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31 साल बाद  मिला न्याय, हाईकोर्ट ने बस ड्राइवर की बर्खास्तगी को ठहराया अवैध

हाईकोर्ट ने बस ड्राइवर की बर्खास्तगी को अवैध ठहराया है. कोर्ट ने राज्य सड़क परिवहन निगम (State Road Transport Corporation) के प्रबंध निदेशक को निर्देश दिया है कि याची या वारिसों को चार माह में भुगतान करें.

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Published : Feb 26, 2022, 10:49 PM IST

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हाईकोर्ट ने बस ड्राइवर की बर्खास्तगी को ठहराया अवैध

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बस में बिना टिकट यात्री पकड़े जाने और निर्धारित से कम दूरी तक यात्रा कर सरकार को नुकसान पहुंचाने के आरोप में बस ड्राइवर की बर्खास्तगी को श्रम अदालत के सही ठहराने के अवार्ड को मनमाना पूर्ण और अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है. इसके साथ कहा है कि यात्रियों को भड़का कर जांच टीम की कार्रवाई में बांधा डालने का आरोप गंभीर है. इसलिए बिना दंड दिए नहीं छोड़ा जा सकता. कोर्ट ने कहा है कि याची को बकाए वेतन का केवल 40 फीसदी ही दिया जायेगा, किन्तु अन्य परिलाभों में कोई कटौती नहीं की जाएगी.

कोर्ट ने राज्य सड़क परिवहन निगम (State Road Transport Corporation) के प्रबंध निदेशक को निर्देश दिया है कि याची या वारिसों को चार माह में भुगतान करें. कोर्ट ने कहा कि याची 17 सितंबर 91 को बर्खास्त किया गया और श्रम अदालत ने 2 दिसंबर 2006 को अवार्ड दिया कि बर्खास्तगी सही है. किन्तु याची के पक्ष में दी गई विभागीय जांच पर अपना निष्कर्ष तक नहीं दिया.

अब इतने अंतराल के बाद मामले पर पुनर्विचार करने के लिए वापस भेजना न्याय हित में नहीं होगा. यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने सेवानिवृत्त ड्राइवर लहरी सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याची बस लेकर 8 मार्च 90 को खुर्जा से अलीगढ़ जा रहा था. टीम ने जांच की तो 21 यात्री बेटिकट पाये गये. 15 यात्रियों का पूरा विवरण नहीं दिया था.

इसे भी पढ़ेंः बालाजी हाईटेक कांस्ट्रक्शन के डायरेक्टर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी जमानत

कंडक्टर और ड्राइवर ने यात्रियों को भड़का कर जांच में व्यवधान उत्पन्न किया और बिल पर हस्ताक्षर करने से इंकार किया. 306 किमी. जाना था. केवल 26 किमी तक गये. सरकार को नुकसान पहुंचाया.

12 अप्रैल 91 को विभागीय जांच रिपोर्ट आयी. बेटिकट यात्री के मामले में जांच में याची ड्राइवर को बरी कर दिया गया. बांधा उत्पन्न करने का दोषी करार दिया गया. 17 सितंबर 91 को याची को बर्खास्त कर दिया गया, जिसे श्रम न्यायालय भेजा गया. श्रम अदालत ने सजा सही मानी. कहा विभाग को नुकसान पहुंचाया, जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बस में बिना टिकट यात्री पकड़े जाने और निर्धारित से कम दूरी तक यात्रा कर सरकार को नुकसान पहुंचाने के आरोप में बस ड्राइवर की बर्खास्तगी को श्रम अदालत के सही ठहराने के अवार्ड को मनमाना पूर्ण और अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है. इसके साथ कहा है कि यात्रियों को भड़का कर जांच टीम की कार्रवाई में बांधा डालने का आरोप गंभीर है. इसलिए बिना दंड दिए नहीं छोड़ा जा सकता. कोर्ट ने कहा है कि याची को बकाए वेतन का केवल 40 फीसदी ही दिया जायेगा, किन्तु अन्य परिलाभों में कोई कटौती नहीं की जाएगी.

कोर्ट ने राज्य सड़क परिवहन निगम (State Road Transport Corporation) के प्रबंध निदेशक को निर्देश दिया है कि याची या वारिसों को चार माह में भुगतान करें. कोर्ट ने कहा कि याची 17 सितंबर 91 को बर्खास्त किया गया और श्रम अदालत ने 2 दिसंबर 2006 को अवार्ड दिया कि बर्खास्तगी सही है. किन्तु याची के पक्ष में दी गई विभागीय जांच पर अपना निष्कर्ष तक नहीं दिया.

अब इतने अंतराल के बाद मामले पर पुनर्विचार करने के लिए वापस भेजना न्याय हित में नहीं होगा. यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने सेवानिवृत्त ड्राइवर लहरी सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याची बस लेकर 8 मार्च 90 को खुर्जा से अलीगढ़ जा रहा था. टीम ने जांच की तो 21 यात्री बेटिकट पाये गये. 15 यात्रियों का पूरा विवरण नहीं दिया था.

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कंडक्टर और ड्राइवर ने यात्रियों को भड़का कर जांच में व्यवधान उत्पन्न किया और बिल पर हस्ताक्षर करने से इंकार किया. 306 किमी. जाना था. केवल 26 किमी तक गये. सरकार को नुकसान पहुंचाया.

12 अप्रैल 91 को विभागीय जांच रिपोर्ट आयी. बेटिकट यात्री के मामले में जांच में याची ड्राइवर को बरी कर दिया गया. बांधा उत्पन्न करने का दोषी करार दिया गया. 17 सितंबर 91 को याची को बर्खास्त कर दिया गया, जिसे श्रम न्यायालय भेजा गया. श्रम अदालत ने सजा सही मानी. कहा विभाग को नुकसान पहुंचाया, जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है.

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