प्रयागराज: मुख्य स्थाई अधिवक्ता कार्यालय से मुकदमों की फाइलें समय पर अदालत में न पहुंच पाने से नाराज हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव न्याय को निर्देश दिया है कि वह 2 सप्ताह के भीतर मुख्य स्थाई अधिवक्ता कार्यालय में बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लगवा दें. ताकि कर्मचारियों की समय पर उपस्थिति को सुनिश्चित किया जा सके. कोर्ट ने प्रमुख सचिव को यह भी निर्देश दिया है कि वह फाइल समय से कोर्ट में पहुंचना सुनिश्चित करने के लिए जो भी आवश्यक कदम हो उठाएं. साथ ही महाधिवक्ता से भी अनुरोध किया है कि वह मुख्य स्थाई अधिवक्ता कार्यालय की कार्यशैली सुधारने के लिए आवश्यक कार्रवाई करें.
एक याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की अदालत में सरकारी वकील ने मुकदमे की सुनवाई यह कहते हुए टालने का अनुरोध किया कि मुख्य स्थाई अधिवक्ता कार्यालय से उस मुकदमे की फाइल अब तक उनके पास नहीं आई है. कोर्ट ने कहा कि अभी कुछ मिनट पहले मुख्य स्थाई अधिवक्ता के आर सिंह इस अदालत में उपस्थित थे और उन्होंने आश्वासन दिया था कि फाइलें अदालत में समय पर आ जाएंगी. इसलिए कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए बायोमैट्रिक सिस्टम लगाने की आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने कहा कि इस वक्त 11 बज कर 10 मिनट हुए हैं और अधिकतर मुकदमों की फाइलें अभी तक कोर्ट में नहीं पहुंची हैं. कोर्ट को बताया गया कि मुख्य स्थाई अधिवक्ता कार्यालय के कर्मचारियों के देर से आने की वजह से फाइलें समय पर नहीं पहुंच पाती है. कोर्ट ने कहा कि पिछले कई मौके पर यह देखा गया है कि फाइल न होने की वजह से मुकदमे की सुनवाई टालनी पड़ी. इसका अर्थ यह है कि मुख्य स्थाई अधिवक्ता का कार्यालय ठीक से काम नहीं कर रहा है जिसकी वजह से फाइलें समय पर नहीं आती हैं. जबकि सरकारी वकील अपने समय पर आ जाते हैं. कोर्ट को यह भी बताया गया कि मुख्य स्थाई अधिवक्ता कार्यालय में अधिकतर कर्मचारी आउटसोर्सिंग से रखे गए हैं इसलिए वह समय पर कार्यालय नहीं आते हैं.
इस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव न्याय को निर्देश दिया है कि वह 2 सप्ताह के भीतर मुख्य स्थाई अधिवक्ता कार्यालय में बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लगाना सुनिश्चित करें तथा भी सुनिश्चित किया जाए कि समय पर कोर्ट में पहुंच जाएं. कोर्ट ने महाधिवक्ता से भी अनुरोध किया है कि मुख्य स्थाई अधिवक्ता कार्यालय की कार्यशैली सुधारने के लिए आवश्यक कार्रवाई करें. प्रमुख सचिव न्याय को 16 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर इस संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी देने का निर्देश दिया है.