पर विश्वास जताया. उन्होंने कहा के 22 वर्षों की लंबी सेवाओं के बाद शिक्षक को हटाया जाना न्यायसंगत नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने शिक्षक के अधिवक्ता के तर्कों से सहमति जताते हुए अंतरिम राहत प्रदान कर दी.

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