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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर मामले में सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर के चारों तरफ कॉरिडोर को लेकर राज्य सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं.

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Published : Apr 27, 2023, 10:14 PM IST

प्रयागराज: मथुरा वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर के चारों तरफ कॉरिडोर बनाए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने सरकार को यह बताने के लिए कहा है कि वह इस मसले का किस तरीके से समाधान करने के लिए इच्छुक हैं. इसके पूर्व भी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस मामले में मध्यस्थता के जरिए हल निकालने के लिए कहा था, मगर सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई.

इस मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल से सवाल किया कि क्या उन्होंने मध्यस्थता के जरिए मामले के हल निकालने की दिशा में कोई प्रयास किया है. इस पर उनका कहना था कि कोर्ट ने इस संबंध में कोई लिखित आदेश नहीं किया था. दूसरी तरफ मंदिर सेवादारों की ओर से अधिवक्ता संजय गोस्वामी का कहना था की मंदिर परिसर के भीतर तथा प्रबंधन और मंदिर के फंड के अलावा वह सरकार से किसी भी मुद्दे पर बातचीत करने के लिए तैयार है.

संजय गोस्वामी का कहना था कि जो सेवादार अदालत में आए हैं, उन्हें अनिवार्य रूप से बातचीत में शामिल किया जाए. इसके अतिरिक्त और जिस भी पक्ष से सरकार उचित समझे बात कर सकती है. सेवादार मध्यस्थता के जरिए हल निकालने के लिए तैयार हैं. कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट करें कि प्रकरण का हल किस प्रकार से करना चाहती है.

मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 24 मई की तिथि नियत की है. उल्लेखनीय है कि श्री बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका पर राज्य सरकार ने सर्वप्रथम ने सुझाव दिया था कि मंदिर के चारों ओर कॉरिडोर बना दिया जाए ताकि श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित कर किया जा सके. मगर इस पर आने वाले खर्च को लेकर विवाद हो गया.

मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोगों का कहना है कि मंदिर एक प्राइवेट संस्था है तथा इसमें सरकार दखलअंदाजी करना चाहती है जो कि उन्हें मंजूर नहीं है. सेवादार मंदिर की आमदनी से इस बाबत कोई खर्च करने के लिए तैयार नहीं है. जिस पर कोर्ट ने कहा था कि यदि दोनों पक्ष आपस में बैठकर इसका कोई हल निकाल ले तो बेहतर होगा.

यह भी पढ़ें- रेल की पटरियों से पेंड्रोल क्लिप चोरी करने वाले 2 इनामिया चोर गिरफ्तार, भारी मात्रा में क्लिप बरामद

प्रयागराज: मथुरा वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर के चारों तरफ कॉरिडोर बनाए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने सरकार को यह बताने के लिए कहा है कि वह इस मसले का किस तरीके से समाधान करने के लिए इच्छुक हैं. इसके पूर्व भी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस मामले में मध्यस्थता के जरिए हल निकालने के लिए कहा था, मगर सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई.

इस मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल से सवाल किया कि क्या उन्होंने मध्यस्थता के जरिए मामले के हल निकालने की दिशा में कोई प्रयास किया है. इस पर उनका कहना था कि कोर्ट ने इस संबंध में कोई लिखित आदेश नहीं किया था. दूसरी तरफ मंदिर सेवादारों की ओर से अधिवक्ता संजय गोस्वामी का कहना था की मंदिर परिसर के भीतर तथा प्रबंधन और मंदिर के फंड के अलावा वह सरकार से किसी भी मुद्दे पर बातचीत करने के लिए तैयार है.

संजय गोस्वामी का कहना था कि जो सेवादार अदालत में आए हैं, उन्हें अनिवार्य रूप से बातचीत में शामिल किया जाए. इसके अतिरिक्त और जिस भी पक्ष से सरकार उचित समझे बात कर सकती है. सेवादार मध्यस्थता के जरिए हल निकालने के लिए तैयार हैं. कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट करें कि प्रकरण का हल किस प्रकार से करना चाहती है.

मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 24 मई की तिथि नियत की है. उल्लेखनीय है कि श्री बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका पर राज्य सरकार ने सर्वप्रथम ने सुझाव दिया था कि मंदिर के चारों ओर कॉरिडोर बना दिया जाए ताकि श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित कर किया जा सके. मगर इस पर आने वाले खर्च को लेकर विवाद हो गया.

मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोगों का कहना है कि मंदिर एक प्राइवेट संस्था है तथा इसमें सरकार दखलअंदाजी करना चाहती है जो कि उन्हें मंजूर नहीं है. सेवादार मंदिर की आमदनी से इस बाबत कोई खर्च करने के लिए तैयार नहीं है. जिस पर कोर्ट ने कहा था कि यदि दोनों पक्ष आपस में बैठकर इसका कोई हल निकाल ले तो बेहतर होगा.

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