प्रयागराजः संगम नगरी में इंसानियत को शर्मसार करने के साथ ही सरकारी लापरवाही को उजागर करने वाली घटना सामने आयी है. यहां गुरुवार को प्रयागराज जंक्शन पर हाईटेंशन तार की चपेट में आने से झुलसे युवक को अस्पताल भेजा गया था. लेकिन वही युवक शुक्रवार को दिन में सड़क किनारे नग्न अवस्था मृत पड़ा हुआ मिला. इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया युवक लावारिस हालत में सड़क पर मरा हुआ कैसे पड़ा मिला इसकी जिम्मेदारी लेने वाला फिलहाल कोई सामने नहीं आया है, बल्कि रेलवे ने एसआरएन अस्पताल मरीज को रेफर कर भेजने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया है.
प्रयागराज जंक्शन पर गुरुवार को गुड्स यार्ड के पास एक युवक ट्रेन की छत पर चढ़ गया था. इस दौरान हाई वोल्टेज तार की चपेट में आने से वह झुलस गया और नीचे गिर पड़ा. इसके बाद उसे प्लेटफॉर्म पर लाया गया, जहां से उसको इलाज के लिए रेलवे हॉस्पिटल ले जाया गया. यहां उसकी गंभीर हालत को देखते हुए एसआरएन हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया गया. इसके बाद उसे जीआरपी वालों के द्वारा एसआरएन अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन शुक्रवार को दिन में उसी झुलसे हुए युवक का शव प्रयागराज जंक्शन के सिटी साइड जाने वाली सड़क के किनारे पड़ा हुआ मिला.
इसके बाद मौके पर पुलिस ने पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. मृतक युवक का नाम अमित कुमार था और वो झारखंड का रहने वाला था. रेलवे कर्मियों के अनुसार युवक की मानसिक हालत खराब थी. शायद यही वजह थी कि वो गुरुवार को ट्रेन की छत पर चढ़ा था, जिस वजह से करेंट की चपेट में आने से बुरी तरह से झुलस भी गया था.
रेलवे स्टेशन से झुलसे हुए युवक अमित को इलाज के लिए रेलवे अस्पताल भेजा गया था, जहां से उसकी गंभीर हालत को देखते हुए एसआरएन अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया था.जिसके बाद जीआरपी वालों ने उसको ले जाकर अस्पताल पहुंचाया.लेकिन एसआरएन अस्पताल में उसका इलाज हुआ या नहीं यह अभी पता नहीं चल सका है. इसके साथ ही घायल युवक अस्पताल से सड़क किनारे जाकर कैसे मर गया, इस सवाल का जवाब भी किसी के पास नहीं है.
रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी एचएस उपाध्याय का कहना है कि रेलवे की तरफ से घायल युवक को इलाज के लिए एसआरएन अस्पताल भेज दिया गया था. वहां से वह सड़क किनारे तक कैसे पहुंचा, उसकी मौत वहां पर कैसे हुई रेलवे को इसकी जानकारी नहीं है. बहरहाल, उत्तर मध्य रेलवे के सीपीआरओ ने इस मामले में एसआरएन अस्पताल की तरफ से लापरवाही किये जाने की आशंका जतायी है. वहीं, इस मामले में एसआरएन का पक्ष जानने के लिए अस्पताल के अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका है.
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