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कानून के दुरुपयोग के लिए डीएम गोरखपुर पर पांच लाख हर्जाना - बंगला ट्रेड टैक्स विभाग

अदालत की डिक्री के विपरीत कानून हाथ में लेकर सिविल और आपराधिक केस में याची को फंसाकर परेशान करने वाले डीएम गोरखपुर पर हाईकोर्ट ने पांच लाख रुपये हर्जाना लगाया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Nov 18, 2022, 9:40 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अदालत की डिक्री के विपरीत कानून हाथ में लेकर सिविल और आपराधिक केस में याची को फंसाकर परेशान करने वाले डीएम गोरखपुर पर पांच लाख रुपये हर्जाना लगाया है. साथ ही याची के खिलाफ की गई डीएम को कार्यवाही को रद्द कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति सैयद वैज मियां की खंडपीठ ने गोरखपुर में पार्क रोड स्थित बंगला नंबर पांच के मालिक कैलाश जायसवाल की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. कोर्ट ने कहा कि डीएम गोरखपुर ने नियम कानून का सम्मान नहीं किया. याची की वैध जमीन हथियाने के लिए कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया. कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को डीएम के आचरण की जांच कर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया है.

मामले के तथ्यों के अनुसार विवादित संपत्ति 24/25 सितंबर 1999 को तत्कालीन डीएम ने याची के नाम फ्रीहोल्ड की और उसके पक्ष में बैनामा कर दिया. यह बंगला ट्रेड टैक्स विभाग ने किराये पर लिया था. किराया जमा न करने पर याची ने बकाया वसूली वाद दाखिल किया. 29 मार्च 2006 को सिविल वाद मंजूर हो गया और बंगला खाली करने का आदेश हुआ. डिक्री में दीवानी अदालत में कहा गया कि बंगला एक माह में खाली कर देंगे. लेकिन खाली नहीं किया तो हाईकोर्ट में याचिका हुई. कोर्ट ने डीएम और एसएसपी को एक माह में पुलिस बल से बंगला खाली कराने का निर्देश दिया. उसके बाद याची को कब्जा मिला. उसके बाद 30 नवंबर 2010 को कर अधिवक्ता संघ ने आपत्ति दाखिल की, जो खारिज हो गई. उसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया लेकिन खारिज होता रहा. इसके बाद याची ने नक्शा पास कराकर निर्माण शुरू किया. सिटी मजिस्ट्रेट ने इस पर हस्तक्षेप किया तो हाईकोर्ट ने रोक लगा दी और सिटी मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द कर दिया.

इसके बाद डीएम ने फ्रीहोल्ड डीड निरस्त करने का मुकदमा किया. साथ ही गुंडा एक्ट के तहत आपराधिक मुकदमा भी दर्ज कराया. हाईकोर्ट ने चार्जशीट दाखिल होने तक याची को राहत दे दी. चार्जशीट दाखिल होने को भी चुनौती दी गई. उसमें भी याची को कोर्ट ने राहत दे दी. इसके बाद 10 अप्रैल 2019 को दर्जनभर पुलिसवाले और आधा दर्जन अधिकारी याची के घर आए और गाली गलौज की. साथ ही एनकाउंटर में जान से मारने की धमकी भी दी. यह घटना सीसीटीवी में रिकार्ड हो गई. डीएम ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर अपनी कार्रवाई को सही ठहराया. राज्य सरकार ने डीएम को फ्रीहोल्ड रद्द करने का मुकदमा वापस लेने का आदेश दिया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

कोर्ट ने कहा प्राइम लोकेशन की जमीन, याची जिसका वैध मालिक है. उस जमीन को हथियाने के लिए अदालत की डिक्री के बावजूद डीएम ने सिविल और आपराधिक कार्यवाही कर याची को परेशान किया और कानून का दुरुपयोग किया. उसके ऐसे आचरण को उचित नहीं कहा जा सकता. डीएम ने ऐसी कार्यवाही कर स्वयं को एक्सपोज कर दिया. हाईकोर्ट ने इसके लिए डीएम को पांच लाख हर्जाना विधिक सेवा समिति में जमा करने का निर्देश दिया. साथ ही उनके खिलाफ जांच कर विभागीय कार्रवाई करने का आदेश भी दिया है.

यह भी पढ़ें- बरेली जोन में धर्मांतरण कराने वालों पर पुलिस सख्त, अब तक 115 आरोपी भेजे गए जेल

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अदालत की डिक्री के विपरीत कानून हाथ में लेकर सिविल और आपराधिक केस में याची को फंसाकर परेशान करने वाले डीएम गोरखपुर पर पांच लाख रुपये हर्जाना लगाया है. साथ ही याची के खिलाफ की गई डीएम को कार्यवाही को रद्द कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति सैयद वैज मियां की खंडपीठ ने गोरखपुर में पार्क रोड स्थित बंगला नंबर पांच के मालिक कैलाश जायसवाल की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. कोर्ट ने कहा कि डीएम गोरखपुर ने नियम कानून का सम्मान नहीं किया. याची की वैध जमीन हथियाने के लिए कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया. कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को डीएम के आचरण की जांच कर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया है.

मामले के तथ्यों के अनुसार विवादित संपत्ति 24/25 सितंबर 1999 को तत्कालीन डीएम ने याची के नाम फ्रीहोल्ड की और उसके पक्ष में बैनामा कर दिया. यह बंगला ट्रेड टैक्स विभाग ने किराये पर लिया था. किराया जमा न करने पर याची ने बकाया वसूली वाद दाखिल किया. 29 मार्च 2006 को सिविल वाद मंजूर हो गया और बंगला खाली करने का आदेश हुआ. डिक्री में दीवानी अदालत में कहा गया कि बंगला एक माह में खाली कर देंगे. लेकिन खाली नहीं किया तो हाईकोर्ट में याचिका हुई. कोर्ट ने डीएम और एसएसपी को एक माह में पुलिस बल से बंगला खाली कराने का निर्देश दिया. उसके बाद याची को कब्जा मिला. उसके बाद 30 नवंबर 2010 को कर अधिवक्ता संघ ने आपत्ति दाखिल की, जो खारिज हो गई. उसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया लेकिन खारिज होता रहा. इसके बाद याची ने नक्शा पास कराकर निर्माण शुरू किया. सिटी मजिस्ट्रेट ने इस पर हस्तक्षेप किया तो हाईकोर्ट ने रोक लगा दी और सिटी मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द कर दिया.

इसके बाद डीएम ने फ्रीहोल्ड डीड निरस्त करने का मुकदमा किया. साथ ही गुंडा एक्ट के तहत आपराधिक मुकदमा भी दर्ज कराया. हाईकोर्ट ने चार्जशीट दाखिल होने तक याची को राहत दे दी. चार्जशीट दाखिल होने को भी चुनौती दी गई. उसमें भी याची को कोर्ट ने राहत दे दी. इसके बाद 10 अप्रैल 2019 को दर्जनभर पुलिसवाले और आधा दर्जन अधिकारी याची के घर आए और गाली गलौज की. साथ ही एनकाउंटर में जान से मारने की धमकी भी दी. यह घटना सीसीटीवी में रिकार्ड हो गई. डीएम ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर अपनी कार्रवाई को सही ठहराया. राज्य सरकार ने डीएम को फ्रीहोल्ड रद्द करने का मुकदमा वापस लेने का आदेश दिया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

कोर्ट ने कहा प्राइम लोकेशन की जमीन, याची जिसका वैध मालिक है. उस जमीन को हथियाने के लिए अदालत की डिक्री के बावजूद डीएम ने सिविल और आपराधिक कार्यवाही कर याची को परेशान किया और कानून का दुरुपयोग किया. उसके ऐसे आचरण को उचित नहीं कहा जा सकता. डीएम ने ऐसी कार्यवाही कर स्वयं को एक्सपोज कर दिया. हाईकोर्ट ने इसके लिए डीएम को पांच लाख हर्जाना विधिक सेवा समिति में जमा करने का निर्देश दिया. साथ ही उनके खिलाफ जांच कर विभागीय कार्रवाई करने का आदेश भी दिया है.

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