ETV Bharat / state

गुरु तेग बहादुर की तपस्थली में मौजूद है अनोखा कुआं, इसके पवित्र जल के सेवन से होती है संतान की प्राप्ति - गुरु नानक देव

सिखों के गुरु तेग बहादुर की तपस्थली में मौजूद कुएं के पानी से रोगों का नाश होता है. इसके अलावा कुएं की कई मान्यताएं हैं. आइये प्रयागराज के पक्की संगत गुरुद्वारे में स्थित इस अनोखे कुएं की कहानी जानते हैं.

etv bharat
गुरु तेग बहादुर की तपस्थली में मौजूद कुआं
author img

By

Published : Jul 2, 2022, 5:35 PM IST

प्रयागराज: अहियापुर स्थित पक्की संगत गुरुद्वारा एक पवित्र तीर्थ स्थल है. परिवार और सिख संतो के साथ तीर्थ यात्रा पर निकले गुरु तेग बहादुर प्रयागराज भी आए थे. यहां आकर वो पक्की संगत गुरुद्वारे पर ही ठहर गए. गुरुद्वारे के पास बलुआघाट से होकर गंगा और यमुना नदी बहती थी. वहां उन्होंने गंगास्नान किया और झोपड़ी बनाकर 700 सिख संतों के साथ तप करने लगे. यहां उन्होंने एक कुएं की स्थापना की थी. यह कुंआ यहां आज भी मौजूद है और इसके पवित्र जल से तमाम रोगों का इलाज होता है. यह भी कहा जाता है कि इस पवित्र जल के सेवन से संतान की प्राप्ति होती है.

गुरुद्वारे के महंत ज्ञान सिंह बताते हैं कि 1660 में गुरु तेग बहादुर यहां पहुंचे. तब कुछ दूर पर स्थित भारद्वाज आश्रम से गंगा बहती थी और यहीं बगल में स्थित बलुआघाट में संगम हुआ करता था. गुरु तेग बहादुर ने बलुआघाट के बगल में अपना आश्रम बनाया और यहीं तप करने लगे. यहां उन्होंने 6 महीने तक तप किया था. जिसे आज भी तपस्थली के नाम से जाना जाता है. गुरु तेग बहादुर के अलावा गुरु नानक देव ने भी यहां का दौरा किया था. इस स्थान जिक्र गुरु गोविंद सिंह की आत्मकथा में भी किया गया है.

जानकारी देते हुए गुरुद्वारे के महंत ज्ञान सिंह
महंत ज्ञान सिंह बताते हैं कि एक बार गुरु तेग बहादुर के साथ रह रही उनकी माता ननकी ने प्रपौत्र के दर्शन करने की इच्छा जाहिर की. गुरु तेग बहादुर ने कहा कि सब परमात्मा के हाथ में है और इतना कहकर संतगणों के साथ गंगा स्नान करने चले गए. माता ननकी गंगास्नान करने नहीं जा पाई और गुरु तेग बहादुर के लौटने के बाद उन्होंने भी गंगा स्नान करने की इच्छा जाहिर की. गुरु तेग बहादुर ने कहा ठीक है माते आप परेशान मत होइये हम गंगा, यमुना, सरस्वती को यहीं बुला देते हैं. इसके बाद उन्होंने प्रार्थना की और कुएं का निर्माण कराया. इस दौरान कुएं में तीनों नदियों का जल प्राप्त हो गया, जिसके बाद माता ननकी ने स्नान किया.
etv bharat
गुरु तेग बहादुर की तपस्थली में मौजूद कुआं

यह भी पढ़ें- देश का पहला ऐसा पुस्तकालय जिसने तैयार किए देशभक्त और आंदोलनकारी, जानें इसकी कहानी..

कहा जाता है कि माता ननकी ने इस पानी से स्नान कर इसकी महिमा पहचानी. उन्होंने गुरु तेग बहादुर की पत्नी 'माता गुजरी' को इस पानी से स्नान कराया, जिसके बाद माता गुजरी गर्भवती हो गई थीं. तब से यह मान्यता है कि जिस परिवार में संतान न हो रहा हो, 40 दिन तक इसका जल ग्रहण करने से संतान की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं किसी भी रोग से ग्रसित मरीज इसका जल ग्रहण करे तो उसके कष्ट दूर हो जाते हैं.

यह कुआं आज भी पक्की संगत गुरुद्वारे में मौजूद है. आसपास के सारे कुएं सूख गए मगर इस कुएं में आज भी जल मौजूद है. यहां दूर-दूर से लोग आते हैं और जल ले जाते हैं. वहीं गुरुद्वारे में आज भी ऐतिहासिक कीमती सामान कृपाण, संख, तलवार, गुरु तेग बहादुर का कमरा मौजूद है. सिख समुदाय के साथ सभी धर्मों के लोग आज भी यहां पर आते हैं और इस पवित्र स्थली के दर्शन करते हैं. यहां समय-समय पर भंडारे का आयोजन किया जाता है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

प्रयागराज: अहियापुर स्थित पक्की संगत गुरुद्वारा एक पवित्र तीर्थ स्थल है. परिवार और सिख संतो के साथ तीर्थ यात्रा पर निकले गुरु तेग बहादुर प्रयागराज भी आए थे. यहां आकर वो पक्की संगत गुरुद्वारे पर ही ठहर गए. गुरुद्वारे के पास बलुआघाट से होकर गंगा और यमुना नदी बहती थी. वहां उन्होंने गंगास्नान किया और झोपड़ी बनाकर 700 सिख संतों के साथ तप करने लगे. यहां उन्होंने एक कुएं की स्थापना की थी. यह कुंआ यहां आज भी मौजूद है और इसके पवित्र जल से तमाम रोगों का इलाज होता है. यह भी कहा जाता है कि इस पवित्र जल के सेवन से संतान की प्राप्ति होती है.

गुरुद्वारे के महंत ज्ञान सिंह बताते हैं कि 1660 में गुरु तेग बहादुर यहां पहुंचे. तब कुछ दूर पर स्थित भारद्वाज आश्रम से गंगा बहती थी और यहीं बगल में स्थित बलुआघाट में संगम हुआ करता था. गुरु तेग बहादुर ने बलुआघाट के बगल में अपना आश्रम बनाया और यहीं तप करने लगे. यहां उन्होंने 6 महीने तक तप किया था. जिसे आज भी तपस्थली के नाम से जाना जाता है. गुरु तेग बहादुर के अलावा गुरु नानक देव ने भी यहां का दौरा किया था. इस स्थान जिक्र गुरु गोविंद सिंह की आत्मकथा में भी किया गया है.

जानकारी देते हुए गुरुद्वारे के महंत ज्ञान सिंह
महंत ज्ञान सिंह बताते हैं कि एक बार गुरु तेग बहादुर के साथ रह रही उनकी माता ननकी ने प्रपौत्र के दर्शन करने की इच्छा जाहिर की. गुरु तेग बहादुर ने कहा कि सब परमात्मा के हाथ में है और इतना कहकर संतगणों के साथ गंगा स्नान करने चले गए. माता ननकी गंगास्नान करने नहीं जा पाई और गुरु तेग बहादुर के लौटने के बाद उन्होंने भी गंगा स्नान करने की इच्छा जाहिर की. गुरु तेग बहादुर ने कहा ठीक है माते आप परेशान मत होइये हम गंगा, यमुना, सरस्वती को यहीं बुला देते हैं. इसके बाद उन्होंने प्रार्थना की और कुएं का निर्माण कराया. इस दौरान कुएं में तीनों नदियों का जल प्राप्त हो गया, जिसके बाद माता ननकी ने स्नान किया.
etv bharat
गुरु तेग बहादुर की तपस्थली में मौजूद कुआं

यह भी पढ़ें- देश का पहला ऐसा पुस्तकालय जिसने तैयार किए देशभक्त और आंदोलनकारी, जानें इसकी कहानी..

कहा जाता है कि माता ननकी ने इस पानी से स्नान कर इसकी महिमा पहचानी. उन्होंने गुरु तेग बहादुर की पत्नी 'माता गुजरी' को इस पानी से स्नान कराया, जिसके बाद माता गुजरी गर्भवती हो गई थीं. तब से यह मान्यता है कि जिस परिवार में संतान न हो रहा हो, 40 दिन तक इसका जल ग्रहण करने से संतान की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं किसी भी रोग से ग्रसित मरीज इसका जल ग्रहण करे तो उसके कष्ट दूर हो जाते हैं.

यह कुआं आज भी पक्की संगत गुरुद्वारे में मौजूद है. आसपास के सारे कुएं सूख गए मगर इस कुएं में आज भी जल मौजूद है. यहां दूर-दूर से लोग आते हैं और जल ले जाते हैं. वहीं गुरुद्वारे में आज भी ऐतिहासिक कीमती सामान कृपाण, संख, तलवार, गुरु तेग बहादुर का कमरा मौजूद है. सिख समुदाय के साथ सभी धर्मों के लोग आज भी यहां पर आते हैं और इस पवित्र स्थली के दर्शन करते हैं. यहां समय-समय पर भंडारे का आयोजन किया जाता है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.