ETV Bharat / state

लव जिहाद अध्यादेश की चुनौती याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई आज - प्रयागराज ताजा समाचार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लव जिहाद अध्यादेश की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार से 4 जनवरी तक जवाब मांगा था. हाईकोर्ट इस पर आज सुनवाई करेगा.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट
author img

By

Published : Jan 7, 2021, 7:30 AM IST

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश सरकार के लव जिहाद से धर्म परिवर्तन को लेकर जारी अध्यादेश की चुनौती याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 4 जनवरी तक जवाब मांगा था. प्रदेश सरकार ने याचिका को सुनवाई के लिए 7 जनवरी को पेश करने का निर्देश दिया है.

यह आदेश 18 दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने सौरभ कुमार की जनहित याचिका पर दिया है. जनहित याचिका में अध्यादेश को नैतिक और संवैधानिक रूप से अवैध बताते हुए रद्द करने की मांग की गयी है और कहा गया है कि इस कानून के तहत उत्पीड़न पर रोक लगायी जाए.

याचिका के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 31 अक्तूबर 2020 को बयान दिया था कि उनकी सरकार लव जिहाद के खिलाफ कानून लाएगी. उनका मानना है कि मुस्लिम द्वारा हिन्दू लडकी से शादी, धर्म परिवर्तन कराने के षडयंत्र का हिस्सा है. एक मामले की सुनवाई करते हुए एकल पीठ ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन को अवैध करार दिया है. इसके बाद यह बयान आया और अध्यादेश जारी किया गया है. हालांकि एक खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले के विपरीत फैसला सुनाया और कहा है कि दो बालिग किसी भी धर्म के हों वह अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं. धर्म बदलकर शादी करने को गलत नहीं माना जा सकता है. खंडपीठ ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद से जीवन साथी और धर्म चुनने का संवैधानिक अधिकार है. यह अध्यादेश सलामत अंसारी केस के फैसले के विपरीत है और जीवन के अधिकार अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है, इसलिए इसे असंवैधानिक घोषित किया जाए.

फिलहाल कोर्ट ने कोई अंतरिम राहत न देते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा था. राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि प्रदेश में कानून व्यवस्था, धार्मिक सौहार्द कायम रखने और सामाजिक ताने-बाने को सुदृढ़ रखने के लिए अध्यादेश जरूरी है, संविधान सम्मत है. याचिका की अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी.

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश सरकार के लव जिहाद से धर्म परिवर्तन को लेकर जारी अध्यादेश की चुनौती याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 4 जनवरी तक जवाब मांगा था. प्रदेश सरकार ने याचिका को सुनवाई के लिए 7 जनवरी को पेश करने का निर्देश दिया है.

यह आदेश 18 दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने सौरभ कुमार की जनहित याचिका पर दिया है. जनहित याचिका में अध्यादेश को नैतिक और संवैधानिक रूप से अवैध बताते हुए रद्द करने की मांग की गयी है और कहा गया है कि इस कानून के तहत उत्पीड़न पर रोक लगायी जाए.

याचिका के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 31 अक्तूबर 2020 को बयान दिया था कि उनकी सरकार लव जिहाद के खिलाफ कानून लाएगी. उनका मानना है कि मुस्लिम द्वारा हिन्दू लडकी से शादी, धर्म परिवर्तन कराने के षडयंत्र का हिस्सा है. एक मामले की सुनवाई करते हुए एकल पीठ ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन को अवैध करार दिया है. इसके बाद यह बयान आया और अध्यादेश जारी किया गया है. हालांकि एक खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले के विपरीत फैसला सुनाया और कहा है कि दो बालिग किसी भी धर्म के हों वह अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं. धर्म बदलकर शादी करने को गलत नहीं माना जा सकता है. खंडपीठ ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद से जीवन साथी और धर्म चुनने का संवैधानिक अधिकार है. यह अध्यादेश सलामत अंसारी केस के फैसले के विपरीत है और जीवन के अधिकार अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है, इसलिए इसे असंवैधानिक घोषित किया जाए.

फिलहाल कोर्ट ने कोई अंतरिम राहत न देते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा था. राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि प्रदेश में कानून व्यवस्था, धार्मिक सौहार्द कायम रखने और सामाजिक ताने-बाने को सुदृढ़ रखने के लिए अध्यादेश जरूरी है, संविधान सम्मत है. याचिका की अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.