ETV Bharat / state

धीमी पड़ती जा रही चांदी वर्क बनाने वाले औजारों की आवाजें

प्रयागराज में चांदी का वर्क बनाने के कारोबार से जुड़े कारीगरों का हाल बेहाल है. मुश्किल से अपना और अपने परिवार को गुजारा कर पा रहे हैं. जहां एक ओर कोविड संक्रमण से छोटे कामगारों को राहत मिलती दिखाई दे रही हो, लेकिन इस कारोबार से जुड़े लोगों की हालत नहीं सुधर पाई है.

author img

By

Published : Dec 20, 2021, 7:11 AM IST

औजारों की आवाजें
औजारों की आवाजें

प्रयागराज: चांदी का वर्क बनाने वाले कारखानों में अब हथौड़ों और औजारों के टकराने की आवाजे कम होती जा रही हैं. कुछ वर्ष पहले तक ये आवाजें कहीं ज्यादा तेज हुआ करती थी. क्योंकि यहां कई चांदी का वरक बनाने वाले कारीगर हुआ करते थे. लेकिन वक्त के साथ इस उद्योग पर संकट घिरता जा रहा है. प्रतिदिन इन कारीगरों की संख्या भी कम होती जा रही है.



महंगाई बढ़ी लेकिन मजदूरी नहीं
लगभग 45 वर्षों से चांदी का वर्क बनाने वाले अकबरपुर इलाके के मोहमद अल्ताफ कहतें हैं कि महगाई जरूर बढ़ गई है लेकिन उनकी मजदूरी पिछले दस साल में नहीं बढ़ पाई है. साथ ही साथ 10 घंटे की मेहनत करने के बाद तब कहीं जा कर 200 की मजदूरी मिलती है.

महंगाई बढ़ी लेकिन मजदूरी नहीं
यह भी पढ़ें- युवाओं को अब तक का सबसे बड़ा तोहफा, सीएम योगी 25 दिसंबर को देंगे एक लाख फ्री मोबाइल और टैबलेट


इलेक्ट्रिक मशीनों से मजदूरी में आई कमी
वहीं गुलाम मुस्तफा कहते हैं कि इलेक्ट्रिक मशीनों से चांदी वर्क बनाने का काम जब से शुरू हुआ तभी से और उनकी रोजी रोटी पर संकट आ गया है. दिन भर में एक गड्डी से डेढ़ गड्डी बना पाते हैं तब जाकर कहीं सौ से डेढ़ सौ रुपए तक की मजदूरी मिल पाती है. इससे साथ ही दिक्कत तब और होती है जब ऑर्डर नहीं मिलता.

नहीं है कोई और हुनर
वहीं इसी काम को करने वाले अल्ताफ कहते हैं कि रोजगार का उनका जरिया बस यही है, और दूसरा कोई काम नहीं. अगर दूसरा काम सोचते भी हैं तो वो कर नहीं पाते क्योंकि वो काम हमारे लिए भारी पड़ता है. अल्ताफ कहते हैं कि जहां कभी दस से पंद्रह लोग काम किया करते थे, आज वहां गिनती के चार से पांच लोग बचे हैं. काम करने वालों की संख्या भी लगातार कम होती जा रही है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

प्रयागराज: चांदी का वर्क बनाने वाले कारखानों में अब हथौड़ों और औजारों के टकराने की आवाजे कम होती जा रही हैं. कुछ वर्ष पहले तक ये आवाजें कहीं ज्यादा तेज हुआ करती थी. क्योंकि यहां कई चांदी का वरक बनाने वाले कारीगर हुआ करते थे. लेकिन वक्त के साथ इस उद्योग पर संकट घिरता जा रहा है. प्रतिदिन इन कारीगरों की संख्या भी कम होती जा रही है.



महंगाई बढ़ी लेकिन मजदूरी नहीं
लगभग 45 वर्षों से चांदी का वर्क बनाने वाले अकबरपुर इलाके के मोहमद अल्ताफ कहतें हैं कि महगाई जरूर बढ़ गई है लेकिन उनकी मजदूरी पिछले दस साल में नहीं बढ़ पाई है. साथ ही साथ 10 घंटे की मेहनत करने के बाद तब कहीं जा कर 200 की मजदूरी मिलती है.

महंगाई बढ़ी लेकिन मजदूरी नहीं
यह भी पढ़ें- युवाओं को अब तक का सबसे बड़ा तोहफा, सीएम योगी 25 दिसंबर को देंगे एक लाख फ्री मोबाइल और टैबलेट


इलेक्ट्रिक मशीनों से मजदूरी में आई कमी
वहीं गुलाम मुस्तफा कहते हैं कि इलेक्ट्रिक मशीनों से चांदी वर्क बनाने का काम जब से शुरू हुआ तभी से और उनकी रोजी रोटी पर संकट आ गया है. दिन भर में एक गड्डी से डेढ़ गड्डी बना पाते हैं तब जाकर कहीं सौ से डेढ़ सौ रुपए तक की मजदूरी मिल पाती है. इससे साथ ही दिक्कत तब और होती है जब ऑर्डर नहीं मिलता.

नहीं है कोई और हुनर
वहीं इसी काम को करने वाले अल्ताफ कहते हैं कि रोजगार का उनका जरिया बस यही है, और दूसरा कोई काम नहीं. अगर दूसरा काम सोचते भी हैं तो वो कर नहीं पाते क्योंकि वो काम हमारे लिए भारी पड़ता है. अल्ताफ कहते हैं कि जहां कभी दस से पंद्रह लोग काम किया करते थे, आज वहां गिनती के चार से पांच लोग बचे हैं. काम करने वालों की संख्या भी लगातार कम होती जा रही है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.