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मेरठ के न्यूटिमा अस्पताल को हाई कोर्ट से राहत, पार्किंग का 40 प्रतिशत हिस्सा हटाने का आदेश रद्द

मेरठ के मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल न्यूटिमा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने अस्पताल का परिसर सील किए जाने का आदेश रद्द कर दिया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 7, 2023, 8:26 PM IST

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल न्यूटिमा हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड को बड़ी राहत देते हुए मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा पारित 18 नवंबर 2022 और 20 अक्टूबर 2021 के आदेशों को रद्द कर दिया है. अस्पताल का परिसर सील किए जाने को लेकर 14 नवंबर 2023 के आदेश के बाबत विकास प्राधिकरण के अधिवक्ता ने स्वयं ही इसे अमल में ना ले जाने का कोर्ट में आश्वासन दिया है. हालांकि कोर्ट ने कहा है कि सीलिंग को लेकर पारित आदेश याची अस्पताल द्वारा दिए गए शमन प्रार्थना पत्र पर अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा. न्यूटिमा अस्पताल की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने दिया है.

अस्पताल का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और अधिवक्ता विभू राय का कहना था कि मेरठ विकास प्राधिकरण ने 20 अक्टूबर 2021 को आदेश पारित कर अस्पताल की पार्किंग के 40 प्रतिशत हिस्से को हटाने का निर्देश दिया. प्राधिकरण का कहना है कि यह पार्किंग का हिस्सा है जो की लैब, ऑपरेशन थिएटर, ब्लड बैंक आदि के कार्यों में उपयोग किया जा रहा है. याची ने इस आदेश के खिलाफ कमिश्नर के यहां अपील दाखिल की. कमिश्नर ने भी 18 नंबर 2022 के आदेश से पार्किंग को अन्य कार्य के लिए उपयोग किए जाने के आधार पर 40 प्रतिशत हिस्से को हटाने का निर्देश दिया. दोनों आदेशों को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

अस्पताल के अधिवक्ता का कहना था कि 20 अक्टूबर 2021 को पारित आरंभिक आदेश प्राधिकरण ने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर पारित किया है. क्योंकि अर्बन डेवलपमेंट एक्ट की धारा 28 ए की तहत आदेश देने से पूर्व याची को नोटिस दिया जाना चाहिए था. आदेश पारित करने से पूर्व एक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया. वरिष्ठ अधिवक्ता ने यह भी दलित दी की 28 ए के तहत कार्रवाई वहां की जा सकती है, जहां स्वीकृत मानचित्र के विपरीत निर्माण हो रहा हो. किए गए निर्माण को किसी अन्य कार्य के लिए उपयोग करने के मामले में भिन्न कार्रवाई होती है. अधिवक्ता का कहना था कि याची की ओर से कंपाउंडिंग के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया है तथा एक करोड़ 25 लाख रुपये की कंपाउंडिंग जमा करने का प्रस्ताव दिया गया है. लेकिन इस पर प्राधिकरण ने कोई निर्णय नहीं लिया और उसे नजर अंदाज करते हुए आदेश पारित किया है.

प्राधिकरण और राज्य सरकार के अधिवक्ता इस दलील का विरोध नहीं कर सके. प्राधिकरण के अधिवक्ता ने कहा कि जहां तक 14 नवंबर 2023 को पारित सीलिंग के आदेश का सवाल है, उस आदेश को प्राधिकरण फिलहाल अमल में नहीं लाएगा. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि 20 अक्टूबर 2021 का आदेश मनमाने तरीके से और बिना क्षेत्राधिकार के इस आधार पर पारित किए गए हैं कि पार्किंग स्थल का इस्तेमाल दूसरे कार्य के लिए किया जा रहा है. जब आरंभिक आदेश ही गलत है तो उसके बाद पारित आदेश भी गलत माने जाएंगे. कोर्ट ने दोनों आदेशों को रद्द कर दिया है तथा कहा है कि 14 नवंबर 2023 को पारित सीलिंग का आदेश याची की ओर से दिए गए शमन प्रार्थना पत्र पर पारित अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा.

इसे भी पढ़ें-आमरण अनशन पर बैठे विधायक अतुल प्रधान के समर्थकों और पुलिस में हुई नोकझोंक

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल न्यूटिमा हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड को बड़ी राहत देते हुए मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा पारित 18 नवंबर 2022 और 20 अक्टूबर 2021 के आदेशों को रद्द कर दिया है. अस्पताल का परिसर सील किए जाने को लेकर 14 नवंबर 2023 के आदेश के बाबत विकास प्राधिकरण के अधिवक्ता ने स्वयं ही इसे अमल में ना ले जाने का कोर्ट में आश्वासन दिया है. हालांकि कोर्ट ने कहा है कि सीलिंग को लेकर पारित आदेश याची अस्पताल द्वारा दिए गए शमन प्रार्थना पत्र पर अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा. न्यूटिमा अस्पताल की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने दिया है.

अस्पताल का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और अधिवक्ता विभू राय का कहना था कि मेरठ विकास प्राधिकरण ने 20 अक्टूबर 2021 को आदेश पारित कर अस्पताल की पार्किंग के 40 प्रतिशत हिस्से को हटाने का निर्देश दिया. प्राधिकरण का कहना है कि यह पार्किंग का हिस्सा है जो की लैब, ऑपरेशन थिएटर, ब्लड बैंक आदि के कार्यों में उपयोग किया जा रहा है. याची ने इस आदेश के खिलाफ कमिश्नर के यहां अपील दाखिल की. कमिश्नर ने भी 18 नंबर 2022 के आदेश से पार्किंग को अन्य कार्य के लिए उपयोग किए जाने के आधार पर 40 प्रतिशत हिस्से को हटाने का निर्देश दिया. दोनों आदेशों को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

अस्पताल के अधिवक्ता का कहना था कि 20 अक्टूबर 2021 को पारित आरंभिक आदेश प्राधिकरण ने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर पारित किया है. क्योंकि अर्बन डेवलपमेंट एक्ट की धारा 28 ए की तहत आदेश देने से पूर्व याची को नोटिस दिया जाना चाहिए था. आदेश पारित करने से पूर्व एक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया. वरिष्ठ अधिवक्ता ने यह भी दलित दी की 28 ए के तहत कार्रवाई वहां की जा सकती है, जहां स्वीकृत मानचित्र के विपरीत निर्माण हो रहा हो. किए गए निर्माण को किसी अन्य कार्य के लिए उपयोग करने के मामले में भिन्न कार्रवाई होती है. अधिवक्ता का कहना था कि याची की ओर से कंपाउंडिंग के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया है तथा एक करोड़ 25 लाख रुपये की कंपाउंडिंग जमा करने का प्रस्ताव दिया गया है. लेकिन इस पर प्राधिकरण ने कोई निर्णय नहीं लिया और उसे नजर अंदाज करते हुए आदेश पारित किया है.

प्राधिकरण और राज्य सरकार के अधिवक्ता इस दलील का विरोध नहीं कर सके. प्राधिकरण के अधिवक्ता ने कहा कि जहां तक 14 नवंबर 2023 को पारित सीलिंग के आदेश का सवाल है, उस आदेश को प्राधिकरण फिलहाल अमल में नहीं लाएगा. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि 20 अक्टूबर 2021 का आदेश मनमाने तरीके से और बिना क्षेत्राधिकार के इस आधार पर पारित किए गए हैं कि पार्किंग स्थल का इस्तेमाल दूसरे कार्य के लिए किया जा रहा है. जब आरंभिक आदेश ही गलत है तो उसके बाद पारित आदेश भी गलत माने जाएंगे. कोर्ट ने दोनों आदेशों को रद्द कर दिया है तथा कहा है कि 14 नवंबर 2023 को पारित सीलिंग का आदेश याची की ओर से दिए गए शमन प्रार्थना पत्र पर पारित अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा.

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