प्रयागराज: सावन के अंतिम सोमवार को हर कोई सुबह से ही भगवान शिव के मंदिर पहुंचकर जलाभिषेक कर रहा है. भोले बाबा के मंदिर में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है. हर तरफ बम-बम भोले का जयकारा लगाते हुए कांवड़िये शिव दरबार पहुंच रहे हैं.
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- प्रयागराज जीरो रोड स्थित हाटकेश्वर नाथ मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ जमा है.
- 150 साल पुराने हाटकेश्वर नाथ मंदिर का पुराना इतिहास है.
- मान्यता है कि सावन माह में हाटकेश्वर नाथ के दर्शन करने से भक्तों के सभी कष्टों का निवारण होता है.
- मंदिर में दूर-दूर से भक्तगण आते हैं और भगवान शिव को जल अर्पित कर पूजा-पाठ करते हैं.
गुजराती नागर ब्राह्मणों ने स्थापित किया था मंदिर-
- पुजारी हरीश चंद्र तिवारी बताते हैं कि मंदिर 150 साल पुराना है.
- जिले में गुजराती नागर ब्राम्हणों के द्वारा भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग को स्थापित किया गया था.
- तभी से यह मंदिर हाटकेश्वर नाथ के नाम से जाना जाने लगा.
- पूरे जिले में हाटकेश्वर नाथ भगवान का सिर्फ एक ही मंदिर है.
- बसंत पंचमी को और सावन माह में पूरे विधि-विधान से भगवान हाटकेश्वर नाथ की पूजा-पाठ की जाती है.
- श्रद्धालुओं की ऐसी मान्यता है कि उनकी मनोकामना को भगवान हाटकेश्वर नाथ पूरा करते हैं.
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आने वाले देश-विदेश के श्रद्धालु हाटकेश्वर नाथ मंदिर आकर भगवान शिव की पूजा-पाठ करते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मनोकामना निश्चित रूप से पूरा होती है. कुंभ और माघ मेले के समय बाहर से आने वाले भक्तों की मंदिर में दर्शन के लिए भीड़ जमा रहती है. सावन माह में भी भक्तगण आते हैं और हाटकेश्वर नाथ महराज को बेल पत्र, धतूरा और दुग्धाभिषेक कर पूजा-अर्चना करते हैं.
-हरीश चंद्र, पुजारी