प्रयागराज: संगम नगरी में लाल रक्त का काला कारोबार करने वाले गिरोह का खुलासा प्रयागराज पुलिस ने किया. जहां खून का काला कारोबार करने वाले 12 लोगों को गिरफ्तार करने के साथ ही उनके पास 128 यूनिट ब्लड भी बरामद किया है. शहर के 2 बड़े सरकारी अस्पतालों का फर्जी लेबल लगाकर ये लोग मुंहमांगे दाम पर जरूरत मंदों को खून बेचते थे. हालांकि इस गिरोह के साथ अभी किसी डॉक्टर या अस्पताल की मिलीभगत की जानकारी नहीं मिली है, लेकिन पुलिस अभी इस मामले की और गहनता से तफ्तीश जारी रखे हुए है.
दरअसल, जल्द अमीर बनने की चाहत में इस गैंग ने सैंकड़ो लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर दिया है. सिर्फ ब्लड ग्रुप का टेस्ट करके निकाले गए इस ब्लड को जिन मरीजों ने अपने शरीर में चढ़वाया होगा. उसका फायदा नुकसान का आंकलन कर पाना पुलिस वालों के लिए आसान नहीं है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है की इस तरह का ब्लड चढ़ाना बीमारियों को दावत देने वाला और जानलेवा तक साबित हो सकता है.
प्रयागराज के जार्ज टाउन थाना क्षेत्र की पुलिस ने खून का अवैध कारोबार करने वाले गिरोह का खुलासा किया है. इस गिरोह के सरगना समेत पुलिस ने 12 लोगों को पुलिस ने पकड़ा है. जिसमें अलग-अलग अस्पतालों के बाहर मौजूद रहने वाले गिरोह के एजेंट समेत खून निकालने वाला और ब्लड पैकेट पर सरकारी अस्पतालों की फर्जी स्लिप का प्रिंट निकालने वाला प्रिंटिंग प्रेस संचालक भी शामिल है.
गरीबों से 1500 रुपये में लेते थे ब्लड
पुलिस ने बताया कि इस गिरोह के लोग गरीब और जरूरत मंद लोगों से संपर्क कर उनका ब्लड 1 हजार रुपये से लेकर 1500 रुपये तक देकर निकलवा लेते थे. जब इस गिरोह के लोग अपनी जरूरत पर गरीबों से ब्लड लेते थे तो 1500 रुपये तक देते थे. जबकि गरीब व्यक्ति जब अपने से खून बेचने आता था तो उसे 1 हजार रुपये तक दिया करते थे. ये शातिर लोग गरीबों के शरीर से निकाले गए ब्लड को एक हजार से डेढ़ हजार में खरीदते थे. जबकि उसी एक युनिट ब्लड को ये लोग मरीजों के परिजनों से 7 हजार से लेकर 10 हजार तक में सौदा करके बेचते थे.
कार के अंदर चलता था गैंग का ब्लड बैंक
इस गिरोह का खुलासा करते हुए एसपी सिटी संतोष कुमार मीणा ने बताया कि इस गिरोह का ब्लड बैंक टाटा जेस्ट कार थी. गिरोह के लोग गरीबों का शिकार कर लाते थे और उसी कार के अंदर बैठाकर उनके शरीर से एक युनिट ब्लड निकाल लेते थे. ब्लड निकालने से पहले ये लोग उसके खून की किसी तरह की कोई जांच नहीं करवाते थे. सिर्फ ब्लड ग्रुप का टेस्ट करके पता लगा लेते थे. ब्लड के पैकेट पर अपनी जानकारी के लिए ग्रुप लिखकर स्लिप लगा लेते थे. उसके बाद ब्लड को घर ले जाकर फ्रीजर में रख लेते थे. जहां से जरूरत मंद को ब्लड देने से पहले उस पर मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल और टी बी सप्रू जिला अस्पताल का स्लिप लगाकर दे देते थे. ब्लड के पैकेट पर जिले के बड़े सरकारी अस्पतालों की स्लिप लगी देखकर कोई इस गिरोह पर शक नहीं कर पाता था. जिस वजह से ये गिरोह 2018 से इस काले कारोबार को करने में जुटा हुआ था. सरकारी अस्पतालों का फर्जी स्लिप बनाने वाले प्रिंटिंग प्रेस के मालिक को भी पुलिस ने इस गिरोह के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.
घरेलू लड़ाई की वजह से हुआ गैंग का खुलासा
इस शातिर गैंग का खुलासा होने के पीछे घरेलू लड़ाई मुख्य वजह बनी. एसपी सिटी ने बताया कि गैंग के सरगना शाह मोहम्मद के घर से डायल 112 नंबर शिकायत कर मदद मांगी गई. घरेलू लड़ाई के मामले में पुलिस जब उसके घर के अंदर गई तो घर के अंदर का माहौल देखकर पुलिस को शक हुआ. जिसके बाद मामले की जानकारी अफसरों को दी गई. अफसरों के निर्देश पर अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे जांच पड़ताल करने के साथ ही पूछताछ की गई, जिसके बाद इस काले कारोबार की जानकारी हुई. पुलिस ने एक-एक करके गिरोह से जुड़े 12 लोगों को गिरफ्तार कर लिया.
खून के अवैध कारोबारियों के पास से मिले सामान
इस गिरोह के कब्जे से पुलिस को भारी संख्या में ब्लड के भरे हुए पैकेट के साथ ही खाली पैकेट, स्लिप , रजिस्टर के साथ ही अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं.
- 128 यूनिट ब्लड
- टीबी सप्रू बेली अस्पताल की फर्जी रसीद बुकलेट 5 नई और 3 पुरानी
- टीबी सप्रू और एमएलएन मेडिकल कॉलेज की ब्लड ग्रुप की 350 ब्लड बैग स्लिप
- 2 ब्लड बैग में 10 - 10 यूनिट ब्लड बैग
- 85 इस्तेमाल की हुई ब्लड सैंपल की शीशी,8 नई शीशी
- अलग अलग अस्पतालों के 138 पर्च
- टाटा जेस्ट कार
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