प्रयागराजः जनपद में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों ने सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया है. सपा सरकार के शासनकाल में हुई यूपी लोकसेवा आयोग की तमाम भर्तियों की सीबीआई जांच चल रही है लेकिन सीबीआई जांच की धीमी गति से छात्रों में आक्रोश है. इसके साथ ही तीन वर्षों की सीबीआई जांच में कोई नतीजा न निकलने से भी छात्र सीबीआई के साथ ही सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
नेताओं को याद दिला रहे पुराने वादे
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के फेसबुक पेज, व्हाट्सएप ग्रुप, इंस्टाग्राम, ट्विटर समेत सोशल मीडिया में आयोग के भ्रष्टाचार के दोषियों को सजा देने की मांग तेजी से उठने लगी है. सोशल मीडिया के इस आंदोलन में प्रतियोगी छात्र भाजपा के नेताओं के उन पुराने वीडियो को अपलोड किए हुए हैं. जिसमे वो सत्ता में आने के बाद आयोग के भ्रष्टाचार को उजागर करने के साथ ही भ्रष्टाचारियों को सलाखों के पीछे भेजने का वादा किया था.
परिणाम न मिलने से आक्रोश
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की बहुमत से सरकार बनने के बाद यूपी लोकसेवा आयोग में पिछले सरकार के दौरान हुई तमाम भर्तियों की जांच सीबीआई ने शुरू कर दी लेकिन तीन साल बीतने के बावजूद भी सीबीआई की जांच किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सकी है. सीबीआई जांच की मंद गति और जांच के तरीके पर भी प्रतियोगी छात्र सवाल उठाने लगे हैं. प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनन के बाद 2017 में सपा शासन काल में हुई आयोग की भर्तियों की जांच सीबीआई से करवाने की संस्तुति प्रदेश सरकार ने कर दी थी. इसके साथ ही नवंबर 2017 में केंद्र सरकार ने भी सीबीआई जांच की मंजूरी दे दी थी.
2012 से मार्च 2017 तक सपा शासन काल के दौरान की गईं सभी भर्तियों की जांच सीबीआई ने शुरू कर दी. जिसके बाद सीबीआई टीम जांच करने के लिए जनवरी 2018 में पहली बार आयोग के दफ्तर पहुंची. सीबीआई ने छापेमारी के दौरान आयोग के दफ्तर से कई सरकारी दस्तावेजों के अलावा वहां के कंप्यूटर और हार्ड डिस्क को भी कब्जे में लिया था. इन दस्तावेजों और कंप्यूटर से सीबीआई को भ्रष्टाचार के सबूत भी मिलने की छात्रों ने उम्मीद जतायी है.
छात्रों ने लगाया आरोप
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का आरोप है कि सीबीआई जांच टीम के पहले एसपी रहे राजीव रंजन के नेतृत्व में सीबीआई जांच में काफी तेजी थी. उसी गति और तरीके से जांच चलती तो अब तक भ्रष्टाचारियों के गिरेबां तक कानून का शिकंजा पहुंच चुका होता. लेकिन जांच के शुरुआती दौर में ही सरकार ने एसपी को हटा दिया, जिसके बाद से अब तक जांच मात्र दिखावा बनकर रह गयी है.
छात्रों ने सीबीआई जांच पर भी उठाए सवाल
तमाम प्रतियोगी छात्रों ने सीबीआई की टीम के साथ मिलकर नौ हजार से ज्यादा शिकायती लेटर दिए हैं. जिन पत्रों में तमाम छात्रों ने अलग-अलग भर्तियों में हुई धांधली की जानकारी दी थी. टीम आयोग के दफ्तर से कम्प्यूटर व दस्तावेज भी लेकर गयी. उसके बावजूद जांच का कोई नतीजा न निकलना छात्रों को निराश कर रहा है. भर्तियों की जांच शुरू किए सीबीआई को तीन साल बीत चुके हैं. लेकिन इन तीन साल के बीच में सीबीआई अभी तक सिर्फ दो मुकदमे, वो भी अज्ञात लोगों के खिलाफ, ही दर्ज करवा सकी है.
इसके अलावा सीबीआई टीम को अभी तक किसी तरह की कोई कामयाबी हाथ नहीं लगी है. सीबीआई टीम को अभी तक इस भ्रष्टाचार में कौन-कौन लोग शामिल थे. उनके बारे में किसी तरह का किसी कार्रवाई का खुलासा नहीं कर सकी है. यही वजह है कि सरकार के साथ ही सीबीआई जांच पर से भी छात्रों का भरोसा उठ गया है.
2012-17 की भर्तियों की जांच कर रही सीबीआई
2012 में सपा की सरकार बनने के बाद 2017 तक सपा शासन काल में हुई तमाम भर्तियों की जांच सीबीआई कर रही है. पांच वर्षों के दौरान लोक सेवा आयोग में हजारों पदों पर भर्तियां की गई थीं. जिसमें मुख्य रूप से पीसीएस और पीसीएस-जे के साथ ही तमाम तरह की भर्तियां शामिल थीं. जिसमें लोअर सबोर्डिनेट, समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी, राजस्व निरीक्षक, फूड सेफ्टी ऑफिसर, चिकित्सा अधिकारी, राज्य विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार, एपीओ ,एपीएस समेत कई अन्य तरह की भर्तियां मुख्य थीं.