प्रयागराज: आज देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की भांजी नयनतारा सहगल का जन्मदिन है. नयनतारा सहगल की पहचान सिर्फ इसलिए नहीं है कि वो पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन की बेटी हैं. उनकी पहचान देश में अंग्रेजी के उन चुनिंदा लेखकों में से एक होने की वजह है, जिनकी लेखनी की सराहना पूरी दुनिया में होती है. जी हां, नयनतारा सहगल अंग्रेजी की उन चुनिंदा लेखकों में से एक हैं.
भारतीय अंग्रेजी लेखिका नयनतारा
नयनतारा के लिखे हुए साहित्यों की वजह से पूरी दुनिया उनकी लेखनी का लोहा मान चुकी है. नयनतारा सहगल ने ममेरी बहन होने के बावजूद इंदिरा गांधी के इमरजेंसी के फैसले के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. उसी तरह से उन्होंने 2015 में असहिष्णुता और मॉब लिंचिंग की घटनाओं से आहत होकर साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया था.
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1927 में संगम नगरी में नयनतारा का जन्म हुआ
जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित की बेटी हैं नयनतारा सहगल. उनका जन्म 10 मई को प्रयागराज में हुआ था. आज नयनतारा अपना 95वां जन्मदिन मना रही हैं. 95 साल पहले 1927 में संगम नगरी में ही नयनतारा जन्म हुआ था. अपनी मां के साथ नेहरू गांधी परिवार के पैतृक आवास आनंद भवन में उन्होंने अपना बचपन गुजारा. गांधी परिवार के इस आंगन आनंद भवन से आज भी उनकी यादें जुड़ी हुई हैं. नयनतारा अब लंबे समय से उत्तराखंड में अपने घर में रह रही हैं.
साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया
अमीरी-गरीबी पर आधारित 'रिच लाइक अस' उपन्यास लिखने के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. अंग्रेजी उपन्यास 'रिच लाइक अस' के लिए उन्हें कई और सम्मान भी मिले. इसके साथ ही उन्हें देश-विदेश में कई दूसरे सम्मान भी मिल चुके हैं. 'प्रिजन एंड चॉकलेट केक' और 'रिच लाइक अस' ऐसे साहित्य रहे हैं. इससे पूरी दुनिया में लोगों ने इस भारतीय अंग्रेजी लेखिका की लेखनी का लोहा मान लिया. 'प्रिजन एंड चॉकलेट केक' टॉपिक उन्होंने अपने बचपन में हुई घटना के आधार पर लिखा था. जब नयनतारा छोटी थीं, तभी घर से अंग्रेज पुलिस ने उनके पिता को गिरफ्तार कर लिया था. हालांकि, बाद में उनके पिता की मौत भी जेल के अंदर ही हो गई थी. उन्होंने अपने जीवन की उसी घटना के नाम पर अपनी लिखी हुई किताब का नाम 'प्रिजन एंड चॉकलेट केक' रखा था.
आजादी के आंदोलन को नयनतारा ने करीब से देखा
नयनतारा सहगल का जन्म देश को आजादी मिलने से 20 साल पहले हुआ था. नेहरू परिवार से जुड़ीं होने की वजह से आजादी की लड़ाई को भी उन्होंने काफी करीब से देखा था. देश के आजाद होने के बाद उनके मामा पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने थे. वहीं, पंडित नेहरू की मौत के बाद फूलपुर लोकसभा सीट से नयनतारा सहगल की मां विजयलक्ष्मी पंडित लोकसभा चुनाव लड़कर सांसद बनी थीं.
नयनतारा ने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया
अक्टूबर 2015 में नयनतारा सहगल ने सरकार से नाराज होकर साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर दी थी. उन्होंने देश में बढ़ती असहिष्णुता और मॉब लिंचिंग की घटनाओं से आहत होकर पुरस्कार वापसी की बात कही थी. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उनके मामा की बेटी थीं और दोनों का एक-दूसरे के साथ सालों से रिश्ता था. लेकिन, सही-गलत की लड़ाई में नयनतारा अपने रिश्ते को छोड़कर देशवासियों की तरफ से बोल रही थीं.
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