प्रयागराजः जिले में 15 अप्रैल को हुई अतीक अहमद और उसके भाई ख़ालिद अज़ीम की सरेआम हुई हत्या के बाद से सभी राजनैतिक दलों के नेताओं ने चुप्पी साध ली है. यही नहीं इस दोहरे हत्याकांड के बाद से चुनाव प्रचार में भी तेजी नहीं दिख रही है.अतीक अहमद के गढ़ शहर पश्चिमी में तो चुनाव का माहौल भी बनता नहीं दिख रहा है.दोहरे हत्याकांड की वजह से इस शहर में अभी तक किसी भी बड़े दल के नेताओं की जनसभा या रैली का आयोजन तक नहीं किया गया है. अतीक अहमद हत्याकांड का निकाय चुनाव पर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा इस पर भी कोई नेता मुंह नहीं खोल रहा है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का कहना है ये इस घटना से चुनाव का कोई लेना-देना नहीं है. यह बेहद संवेदनशील मामला है और उसकी जांच के बाद आगे की कार्यवाई की जाएगी.
मतदान को अब सिर्फ 5 दिन बचे हैं लेकिन शहर में निकाय चुनाव को लेकर प्रचार की रफ्तार भी बेहद सुस्त दिख रही है. जिले में अभी तक बड़े नेताओं की जनसभा या रैली का आयोजन नहीं किया गया है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने जिले में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उन्हें चुनाव प्रचार में जुटने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने निकाय चुनाव में हर सीट पर जीत का दावा किया है.
प्रयागराज में करीब दो हफ्ते पहले हुए बाहुबली अतीक अहमद और अशरफ की हत्याकांड का निकाय चुनाव पर क्या प्रभाव पड़ेगा इस बारे में सीधे तौर पर कुछ भी नहीं बोले. उन्होंने यह कहाकि अतीक अशरफ हत्याकांड का चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है. न ही उसका चुनाव पर कोई असर पड़ेगा. उन्होंने इस दोहरे हत्याकांड को बेहद ही संवेदनशील मामला बताया है. उन्होंने कहाकि सरकार की एजेंसियां इसकी जांच कर रहीं हैं. साथ ही न्यायिक आयोग बनाया गया है वो भी जांच कर रहा है. जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्यवाई की जाएगी.
बता दें कि प्रयागराज में निकाय चुनाव के लिए मतदान 4 मई को होने वाला है. निकाय चुनाव के लिए मतदान होने में अब सिर्फ 5 दिन ही बचे हुए हैं लेकिन अभी तक निकाय चुनाव में किसी भी दल के नेता पूरी ताकत के साथ लड़ते हुए नहीं दिख रहे हैं. 15 अप्रैल को कॉल्विन अस्पताल में हुए दोहरे हत्याकांड के बाद से चुनाव की गति थम सी गयी है. न तो बड़े नेताओं के दौरे हो रहे हैं न ही कोई रोड शो किया जा रहा है. सिर्फ आप के सांसद संजय सिंह ने छोटा सा रोड शो किया है जबकि इससे पहले तक निकाय चुनाव में मोहल्ले में प्रत्याशियों की तरफ से जनसभाओं और रैलियों का आयोजन किया जाता था.वहीं प्रयागराज में हुए अतीक अहमद इस दोहरे हत्याकांड का निकाय चुनाव पर असर तो पड़ेगा.
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के जिंदा रहते हुए उनकी समाजवादी पार्टी से हमेशा नजदीकी रही है लेकिन 2017 के बाद से सपा से अतीक अहमद का मोह भंग हो गया था. मुलायम सिंह यादव के हाथ में सपा की कमान रहने के दौरान अतीक और अशरफ की समाजवादी पार्टी से नजदीकी थी लेकिन सपा की कमान अखिलेश यादव के हाथ मे जाने के बाद से अतीक अहमद की सपा से दूरी बनती गयी. अतीक अशरफ हत्याकांड के बाद सपा के नेता सिर्फ ट्वीट कर विरोध जताने तक ही समिति रहे जिससे अतीक अहमद के समर्थकों में सपा के प्रति गुस्सा दिख रहा है जिसका खामियाजा समाजवादी पार्टी को निकाय चुनाव के दौरान भुगतना पड़ सकता है. वहीं इस दोहरे हत्याकांड के बाद अतीक अहमद के गढ़ शहर पश्चिमी के तमाम इलाकों में नेता खुलकर प्रचार प्रसार करने भी नहीं जा रहे हैं.
निकाय चुनाव में अतीक अहमद के दूसरे नंबर के बेटे अली अहमद के नाम से सोशल मीडिया में एक लेटर वॉयरल किया गया है. इसमें अली की तरफ से अपील करते हुए कहा गया है कि इस पूरी घटना के जिम्मेदार सपा और भाजपा है इसलिये मुस्लिम लोग एकजुट हो जाएं और सोच समझकर मतदान करें. इस वॉयरल पत्र में तमाम आरोप लगाए जाने के साथ ही सपा भाजपा को अतीक की बर्बादी का कारण बताया गया है.साथ ही यह भी कहा गया है कि मुसलमानों को पता है कि उन्हें किसे वोट देना है. इस वॉयरल लेटर का सियासी लाभ फिलहाल बहुजन समाज पार्टी के नेता और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के प्रत्याशियों को ही मिल सकता है.
वहीं, पुलिस भी इस वायरल लेटर की जांच करने में जुट गयी है क्योंकि अतीक अहमद का बेटा अली नैनी सेंट्रल जेल में बंद है ऐसे में उसके नाम से ये लेटर किसने लिखकर वायरल किया है क्योंकि अली फिलहाल जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में बंद है और उससे सुरक्षा की दृष्टि से कोई भी बाहरी व्यक्ति मिल-जुल नहीं रहा है तो अली ने किससे बात करके ये लेटर लिखवाया इसका पता लगाया जा रहा है. साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि किसी नेता ने सिर्फ सियासी लाभ लेने के मकसद से ये फर्जी लेटर बनवाकर वायरल करवाया है तो वो कौन है, उसका भी पता लगाया जा रहा है.
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