प्रयागराजः ऑक्सीजन की कमी पर हाईकोर्ट सख्त रवैया अपना रहा है. 4 मई को जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई थी. 9 जिलों के डिस्ट्रिक्ट जज की ओर से कोविड को लेकर अदालत में रिपोर्ट दाखिल की गई थी. एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने इस दौरान राज्य सरकार के कोविड को लेकर उठाए गए कदमों और चिंता से भी अवगत कराया था. आज हाईकोर्ट में ऑक्सीजन की कमी मामले पर फिर से सुनवाई होगी.
कोर्ट ने ऑक्सीजन की कमी से मौत को कहा 'नरसंहार'
4 मई को एक सख्त टिप्पणी में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति न होने से कोविड-19 मरीजों की मौत को आपराधिक कृत्य करार देते हुए कहा था कि यह उन अधिकारियों द्वारा 'नरसंहार से कम नहीं, जिन्हें इसकी सतत आपूर्ति की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. अदालत ने यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही उन खबरों पर दिया था जिनके मुताबिक ऑक्सीजन की कमी के कारण लखनऊ और मेरठ जिले में कोविड-19 मरीजों की जान गई. अदालत ने लखनऊ और मेरठ के जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इनकी 48 घंटों के भीतर तथ्यात्मक जांच करें.
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