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वसीम रिजवी के हिंदू धर्म अपनाने के बाद अदालत में वाद दाखिल, जानिए पूरा प्रकरण...

शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी (अब जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी) द्वारा हिंदू धर्म अपनाने के बाद उनके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिका कर्ता ने उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की है.

वसीम रिजवी के हिंदू धर्म अपनाने का बाद अदालत में वाद दाखिल.
वसीम रिजवी के हिंदू धर्म अपनाने का बाद अदालत में वाद दाखिल.
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Published : Dec 8, 2021, 8:52 PM IST

प्रयागराज : शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी (अब जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी) द्वारा हिंदू धर्म अपनाने का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गया है. ख्वाजा गरीब नवाज एसोसिएशन की तरफ से इस मसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है जिसमें उन पर रासुका लगाने की मांग की गई है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि वह अपने बयानों और अपनी लिखी पुस्तक मोहम्मद के जरिए इस्लाम की छवि खराब कर रहा है जिससे सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ सकता है लिहाजा वसीम रिजवी (अब जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी) पर देशद्रोह का मुकदमा चलाते हुए उन पर लीगल एक्शन लिया जाए. साथ ही सोशल मीडिया पर उनका कंटेंट डिलीट कराया जाए.

याचिकाकर्ता ने यह बात कही.
हजरत ख्वाजा गरीब नवाज एसोसिएशन के सचिव मोहम्मद यूसुफ उमर अंसारी ने प्रयागराज में इस संबंध में एक जनहित याचिका दाखिल की है. याचिकाकर्ता का कहना है कि किसी भी राजनीति में हमारे पैगंबर मोहम्मद और पवित्र ग्रंथ कुरान को घसीटना उचित नहीं है. इसी वजह से उन्होंने जनहित याचिका दाखिल की है.

उन्होंने कहा कि वह लगातार विवादित बयान देते हुए आ रहे हैं जिसकी वजह से पूरे विश्व में माहौल बिगाड़ने का काम किया जा रहा है. याचिका में मांग की है कि उन पर रासुका के तहत कार्रवाई की जाए.

ये भी पढ़ेंः नहीं रहे सीडीएस जनरल बिपिन रावत


याचिकाकर्ता मोहम्मद यूसुफ उमर ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद साहब कि दुनिया भर में इबादत की जाती है और पवित्र ग्रंथ कुरान भी 58 इस्लामिक देशों में माना व पढ़ा जाता है. इसमें कोई भी संशोधन नहीं किया जा सकता है. पूरे विश्व में एक ही किताब पब्लिश होती है. उस पर टिप्पणी करना या संशोधन की बात करना सिर्फ विश्वस्तरीय माहौल बिगाड़ने से ज्यादा और कुछ नहीं है.

उन्होंने कहा कि वसीम रिजवी (अब जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी) भारत की संस्कृति सभ्यता एकता अखंडता को तोड़ने का काम कर रहे हैं. याचिकाकर्ता मोहम्मद यूसुफ उमर अंसारी ने कहा कि उन पर 27 मुकदमे दर्ज हैं. जिसका इतना लंबा-चौड़ा आपराधिक इतिहास हो वह लेखक नहीं हो सकता है. उसकी किताब पर प्रतिबंध लगना चाहिए.


याचिकाकर्ता की वकील सहर नकवी का कहना है कि इस पूरे प्रकरण को लेकर वसीम रिज़वी के खिलाफ इलाहाबाद हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. उम्मीद है इस मामले पर हाईकोर्ट सुनवाई करके जल्द फैसला सुनाएगा.

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प्रयागराज : शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी (अब जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी) द्वारा हिंदू धर्म अपनाने का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गया है. ख्वाजा गरीब नवाज एसोसिएशन की तरफ से इस मसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है जिसमें उन पर रासुका लगाने की मांग की गई है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि वह अपने बयानों और अपनी लिखी पुस्तक मोहम्मद के जरिए इस्लाम की छवि खराब कर रहा है जिससे सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ सकता है लिहाजा वसीम रिजवी (अब जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी) पर देशद्रोह का मुकदमा चलाते हुए उन पर लीगल एक्शन लिया जाए. साथ ही सोशल मीडिया पर उनका कंटेंट डिलीट कराया जाए.

याचिकाकर्ता ने यह बात कही.
हजरत ख्वाजा गरीब नवाज एसोसिएशन के सचिव मोहम्मद यूसुफ उमर अंसारी ने प्रयागराज में इस संबंध में एक जनहित याचिका दाखिल की है. याचिकाकर्ता का कहना है कि किसी भी राजनीति में हमारे पैगंबर मोहम्मद और पवित्र ग्रंथ कुरान को घसीटना उचित नहीं है. इसी वजह से उन्होंने जनहित याचिका दाखिल की है.

उन्होंने कहा कि वह लगातार विवादित बयान देते हुए आ रहे हैं जिसकी वजह से पूरे विश्व में माहौल बिगाड़ने का काम किया जा रहा है. याचिका में मांग की है कि उन पर रासुका के तहत कार्रवाई की जाए.

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याचिकाकर्ता मोहम्मद यूसुफ उमर ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद साहब कि दुनिया भर में इबादत की जाती है और पवित्र ग्रंथ कुरान भी 58 इस्लामिक देशों में माना व पढ़ा जाता है. इसमें कोई भी संशोधन नहीं किया जा सकता है. पूरे विश्व में एक ही किताब पब्लिश होती है. उस पर टिप्पणी करना या संशोधन की बात करना सिर्फ विश्वस्तरीय माहौल बिगाड़ने से ज्यादा और कुछ नहीं है.

उन्होंने कहा कि वसीम रिजवी (अब जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी) भारत की संस्कृति सभ्यता एकता अखंडता को तोड़ने का काम कर रहे हैं. याचिकाकर्ता मोहम्मद यूसुफ उमर अंसारी ने कहा कि उन पर 27 मुकदमे दर्ज हैं. जिसका इतना लंबा-चौड़ा आपराधिक इतिहास हो वह लेखक नहीं हो सकता है. उसकी किताब पर प्रतिबंध लगना चाहिए.


याचिकाकर्ता की वकील सहर नकवी का कहना है कि इस पूरे प्रकरण को लेकर वसीम रिज़वी के खिलाफ इलाहाबाद हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. उम्मीद है इस मामले पर हाईकोर्ट सुनवाई करके जल्द फैसला सुनाएगा.

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