प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिवंगत सहायक अध्यापकों की ग्रेच्युटी ब्याज सहित सभी भुगतान चार सप्ताह में करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि तय समय में भुगतान न करने पर 18 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज भी देना पड़ेगा. यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल (Justice Rohit Ranjan Agarwal) ने शवाब हैदर जैदी और दस अन्य की अवमानना याचिकाओं पर दिया है.
याचिका पर अधिवक्ता कमल कुमार केसरवानी (Advocate Kamal Kumar Kesarwani) ने बहस की. इनका कहना था कि याची की पत्नी बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत थीं जिनकी मृत्यु सेवाकाल में हो गई थी. मृत्यु के बाद उनके समस्त देयकों का भुगतान कर दिया गया लेकिन ग्रेच्युटी का भुगतान यह कह कर नहीं किया गया कि उन्होंने 60 साल में सेवानिवृत्ति विकल्प का चयन नहीं किया था. इसलिए वह ग्रेच्युटी पाने की हकदार नहीं हैं क्योंकि 60 साल में सेवानिवृत्ति विकल्प भरने वाले अध्यापकों को ही ग्रेच्युटी पाने का अधिकार है.
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62 साल तक सेवा करने वाले अध्यापकों को ग्रेच्युटी पाने का अधिकार नहीं है. इस पर याचिका की गई जिसे एकल पीठ ने ऊषारानी केस के आधार पर निस्तारित करते हुए दो माह में आठ प्रतिशत ब्याज सहित ग्रेच्युटी का भुगतान करने का आदेश दिया. विभाग ने इस आदेश के विरुद्ध विशेष अपील दाखिल की जो खारिज हो गई. उसके बाद भी भुगतान न होने पर अवमानना याचिका की गई तो सरकार ने ऊषारानी केस के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका लंबित होने पर भुगतान नहीं किया. बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार की याचिका खारिज कर दी और राज्य सरकार को चार सप्ताह में भुगतान का आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा चार सप्ताह में भुगतान न होने पर 18 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज देना पड़ेगा. हाईकोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के हवाले से सभी 11 याचियों को ग्रेच्युटी सहित सभी भुगतान चार सप्ताह में करने का निर्देश दिया. नियमानुसार ग्रेच्युटी भुगतान में देरी होने पर अध्यापक को 8 फीसदी व्याज पाने का अधिकार है.
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