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दस साल से अलग रह रही पत्नी के दहेज उत्पीड़न केस को कोर्ट ने किया रद्द - Mohammad Mian of Supreme Court

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दस वर्षों से अलग रह रही पत्नी द्वारा कायम दहेज उत्पीड़न केस को रद्द कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jul 28, 2022, 11:10 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दस वर्षों से अलग रह रही पत्नी द्वारा कायम दहेज उत्पीड़न केस में मजिस्ट्रेट के सम्मन को रद्द कर दिया है. किन्तु कहा है और मारपीट के आरोप में कायम केस कार्यवाही जारी रहेगी. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के मोहम्मद मियां केस के हवाले से कहा कि एक पक्षीय तलाक और लंबे समय से अलग रहने वाली पत्नी दहेज उत्पीड़न का केस कायम नहीं कर सकती. यह आदेश न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने बदायूं के इस्लाम नगर के दुष्यंत चौधरी व तीन अन्य की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है.

दरअसल, 19 जनवरी 12 को शादी हुई. इसके बाद मायके गई पत्नी वापस नहीं लौटी. पति ने तलाक का केस दाखिल किया. 5अप्रैल 14 को एक पक्षीय डिक्री हो गई, जिसे रद्द करने की अर्जी खारिज कर दी गई तो प्रथम अपील दाखिल की गई जो लंबित है किन्तु अंतरिम आदेश नहीं मिला है. सात साल बाद पत्नी ने दहेज उत्पीड़न और मारपीट के आरोप में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) में अर्जी दी, जिसे अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बदायूं ने कंप्लेंट केस के रूप में दर्ज कर लिया और 13 मार्च 20 को सम्मन जारी किया, जिसे चुनौती दी गई थी.

यह भी पढ़ें- इलाहाबाद हाइकोर्ट ने पीडीए के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन से कटौती पर लगाई रोक

वहीं, याची का कहना था कि झूठा केस कायम किया गया है, जिसे रद्द किया जाए. कोर्ट ने कहा कि तलाक नहीं भी है किन्तु पिछले दस सालों से दोनों अलग रह रहे हैं. इसलिए दहेज उत्पीड़न का केस नहीं चलेगा.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दस वर्षों से अलग रह रही पत्नी द्वारा कायम दहेज उत्पीड़न केस में मजिस्ट्रेट के सम्मन को रद्द कर दिया है. किन्तु कहा है और मारपीट के आरोप में कायम केस कार्यवाही जारी रहेगी. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के मोहम्मद मियां केस के हवाले से कहा कि एक पक्षीय तलाक और लंबे समय से अलग रहने वाली पत्नी दहेज उत्पीड़न का केस कायम नहीं कर सकती. यह आदेश न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने बदायूं के इस्लाम नगर के दुष्यंत चौधरी व तीन अन्य की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है.

दरअसल, 19 जनवरी 12 को शादी हुई. इसके बाद मायके गई पत्नी वापस नहीं लौटी. पति ने तलाक का केस दाखिल किया. 5अप्रैल 14 को एक पक्षीय डिक्री हो गई, जिसे रद्द करने की अर्जी खारिज कर दी गई तो प्रथम अपील दाखिल की गई जो लंबित है किन्तु अंतरिम आदेश नहीं मिला है. सात साल बाद पत्नी ने दहेज उत्पीड़न और मारपीट के आरोप में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) में अर्जी दी, जिसे अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बदायूं ने कंप्लेंट केस के रूप में दर्ज कर लिया और 13 मार्च 20 को सम्मन जारी किया, जिसे चुनौती दी गई थी.

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वहीं, याची का कहना था कि झूठा केस कायम किया गया है, जिसे रद्द किया जाए. कोर्ट ने कहा कि तलाक नहीं भी है किन्तु पिछले दस सालों से दोनों अलग रह रहे हैं. इसलिए दहेज उत्पीड़न का केस नहीं चलेगा.

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