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सड़क पर बहती 'ज्ञान की गंगा', छात्रों का संवार रही भविष्य - आईएस प्रयागराज

आईएएस की फैक्ट्री कहे जाने वाले प्रयागराज में हर साल हजारों स्टूडेंट आते हैं. लेकिन विपरीत परिस्थितियों के चलते अपने सपने को पूरा किए बिना ही बहुत से प्रतियोगी छात्र वापस अपने घर को लौट जाते हैं. लेकिन इन विपरीत परिस्थितियों को कुछ हद तक बदलने का काम करती हैं, फुटपाथ पर बिकने वालीं ये किताबें. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट....

सड़क पर बहती 'ज्ञान की गंगा'
सड़क पर बहती 'ज्ञान की गंगा'
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Published : Jan 21, 2021, 2:30 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद विश्वविद्यालय की सड़कों पर दशकों से किताबें बिकती चली आ रहीं हैं. यहां पर सभी प्रकार की किताबों का संग्रह मिलता है. एक से बढ़कर एक किताबों के साथ, अलग-अलग कोर्स की भी किताबें उपलब्ध हैं. वर्ग डी से लेकर आईएएस तक की किताबें बड़ी आसानी से बेहद कम दामों में मिल जाती हैं.

राष्ट्रीय से अंतरराष्ट्रीय लेखकों की किताबें

इन बुकस्टॉलों में अलग-अलग लेखकों की लिखी हुई किताबें तो मिलती ही हैं, इसके अलावा अपने राष्ट्र के ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय लेखकों की भी किताबें मिल जाया करती हैं.

प्रयागराज की सड़कों पर बहती 'ज्ञान की गंगा'.

विद्यार्थियों के लिए आधार हैं ये किताबें

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बाहर से पढ़ने के लिए गरीब व मध्यमवर्ग परिवार से भी छात्र आते हैं. उन विद्यार्थियों के लिए जरूर आधार हैं, ये फुटपाथ पर बिकने वाली किताबें. क्योंकि किसी भी परीक्षा की तैयारी करने के लिए जो किताबें लेनी होती हैं, वह दुकानों में काफी महंगी होती हैं, लेकिन वही किताब यहां पर आधे से भी कम दामों में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं. ऐसे में ये किताबें जरूर कई छात्रों के लिए आधार का काम करती हैं.

चलता-फिरता किताबों का संग्रहालय

पूर्व विश्वविद्यालय अध्यक्ष रहे अभय अवस्थी उर्फ बाबा कहते हैं कि विश्वविद्यालय की सड़कों पर बिकने वाली किताबें, एक तरीके का चलता-फिरता किताबों का संग्रहालय है. जहां पर दुनिया भर की किताबें देखने को मिल जाया करती हैं.

लाइब्रेरी की दिक्कतों का भी समाधान

फूटपाथ पर बिकने वाली ये किताबें विद्यार्थियों के लिए बड़ा आधार हैं. लाइब्रेरी में जब किताबें नहीं मिल पाती हैं तो स्टुडेंट इन बुक स्टॉलों पर बड़ी आसानी के साथ खोज निकाल लिया करते हैं.

कामयाबी की सीढ़ी हैं ये किताबें

श्रद्धा अपनी कामयाबी की बात साझा करते हुए कहती हैं कि उनका जो खंड विकास अधिकारी के रूप में सलेक्शन हुआ है, उसका‌ परिश्रम के साथ कहीं न कहीं फुटपाथ पर बिकने वाली किताबों का भी श्रेय जरूर है. कितने ही किताब प्रेमी, किसी भी स्टाल से किताब खरीद लेते हैं.

हालांकि दिल्ली का दरियागंज भी किताबों के लिए काफी मशहूर है. अगर दिल्ली में रहकर आप भी किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या फिर नावेल की तलाश में हैं तो आपको एक बार दिल्ली के दरियागंज रविवार बुक मार्केट में जरुर जाना चाहिए. पुरानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में हर रविवार को लगने वाले साप्ताहिक बाजार का हर दिल्ली वाला इंतज़ार करता है. गोलचा सिनेमा के आस-पास लगने वाला बाजार खास तौर पर अपनी किताबों के मार्केट के लिए जाना जाता है. जहां आप एक से बढ़कर एक नॉवेल के साथ ही अलग-अलग कोर्सेस की किताबें पा सकते हैं और वो भी बेहद सस्ती. बुक लवर्स के लिए यह जगह स्वर्ग से कम नहीं है. यहां पूरे दिन ही काफी भीड़ को देखा जा सकता है. अगर आप भीड़ से बचना चाहते हैं तो सुबह 9 बजे के बाद आप इस मार्केट में पहुंच सकते हैं.

वहीं संगम नगरी की सड़क पर सालों से बहती आ रही इस ज्ञान की गंगा ने कई अनमोल रत्न दिए हैं. इन किताबों को पढ़कर आज देश के कई छात्र बहुत से विभागों में अच्छे पदों पर आसीन हैं. आज भी ये फुटपाथ की लाइब्रेरी गरीब और मध्यम वर्गीय छात्रों का भविष्य संवार रही है.

प्रयागराज : इलाहाबाद विश्वविद्यालय की सड़कों पर दशकों से किताबें बिकती चली आ रहीं हैं. यहां पर सभी प्रकार की किताबों का संग्रह मिलता है. एक से बढ़कर एक किताबों के साथ, अलग-अलग कोर्स की भी किताबें उपलब्ध हैं. वर्ग डी से लेकर आईएएस तक की किताबें बड़ी आसानी से बेहद कम दामों में मिल जाती हैं.

राष्ट्रीय से अंतरराष्ट्रीय लेखकों की किताबें

इन बुकस्टॉलों में अलग-अलग लेखकों की लिखी हुई किताबें तो मिलती ही हैं, इसके अलावा अपने राष्ट्र के ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय लेखकों की भी किताबें मिल जाया करती हैं.

प्रयागराज की सड़कों पर बहती 'ज्ञान की गंगा'.

विद्यार्थियों के लिए आधार हैं ये किताबें

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बाहर से पढ़ने के लिए गरीब व मध्यमवर्ग परिवार से भी छात्र आते हैं. उन विद्यार्थियों के लिए जरूर आधार हैं, ये फुटपाथ पर बिकने वाली किताबें. क्योंकि किसी भी परीक्षा की तैयारी करने के लिए जो किताबें लेनी होती हैं, वह दुकानों में काफी महंगी होती हैं, लेकिन वही किताब यहां पर आधे से भी कम दामों में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं. ऐसे में ये किताबें जरूर कई छात्रों के लिए आधार का काम करती हैं.

चलता-फिरता किताबों का संग्रहालय

पूर्व विश्वविद्यालय अध्यक्ष रहे अभय अवस्थी उर्फ बाबा कहते हैं कि विश्वविद्यालय की सड़कों पर बिकने वाली किताबें, एक तरीके का चलता-फिरता किताबों का संग्रहालय है. जहां पर दुनिया भर की किताबें देखने को मिल जाया करती हैं.

लाइब्रेरी की दिक्कतों का भी समाधान

फूटपाथ पर बिकने वाली ये किताबें विद्यार्थियों के लिए बड़ा आधार हैं. लाइब्रेरी में जब किताबें नहीं मिल पाती हैं तो स्टुडेंट इन बुक स्टॉलों पर बड़ी आसानी के साथ खोज निकाल लिया करते हैं.

कामयाबी की सीढ़ी हैं ये किताबें

श्रद्धा अपनी कामयाबी की बात साझा करते हुए कहती हैं कि उनका जो खंड विकास अधिकारी के रूप में सलेक्शन हुआ है, उसका‌ परिश्रम के साथ कहीं न कहीं फुटपाथ पर बिकने वाली किताबों का भी श्रेय जरूर है. कितने ही किताब प्रेमी, किसी भी स्टाल से किताब खरीद लेते हैं.

हालांकि दिल्ली का दरियागंज भी किताबों के लिए काफी मशहूर है. अगर दिल्ली में रहकर आप भी किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या फिर नावेल की तलाश में हैं तो आपको एक बार दिल्ली के दरियागंज रविवार बुक मार्केट में जरुर जाना चाहिए. पुरानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में हर रविवार को लगने वाले साप्ताहिक बाजार का हर दिल्ली वाला इंतज़ार करता है. गोलचा सिनेमा के आस-पास लगने वाला बाजार खास तौर पर अपनी किताबों के मार्केट के लिए जाना जाता है. जहां आप एक से बढ़कर एक नॉवेल के साथ ही अलग-अलग कोर्सेस की किताबें पा सकते हैं और वो भी बेहद सस्ती. बुक लवर्स के लिए यह जगह स्वर्ग से कम नहीं है. यहां पूरे दिन ही काफी भीड़ को देखा जा सकता है. अगर आप भीड़ से बचना चाहते हैं तो सुबह 9 बजे के बाद आप इस मार्केट में पहुंच सकते हैं.

वहीं संगम नगरी की सड़क पर सालों से बहती आ रही इस ज्ञान की गंगा ने कई अनमोल रत्न दिए हैं. इन किताबों को पढ़कर आज देश के कई छात्र बहुत से विभागों में अच्छे पदों पर आसीन हैं. आज भी ये फुटपाथ की लाइब्रेरी गरीब और मध्यम वर्गीय छात्रों का भविष्य संवार रही है.

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