प्रयागराज: अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की मौत मामले में आरोपी शिष्य आनंद गिरी उर्फ अशोक कुमार चोटिया की जमानत अर्जी पर सुनवाई एक बार फिर टल गई. सीबीआई के अधिवक्ता संजय यादव ने कोर्ट को बताया कि जवाबी हलफनामा 23 फरवरी को दाखिल किया गया है. हलफनामा पत्रावली के साथ अपलोड न होने से सुनवाई नहीं हो सकी. कोर्ट ने महानिबंधक कार्यालय को यथाशीघ्र अपलोड करने का निर्देश दिया और याची अधिवक्ता को इस हलफनामे का जवाब दाखिल करने का समय दिया है. अर्जी पर अगली सुनवाई 7 मार्च को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने दिया है.
सीबीआई अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया था कि आस्ट्रेलिया में भारतीय उच्चायुक्त से जानकारी मिली है कि आनंद गिरी को छेड़छाड़ के आरोप में सिडनी पुलिस ने हिरासत में लिया था. बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया और वे भारत आ गये. कोर्ट ने प्राप्त जानकारी को हलफनामे के जरिए एक हफ्ते में दाखिल करने का समय दिया था. इस पर सीबीआई ने हलफनामा दाखिल किया है.
याची के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी ने कहा था कि सुनने में आया है कि आस्ट्रेलिया में गिरफ्तारी की गयी थी. इसपर कोर्ट ने सीबीआई को आस्ट्रेलिया से जानकारी लेकर बताने को कहा था. मालूम हो कि महंत नरेंद्र गिरी की फांसी के फंदे से लटक कर आत्महत्या से पहले लिखे सुसाइड नोट में हत्या के लिए आनंद गिरी व दो अन्य को जिम्मेदार करार दिया है. इसके बाद पुलिस ने आनंद गिरी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
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प्रयागराज की अधीनस्थ अदालत ने आरोपों को गंभीर माना और जमानत अर्जी खारिज कर दी. तो हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की गई. याची का कहना है कि नरेन्द्र गिरी उसके गुरू थे. आरोप झूठा है, उन्हें फंसाया गया है. आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप निराधार है. याची के विरुद्ध कोई सबूत नहीं है, जिससे उन्हें दोषी ठहराया जा सके. इसलिए जमानत पर रिहा किया जाए.
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