प्रयागराज: जिले का एक ऐसा शख्स जिसकी दोनों आंखों में रोशनी नहीं है, लेकिन पलक झपकते ही कार और बाइक का पंचर बना देते हैं. प्रयागराज में रहने वाले मोहम्मद आजाद की 33 साल पहले टायर फटने से दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी. रोशनी जाने के बाद मोहम्मद आजाद ने हिम्मत नहीं हारी और तीन साल बाद फिर से वाहनों का पंचर बनाना शुरू किया. उनके इस जज्बे को देखकर हर कोई दंग रह गया.
ट्रक का टायर फटने से चली गई थी आंखों की रोशनी
दोनों आंखों से न दिखने के बावजूद मोहम्मद आजाद के पास दूर-दूर से पंचर बनवाने के लिए ग्राहक उनकी दुकान पर पहुंचते हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए मोहम्मद आजाद ने कहा कि जब वह 33 साल पहले ट्रक के टायर का पंचर बना रहे थे, तभी टायर फटा था और उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी. आंखों की रोशनी जाने के बाद उन्होंने हार नहीं मानी और फिर से पंचर बनाना शुरू किया. आज 45 साल हो गए उन्हें पंचर बनाते हुए.
कई अस्पतालों में इलाज करने के बाद भी नहीं आई रोशनी
मोहम्मद आजाद ने बताया कि उन्होंने कई बड़े-बड़े अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन आंखों की रोशनी वापस नहीं आई. आंखों की रोशनी जाने के तीन साल बाद उन्होंने फिर से पंचर बनाने का काम शुरू किया, लेकिन आंखों से कुछ दिखाई नहीं देता था तो शुरुआत में पंचर बनाने में दिक्कत बहुत आई. फिर धीरे-धीरे दूसरों की मदद लेकर पंचर बनाना शुरू किया और आज 15 से 20 मिनट में बाइक या कार का पंचर बना देते हैं.
टायर ठोक लगाते हैं हवा का अंदाजा
आजाद ने बताया कि दुकान में जब कोई हवा भरवाने आता है तो टायर को ठोककर अंदाजा लगता हूं कि हवा कम है कि ज्यादा. हवा भरने से लेकर पंचर बनाने तक अंदाजा लगाकर काम करता हूं. कभी-कभी मेरा बेटा हवा का मीटर बताने में मदद करता है.
अंधा होने के बावजूद नहीं हारी हिम्मत
आजाद ने बताया कि जब दोनों आंखों की रोशनी गई तो बहुत दिक्कतें आईं. इसके बाद उन्होंने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए फिर काम शुरू किया और आज पंचर बनाकर घर का पालन-पोषण करते हैं.
सरकार से है आर्थिक मदद की उम्मीद
मोहम्मद आजाद ने कहा कि मैं अंधा होने के बावजूद अपना काम करके परिवार को पाल रहा हूं. मैं सरकार से यह उम्मीद करता हूं कि हम जैसे लोगों को सरकार आर्थिक सहयोग करे, जिससे रोजगार में और बढ़ोतरी की जा सके.
बेसहारा न समझें अपने आपको
मोहम्मद आजाद ने कहा कि देश में बहुत से ऐसे व्यक्ति हैं जो शारीरिक रूप से कमजोर हैं, लेकिन हिम्मत से काम कर जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसे बहुत से लोग हैं जो काम नहीं कर रहे हैं. उनसे यही कहना चाहता हूं कि अपने आप को कमजोर न समझें और हिम्मत से काम करेंगे तो कामयाबी निश्चित रूप से मिलेगी.
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