प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकारी ने जान बूझकर जवाबी हलफनामे में मांगी गई जानकारी नहीं दी. प्रथम दृष्टया जिस तरीके से जवाबी हलफनामा तैयारकर दाखिल किया गया, उससे साफ पता चलता है कि धारा-83 सीजी/एसटी एक्ट की कार्रवाई की वैधता के मुद्दे पर अधिकारी जवाब नहीं देना चाहते. कोर्ट ने अपने आदेश से साफ तौर पर कार्रवाई की वैधता पर जवाब मांगा है.
उप आयुक्त सीजीएसटी गाजियाबाद ने हलफनामा दाखिल किया. जिसका जवाब देना था, उसी का नहीं दिया. कोर्ट की फटकार के बाद सरकारी अधिवक्ता ने जवाब देने के लिए समय मांगा. इस पर कोर्ट ने पांच हजार रुपये हर्जाना जमा करने की शर्त पर पांच दिन में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. याचिका की सुनवाई 5 मई को होगी.
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यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी (Justice SP Kesarwani) तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी (Justice Jayant Banerjee) की खंडपीठ ने वरूण गुप्ता की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया. कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से हलफनामा दाखिल किया गया जिसमें धारा-83 के बारे में जानबूझकर एक शब्द नहीं लिखा गया. इस धारा-83 की शक्ति के प्रयोग की वैधानिकता पर जवाब मांगा गया था. कोर्ट ने हर्जाना राशि विधिक सेवा समिति हाईकोर्ट इकाई में जमा करने का निर्देश दिया है.
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