ETV Bharat / state

हाईस्कूल जन्मतिथि को नकार मेडिकल जांच रिपोर्ट को आधार मानना गलत : इलाहाबाद हाईकोर्ट - हाईस्कूल जन्मतिथि को नकार मेडिकल जांच रिपोर्ट को आधार मानना गलत

कोर्ट ने कहा कि बोर्ड ने 2007 की किशोर न्याय नियमावली की प्रक्रिया का पालन नहीं किया और मनमानी की. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने मेहराज शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

हाईस्कूल जन्मतिथि को नकार मेडिकल जांच रिपोर्ट को आधार मानना गलत : इलाहाबाद हाईकोर्ट
हाईस्कूल जन्मतिथि को नकार मेडिकल जांच रिपोर्ट को आधार मानना गलत : इलाहाबाद हाईकोर्ट
author img

By

Published : Jul 14, 2021, 8:52 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि आयु निर्धारण के लिए यदि फर्जी न हो तो हाई स्कूल प्रमाणपत्र ही मान्य है. हाईस्कूल प्रमाणपत्र पर अविश्वास कर मेडिकल जांच रिपोर्ट पर आयु निर्धारण करना ग़लत वह मनमाना पूर्ण है.

कोर्ट ने किशोर न्याय बोर्ड कानपुर नगर व अधीनस्थ अदालत के हाईस्कूल प्रमाणपत्र की अनदेखी कर आपराधिक घटना के समय याची को बालिग ठहराने के आदेशों को रद्द कर दिया है. प्रमाणपत्र के आधार पर उसे घटना के समय नाबालिग घोषित किया गया है.

यह भी पढ़ें : साथ न रह रही महिला के घरेलू हिंसा के वाद को कायम न करने की अर्जी HC ने की खारिज

कोर्ट ने कहा कि बोर्ड ने 2007 की किशोर न्याय नियमावली की प्रक्रिया का पालन नहीं किया और मनमानी की. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने मेहराज शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याची व सह अभियुक्तों के खिलाफ हत्या व अपहरण के आरोप में चार्जशीट दाखिल है. घटना 23 दिसंबर 13 की है.

याची ने कोर्ट में अर्जी दी कि उसे नाबालिग घोषित किया जाय. अंततः मामला हाईकोर्ट पहुंचा. कोर्ट ने कहा एनसीजेएम को आयु निर्धारण करने का अधिकार नहीं है. यह अधिकार किशोर न्याय बोर्ड को है.

किशोर न्याय बोर्ड ने हाईस्कूल प्रमाणपत्र को अविश्वसनीय माना और मेडिकल जांच रिपोर्ट के आधार पर याची की जन्म तिथि 21अप्रैल 96 के बजाय 21अप्रैल 97 माना लेकिन हाईस्कूल प्रमाणपत्र को किसी प्राधिकारी ने फर्जी नहीं करार दिया.

इस पर कोर्ट ने कहा कि नियमावली 2007 में आयु निर्धारण की प्रक्रिया दी गयी है. जन्म प्रमाणपत्र नहीं है तो ही मेडिकल जांच रिपोर्ट के आधार पर आयु निर्धारण किया जाएगा. हाईकोर्ट ने कहा कि स्कूल प्रमाणपत्र या स्थानीय निकाय का जन्म प्रमाणपत्र न होने पर ही मेडिकल जांच रिपोर्ट मान्य होगा. प्रथम साक्ष्य हाईस्कूल प्रमाणपत्र ही है.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि आयु निर्धारण के लिए यदि फर्जी न हो तो हाई स्कूल प्रमाणपत्र ही मान्य है. हाईस्कूल प्रमाणपत्र पर अविश्वास कर मेडिकल जांच रिपोर्ट पर आयु निर्धारण करना ग़लत वह मनमाना पूर्ण है.

कोर्ट ने किशोर न्याय बोर्ड कानपुर नगर व अधीनस्थ अदालत के हाईस्कूल प्रमाणपत्र की अनदेखी कर आपराधिक घटना के समय याची को बालिग ठहराने के आदेशों को रद्द कर दिया है. प्रमाणपत्र के आधार पर उसे घटना के समय नाबालिग घोषित किया गया है.

यह भी पढ़ें : साथ न रह रही महिला के घरेलू हिंसा के वाद को कायम न करने की अर्जी HC ने की खारिज

कोर्ट ने कहा कि बोर्ड ने 2007 की किशोर न्याय नियमावली की प्रक्रिया का पालन नहीं किया और मनमानी की. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने मेहराज शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याची व सह अभियुक्तों के खिलाफ हत्या व अपहरण के आरोप में चार्जशीट दाखिल है. घटना 23 दिसंबर 13 की है.

याची ने कोर्ट में अर्जी दी कि उसे नाबालिग घोषित किया जाय. अंततः मामला हाईकोर्ट पहुंचा. कोर्ट ने कहा एनसीजेएम को आयु निर्धारण करने का अधिकार नहीं है. यह अधिकार किशोर न्याय बोर्ड को है.

किशोर न्याय बोर्ड ने हाईस्कूल प्रमाणपत्र को अविश्वसनीय माना और मेडिकल जांच रिपोर्ट के आधार पर याची की जन्म तिथि 21अप्रैल 96 के बजाय 21अप्रैल 97 माना लेकिन हाईस्कूल प्रमाणपत्र को किसी प्राधिकारी ने फर्जी नहीं करार दिया.

इस पर कोर्ट ने कहा कि नियमावली 2007 में आयु निर्धारण की प्रक्रिया दी गयी है. जन्म प्रमाणपत्र नहीं है तो ही मेडिकल जांच रिपोर्ट के आधार पर आयु निर्धारण किया जाएगा. हाईकोर्ट ने कहा कि स्कूल प्रमाणपत्र या स्थानीय निकाय का जन्म प्रमाणपत्र न होने पर ही मेडिकल जांच रिपोर्ट मान्य होगा. प्रथम साक्ष्य हाईस्कूल प्रमाणपत्र ही है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.