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हेड कांस्टेबलों को पदावनत कर पीएसी में भेजने के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती - प्रयागराज खबर

उत्तर प्रदेश के हेड कांस्टेबलों को पदावनत कर पीएसी में भेजे जाने का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गया है. हेडकांस्टेबलों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर पुलिस महकमे के फैसले को चुनौती दी है. इन याचिकाओं पर 28 सितंबर सोमवार को सुनवाई होनी है.

हेडकांस्टेबलों को पदावनत कर पीएसी में भेजने के आदेश को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती
हेडकांस्टेबलों को पदावनत कर पीएसी में भेजने के आदेश को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती
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Published : Sep 25, 2020, 5:47 PM IST

प्रयागराज: यूपी पुलिस के हेड कांस्टेबलों को कांस्टेबल के पद पर पदावनत किए गए सैकड़ों हेडकांस्टेबलों को पीएसी भेजने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट में 28 सितम्बर को होगी. याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता कर रहे हैं. हेड कांस्टेबल पारस नाथ पाण्डेय समेत सैकड़ों हेड कांस्टेबलों ने पदावनत करने के आदेश को चुनौती दी है.

नौ और दस सितंबर को पुलिस मुख्यालय उत्तर प्रदेश की ओर से एक आदेश पारित किया गया, जिसमें विभिन्न जिलों में तैनात 890 हेड कांस्टेबलों को पदावनत कर कांस्टेबल बना दिया गया और इसके बाद पीएसी में भेज दिया गया. इस आदेश पर रोक लगाने के लिए याचिका दाखिल की गई है. प्रदेश सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने शासन से जानकारी लेने के लिए कोर्ट से तीन दिन का समय मांगा.

हेड कांस्टेबलों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने कोर्ट से पदावनत आदेश पर रोक लगाने की मांग की. कोर्ट ने राज्य सरकार को जानकारी लेने के लिए तीन दिन का समय दिया है. याचियों का कहना है कि 20 वर्ष की सेवा के बाद सिविल पुलिस से पीएसी में वापस भेजना शासनादेशों के विरूद्ध है.

प्रयागराज: यूपी पुलिस के हेड कांस्टेबलों को कांस्टेबल के पद पर पदावनत किए गए सैकड़ों हेडकांस्टेबलों को पीएसी भेजने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट में 28 सितम्बर को होगी. याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता कर रहे हैं. हेड कांस्टेबल पारस नाथ पाण्डेय समेत सैकड़ों हेड कांस्टेबलों ने पदावनत करने के आदेश को चुनौती दी है.

नौ और दस सितंबर को पुलिस मुख्यालय उत्तर प्रदेश की ओर से एक आदेश पारित किया गया, जिसमें विभिन्न जिलों में तैनात 890 हेड कांस्टेबलों को पदावनत कर कांस्टेबल बना दिया गया और इसके बाद पीएसी में भेज दिया गया. इस आदेश पर रोक लगाने के लिए याचिका दाखिल की गई है. प्रदेश सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने शासन से जानकारी लेने के लिए कोर्ट से तीन दिन का समय मांगा.

हेड कांस्टेबलों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने कोर्ट से पदावनत आदेश पर रोक लगाने की मांग की. कोर्ट ने राज्य सरकार को जानकारी लेने के लिए तीन दिन का समय दिया है. याचियों का कहना है कि 20 वर्ष की सेवा के बाद सिविल पुलिस से पीएसी में वापस भेजना शासनादेशों के विरूद्ध है.

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