प्रयागराज: कोरोना वायरस का रूप बदल रहा है. यह बहुत ज्यादा संक्रमित करने वाले डेल्टा वेरियंट से बना है. देश में तीसरी लहर का खतरा और डेल्टा प्लस का खतरा गहरा गया है. देश में दूसरी लहर धीमी पड़ने के बाद लोगों ने लापरवाही करना जरूर शुरू कर दिया है. इसलिए तीसरी लहर से अभी भी लोग अनजान हैं. इस बार डेल्टा प्लस बच्चों से ज्यादा बुजुर्गों पर भारी पड़ने वाला है. इसलिए बुजुर्गों को ज्यादा सतर्क रहना पड़ेगा.
डेल्टा प्लस वेरिएंट पहले से ज्यादा शक्तिशाली है, उस पर वैक्सीन का भी असर न के बराबर होगा. डेल्टा प्लस ने भारत में दस्तक देते ही अपना विकराल रूप देना शुरू कर दिया है. डेल्टा प्लस लोगों में बच्चों के प्रति सचेत कर रहा है, लेकिन इस बार डेल्टा प्लस बुजुर्गों पर भारी पड़ने वाला है.
वृद्ध विशेषज्ञ डॉक्टरों का मानना है कि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बड़ों से थोड़ा कम होती है. अभी भारत में ऐसा कोई वैक्सीन नहीं आया है, जो बच्चों में वैक्सीन लगाकर उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सके. इसी तरह बुजुर्गों में भी लागू होती है. बुजुर्गों में कोमामटीज की बीमारी होती है. साथ ही साथ एज डिपेंडेंट चेंज रहता है. यह सब बदलाव की वजह से उनमें इन सब बीमारियों के चांसेस से ज्यादा होते हैं. बच्चों में लगातार फीवर आ रहा है या उनका वजन कम हो रहा है या उन में कुछ बदलाव आ रहा है तो तुरंत जांच कराएं डरे नहीं.
बुजुर्ग लोगों का वैक्सीनेशन कराएं, क्योंकि बुजुर्गों में इम्यूनिटी पावर कम है. क्योंकि इनमे गुर्दे की बीमारी हो, शुगर हो, साथ ही अर्थराइटिस श्वसन क्रिया जैसी तमाम बीमारियां है, जो इम्यूनिटी पावर को घटाती है. इसलिए सावधान रहने की जरूरत है. हालांकि वायरस के लिए नए प्रकार के कारण कितनी घातक हो सकती है, इसका अभी तक कोई संकेत नही मिला है. डॉक्टरों की सलाह है कि घर के बुजुर्गों का समय-समय पर जांच कराते रहने पर इस संक्रमण का प्रभाव कम होगा.
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डेल्टा प्लस वैरिएंट ज्यादा खतरनाक है
अभी तक जितने भी वेरिएंट आए हैं, डेल्टा उनमें सबसे तेजी से फैलता है. अल्फा वेरिएंट भी काफी संक्रामक है, लेकिन डेल्टा इससे 60 पर्सेंट अधिक संक्रामक है. डेल्टा के दो म्यूटेशन- 452R और 478K इम्युनिटी को चकमा दे सकते हैं. डेल्टा से मिलते-जुलते कप्पा वैरिएंट भी वैक्सीन को चकमा देने में कामयाब दिखता है, लेकिन फिर भी यह बहुत ज्यादा नहीं फैला, जबकि डेल्टा वेरिएंट सुपर-स्प्रेडर निकला. देश में कोरोना वायरस की खतरनाक दूसरी लहर इसी वेरिएंट के चलते आई थी. हालांकि यह जरूरी नहीं है कि हर डरावना म्यूटेशन एक खतरनाक वायरस का रूप ले, जबकि कुछ एक्सपर्ट्स को आशंका है कि कहीं यह कोविड-19 महामारी की तीसरी वजह न बन जाए.