प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उमेश पाल शूटआउट केस में नामजद अतीक अहमद के नाबालिग बेटों के कथित तौर पर लापता होने के मामले में दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिड़ला एवं न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने दोनों बेटों की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. याचिका में उमेश पाल की हत्या के बाद गायब अतीक अहमद दोनों नाबालिग बेटों को हाजिर करने की मांग की गई है. कहा गया की घटना के बाद पुलिस अतीक़ अहमद के दोनों नाबालिग बेटो को घर से उठा ले गई और उनको कहा रखा गया है इसका कुछ पता नहीं है. पुलिस रिश्तेदारों को कोई जानकारी नहीं दे रही है.
इससे पूर्व इसी बात को लेकर प्रयागराज की सीजेएम अदालत में भी अर्जी दाखिल होने के कारण हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 23 मार्च तक के लिए टाल दी थी.
बता दें कि उमेश पाल हत्याकांड के बाद से अतीक अहमद के दो नाबालिग बेटे लापता हो गए. अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन की तरफ से कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी. आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने अवैध तरीके से कई दिनों से उनके दो नाबालिग बेटों को हिरासत में ले रखा है. आरोप लगाया था कि उनके वकीलों को बेटों से मिलने नहीं दिया जा रहा है. वहीं, पुलिस ने स्पष्ट किया कि थाने में कोई नाबालिग नहीं है. इसके बाद शाइस्ता परवीन की तरफ से जनपद न्यायलय में अर्जी दी गई थी. पुलिस ने कोर्ट में जवाब दिया था कि दोनों बच्चे बाल संरक्षण गृह में रखे गए हैं लेकिन बच्चों से वकीलों के न मिल पाने पर शाइस्ता की तरफ से कोर्ट में पुनः अर्जी दाखिल की गई थी. इस पर कोर्ट ने पुलिस से जवाब तलब किया था.
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