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प्रयागराज: हाईकोर्ट ने मंजूर किया पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया का तीन दिन का पेरोल - former mp kapilmuni karwaria

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया का तीन दिन का पेरोल मंजूर किया है. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल व न्यायमूर्ति पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कपिलमुनि करवरिया की ओर से दाखिल अर्जी पर दिया है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Feb 8, 2020, 11:13 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जवाहर पंडित हत्याकांड में जेल में निरुद्ध पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया का तीन दिन का पेरोल मंजूर किया है. यह पेरोल उन्हें अपने छोटे भाई पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की पुत्री के विवाह के लिए मिला है. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल एवं न्यायमूर्ति पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कपिलमुनि करवरिया की ओर से दाखिल अर्जी पर दिया है.

पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया था कि उन्हें अपने छोटे भाई की पुत्री के विवाह में सम्मिलित होना है. इसलिए उनका एक सप्ताह का पेरोल मंजूर किया जाए. अर्जी में विवाह समारोह 12 फरवरी को बताते हुए सात फरवरी से एक सप्ताह के पेरोल की मांग की गई थी. कहा गया था कि परिवार से सबसे बड़े होने के नाते विवाह समारोह में उन्हें कन्यादान करना है.

ये भी पढ़ें- कई मामले में पीएम मोदी सच नहीं बोलते हैं: पीएल पुनिया

सुनवाई के बाद कोर्ट ने उनका तीन दिन का पेरोल मंजूर कर लिया. कोर्ट ने कहा कि वह 11 से 13 फरवरी तक पुलिस हिरासत में पेरोल पर रहेंगे. 14 फरवरी को दोपहर 12 के पूर्व जेल में रिपोर्ट करेंगे. पेरोल की अवधि पूरी होने पर व जेल में रिपोर्ट का हलफनामा दाखिल किया जाए. कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि कपिलमुनि करवरिया पेरोल का दुरुपयोग नहीं करेंगे.

वह प्रयागराज से बाहर नहीं जाएंगे और अपने यहां के विवाह समारोह के अलावा अन्य किसी आयोजन में सम्मिलित नहीं होंगे. कोर्ट ने एसएसपी प्रयागराज को उनके पेरोल की मॉनीटरिंग करने का निर्देश भी दिया है. उधर, कपिलमुनि करवरिया के छोटे भाई पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया की पेरोल अर्जी न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति शेखर यादव की खंडपीठ ने खारिज कर दी है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जवाहर पंडित हत्याकांड में जेल में निरुद्ध पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया का तीन दिन का पेरोल मंजूर किया है. यह पेरोल उन्हें अपने छोटे भाई पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की पुत्री के विवाह के लिए मिला है. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल एवं न्यायमूर्ति पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कपिलमुनि करवरिया की ओर से दाखिल अर्जी पर दिया है.

पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया था कि उन्हें अपने छोटे भाई की पुत्री के विवाह में सम्मिलित होना है. इसलिए उनका एक सप्ताह का पेरोल मंजूर किया जाए. अर्जी में विवाह समारोह 12 फरवरी को बताते हुए सात फरवरी से एक सप्ताह के पेरोल की मांग की गई थी. कहा गया था कि परिवार से सबसे बड़े होने के नाते विवाह समारोह में उन्हें कन्यादान करना है.

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सुनवाई के बाद कोर्ट ने उनका तीन दिन का पेरोल मंजूर कर लिया. कोर्ट ने कहा कि वह 11 से 13 फरवरी तक पुलिस हिरासत में पेरोल पर रहेंगे. 14 फरवरी को दोपहर 12 के पूर्व जेल में रिपोर्ट करेंगे. पेरोल की अवधि पूरी होने पर व जेल में रिपोर्ट का हलफनामा दाखिल किया जाए. कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि कपिलमुनि करवरिया पेरोल का दुरुपयोग नहीं करेंगे.

वह प्रयागराज से बाहर नहीं जाएंगे और अपने यहां के विवाह समारोह के अलावा अन्य किसी आयोजन में सम्मिलित नहीं होंगे. कोर्ट ने एसएसपी प्रयागराज को उनके पेरोल की मॉनीटरिंग करने का निर्देश भी दिया है. उधर, कपिलमुनि करवरिया के छोटे भाई पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया की पेरोल अर्जी न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति शेखर यादव की खंडपीठ ने खारिज कर दी है.

[08/02, 21:10] Krishna Ji Shukla: प्रयागराज। विधि संवाददाता
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जवाहर पंडित हत्याकांड में जेल में निरुद्ध पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया का तीन दिन का पैरोल मंजूर किया है। यह पैरोल उन्हें अपने छोटे भाई पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की पुत्री के विवाह के लिए मिला है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल एवं न्यायमूर्ति पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कपिलमुनि करवरिया की ओर से दाखिल अर्जी पर वरिष्ठ अधिवक्ता कमल कृष्ण व अधिवक्ता भुवनराज को सुनकर दिया है। पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया था कि उन्हें अपने छोटे भाई की पुत्री के विवाह में सम्मिलित होना है इसलिए उनका एक सप्ताह का पैरोल मंजूर किया जाए। अर्जी में विवाह समारोह 12 फरवरी को बताते हुए सात फरवरी से एक सप्ताह के पैरोल की मांग की गई थी। कहा गया था कि परिवार से सबसे बड़े होने के नाते विवाह समारोह में उन्हें कन्यादान करना है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने उनका तीन दिन का पैरोल मंजूर कर लिया। कोर्ट ने कहा कि वह 11 से 13 फरवरी तक पुलिस हिरासत में पैरोल पर रहेंगे।  14 फरवरी को दोपहर 12 के पूर्व जेल में रिपोर्ट करेंगे। पैरोल की अवधि पूरी होने पर व जेल में रिपोर्ट का हलफनामा दाखिल किया जाए। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि कपिलमुनि करवरिया पैरोल का दुरुपयोग नहीं करेंगे। वह प्रयागराज से बाहर नहीं जाएंगे और अपने यहां के विवाह समारोह के अलावा अन्य किसी आयोजन में सम्मिलित नहीं होंगे। कोर्ट ने एसएसपी प्रयागराज को उनके पैरोल की मॉनीटरिंग करने का निर्देश भी दिया है। उधर, कपिलमुनि करवरिया के छोटे भाई पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया की पैरोल अर्जी न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति शेखर यादव की खंडपीठ ने खारिज कर दी है।
[08/02, 21:13] Krishna Ji Shukla: प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गवर्नमेंट पीजी कॉलेज देवबंद सहारनपुर के रिटायर्ड प्रिंसिपल के खिलाफ आदेश पारित करने के मामले में जिलाधिकारी सहारनपुर  को कारण बताओ नोटिस जारी किया है ।कोर्ट ने उनसे पूछा है की तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए किस अधिकार से उन्होंने आदेश पारित किया है। कोर्ट ने डीएम को स्पष्ट करने के लिए कहा है कि यदि उनका आदेश उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का और शक्ति का बेजा इस्तेमाल पाया जाता है तो क्यों ना उनके ऊपर ऊपर भारी जुर्माना लगाया जाए, जिसकी वसूली उनके वेतन से की जाएगी कोर्ट ने डीएम को 13 फरवरी तक अपना स्पष्टीकरण हलफनामे के मार्फत देने को कहा है । अशोक कुमार शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने दिया है। ने दिया है। दिया है। याचिका पर पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और विभु राय का कहना था था का कहना था कहना था राय का कहना था था राय का कहना था था का कहना था जिलाधिकारी सहारनपुर ने अपनी शक्तियों का बेजा इस्तेमाल कर रिटायर्ड प्रिंसिपल के के खिलाफ आदेश पारित किया है जबकि उनके खिलाफ हुई जांच में निर्दोष पाए गए थे और राज्यपाल ने उनको दोषमुक्त किया था जिलाधिकारी ने राज्यपाल व हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर आदेश पारित किया है पुलिस मामले के अनुसार 20 नवंबर 2006 को पीजी कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया प्रतिपक्ष जो कि विकलांग था था विकलांग था था कि विकलांग था था विकलांग था उसने भी आवेदन किया उसकी नियुक्ति नहीं हो सकी तो इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका   दाखिल की ।याची ने प्रिंसिपल के खिलाफ सरकार में भी शिकायत की। उसकी शिकायत पर जांच कमेटी गठित की गई और जांच के बाद राज्यपाल ने प्रिंसिपल को निर्दोष पाया। इसके बाद हाइकोर्ट से याचिका वापस ले ली गई। 2016 में नया कानून आने के बाद याची ने फिर शिकायत की और डीएम ने उस पर संज्ञान ले कर आदेश पारित कर दिया। इस आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी।
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