प्रयागराज: संगम के किनारे स्थित लेटे हनुमान मंदिर में गुरुवार को मां गंगा की धारा पहुंच गई. चंद ही पलों में हनुमान जी की लेटी हुई आदमकद प्रतिमा गंगा की गोद में समा गई. गंगा में डूबते हुए हनुमान जी के मंदिर के अद्भुत पल को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे. घुटनों तक पानी में चलकर श्रद्धालुओं ने बजरंग बली के दर्शन किए.
बता दें कि प्रयागराज में गंगा और यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. गुरुवार की दोपहर गंगा का पानी त्रिवेणी बांध स्थित लेटे हनुमान मंदिर तक पहुंच गया. ऐसी मान्यता है कि बारिश के दिनों में हर वर्ष मां गंगा लेटे हनुमान जी को स्नान कराने पहुंचती हैं. हनुमान मंदिर में जैसे ही मां गंगा की धारा पहुंची वैसे ही भक्त जयकारे लगाने लगे. भक्तों ने घुटनों तक पानी में चलकर बजरंग बली के दर्शन किए.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और लेटे हनुमान मंदिर के महंत नरेंद्र गिरी ने दूध, दही, घी और शहद समेत पंचामृत से मां गंगा का अभिषेक कर उनकी आरती उतारी. इसके साथ ही लेटे हनुमान जी की शयन मुद्रा वाली आरती उतारी गई. महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि हनुमान जी अब मां गंगा की गोद में शयन करेंगे, क्योंकि हनुमान जी भगवान शिव के 11वें अवतार हैं और गंगा जी शिव जी की जटा से निकली हैं. इसी वजह से बजरंग बली को आशीर्वाद मिला था कि सावन के महीने में मां गंगा उन्हें स्नान करवाने पहुंचेंगी.
ऐसी मान्यता है कि जिस साल हनुमान जी को मां गंगा पहुंचकर इस तरह से स्नान करवाती है, उस साल बजरंज बली सभी तरह की आपदाओं से रक्षा करते हैं. महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि इस बार हनुमान जी का जलाभिषेक मां गंगा ने किया है. इसलिए कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना कम हो गई है. अगर तीसरी लहर आती भी है तो उससे लोगों की जनहानि और नुकसान कम होगा. इसी तरह की मान्यता श्रद्धालुओं की भी है. उनका भी मानना है कि हनुमान जी के इस तरह से गंगा स्नान कर लेने से अब सभी का भला होगा.
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प्रयागराज में गंगा और यमुना के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. गंगा जहां 7 सेमी प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ रही हैं तो वहीं यमुना का जलस्तर भी 5 सेमी प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है. तेज गति से बढ़ता हुआ गंगा का पानी छतनाग में 80.90 मीटर तक पहुंचा है, जबकि फाफामऊ में 81.68 मीटर है. दूसरी तरफ नैनी में यमुना का पानी 81.44 मीटर तक पहुंच गया है. दोनों ही नदियों के लिए खतरे का निशान 84.73 मीटर है. हालांकि अभी दोनों नदियां खतरे के निशान से 2 मीटर तक नीचे हैं, लेकिन बांधों से छोड़ा गया पानी इसी तरह से बढ़ता रहा तो जल्द ही दोनों नदियां खतरे के निशान तक पहुंच सकती हैं.