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जानिए... भाई दूज के तिलक का शुभ मुहूर्त और महत्व

आज भैया दूज है. आज के दिन बहनें भाई को तिलक करके उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. आइए जानते हैं कि भैया दूज का शूभ मुहूर्त क्या है और यह क्यों मनाया जाता है...

भाई दूज
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Published : Nov 6, 2021, 8:07 AM IST

Updated : Nov 6, 2021, 8:20 AM IST

प्रयागराज: कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि यानी गोवर्धन पूजा के अगले दिन भैया दूज पर्व मनाया जाता है. यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का त्योहार है. इस दिन बहनें भाई के माथे पर तिलक करके उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. भाई दूज को भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है.

हिन्दू पंचांग के अनुसार यह त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है. यह तिथि दीपावली के दूसरे दिन आती है. आइए जानते हैं कि आज भाई दूज के तिलक का मुहूर्त, पूजा विधि और मान्यता.

भाई दूज का शुभ मुहूर्त.

इसलिए कहा जाता है यम द्वितीया

हिंदू धर्म के अनुसार, ऐसी धार्मिक आस्था है कि इस दिन बहन के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है. इससे उसके जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दिन बहन भाई की लंबी आयु के लिए यम की भी पूजा करती है. इस कारण इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन जो भाई बहन से तिलक करवाता है, उसे कभी अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता. उसकी आयु निश्चित रूप से लंबी होती है.

भाई दूज का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस साल भाई को तिलक करने के दो शुभ मुहूर्त हैं. पहला मुहूर्त 11:15 से 12:21 तक और दूसरा मुहूर्त 1:30 से 3:21 तक रहेगा. राहुकाल सुबह 9 से 10:30 तक रहेगा.

भाई दूज मनाने का कारण

भाई दूज का पर्व मनाने के पीछे एक पौरणिक कथा प्रचलित है. सूर्य देव की संतान यम और यमी थे, जो भाई-बहन थे. यमुना अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उसके घर आकर भोजन करें, लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे. कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो गई. प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत-सत्कार किया तथा भोजन करवाया.

यम को अनगिनत बार तंग करने के बाद आखिरकार यमी ने अपनी मनोकामना पूरी कर ली. उसके भाई ने आखिरकार उसकी मांगें मान लीं और उससे मिलने आया. दोपहर के भोजन के बाद उन्होंने उनके माथे पर तिलक लगाया और उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना की. ऐसा स्नेह और प्रेम प्राप्त होने पर यमराज ने अपनी बहन से वरदान मांगा. वह प्यारी बहन थी, उसने उत्तर दिया कि वह बस यही चाहती है कि वह हर साल उसके पास जाए, वह कभी भी मृत्यु के देवता यमराज से नहीं डरेगी.

इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए, उसे आपका भय न रहे. अपनी बहन की प्यारी इच्छा सुनकर यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी बहन को आशीर्वाद दिया और उनकी इच्छा पूरी की. इस तरह इस दिन भाई को तिलक लगाकर प्रेमपूर्वक भोजन कराने से परस्पर प्रेम तो बढ़ता ही है, भाई की उम्र भी लंबी होती है.

एक और मान्यता है कि भाई दूज के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण नरकासुर राक्षस का वध करके द्वारिका लौटे थे और तब बहन सुभद्रा ने उन्हें विजयी तिलक लगाकर उनका फल, फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर स्वागत किया था. साथ ही उनकी दीर्घायु की कामना की थी. इसीलिए इस दिन यम देवता और श्रीकृष्ण की पूजा करने का महत्व है.

यह भी पढ़ें: पार्टी जहां से कहेगी, वहां से लड़ूंगा चुनाव: योगी आदित्यनाथ

भाई दूज का पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. वहीं, भाई शगुन के रूप में बहन को उपहार देता है. साथ ही इस दिन भाई और बहन यमुना नदी में स्नान कर तट पर यम और यमुना का पूजन करते हैं, जिससे दोनों ही अकाल मृत्यु से छुटकारा पाकर सुखपूर्वक जीवनयापन करते हैं.

भाई दूज की पूजा विधि

  • इस दिन बहनें प्रात: स्नान कर, अपने ईष्ट देव और विष्णु एवं गणेशजी का व्रत-पूजन करें.
  • इस दिन बहनें अपने भाई को घर बुलाकर तिलक लगाकर उन्हें भोजन कराती हैं.
  • तिलक और आरती के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करें और सदैव उनकी रक्षा का वचन दें.
  • संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर दीये का मुख दक्षिण दिशा की ओर करके रखें.

प्रयागराज: कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि यानी गोवर्धन पूजा के अगले दिन भैया दूज पर्व मनाया जाता है. यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का त्योहार है. इस दिन बहनें भाई के माथे पर तिलक करके उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. भाई दूज को भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है.

हिन्दू पंचांग के अनुसार यह त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है. यह तिथि दीपावली के दूसरे दिन आती है. आइए जानते हैं कि आज भाई दूज के तिलक का मुहूर्त, पूजा विधि और मान्यता.

भाई दूज का शुभ मुहूर्त.

इसलिए कहा जाता है यम द्वितीया

हिंदू धर्म के अनुसार, ऐसी धार्मिक आस्था है कि इस दिन बहन के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है. इससे उसके जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दिन बहन भाई की लंबी आयु के लिए यम की भी पूजा करती है. इस कारण इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन जो भाई बहन से तिलक करवाता है, उसे कभी अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता. उसकी आयु निश्चित रूप से लंबी होती है.

भाई दूज का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस साल भाई को तिलक करने के दो शुभ मुहूर्त हैं. पहला मुहूर्त 11:15 से 12:21 तक और दूसरा मुहूर्त 1:30 से 3:21 तक रहेगा. राहुकाल सुबह 9 से 10:30 तक रहेगा.

भाई दूज मनाने का कारण

भाई दूज का पर्व मनाने के पीछे एक पौरणिक कथा प्रचलित है. सूर्य देव की संतान यम और यमी थे, जो भाई-बहन थे. यमुना अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उसके घर आकर भोजन करें, लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे. कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो गई. प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत-सत्कार किया तथा भोजन करवाया.

यम को अनगिनत बार तंग करने के बाद आखिरकार यमी ने अपनी मनोकामना पूरी कर ली. उसके भाई ने आखिरकार उसकी मांगें मान लीं और उससे मिलने आया. दोपहर के भोजन के बाद उन्होंने उनके माथे पर तिलक लगाया और उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना की. ऐसा स्नेह और प्रेम प्राप्त होने पर यमराज ने अपनी बहन से वरदान मांगा. वह प्यारी बहन थी, उसने उत्तर दिया कि वह बस यही चाहती है कि वह हर साल उसके पास जाए, वह कभी भी मृत्यु के देवता यमराज से नहीं डरेगी.

इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए, उसे आपका भय न रहे. अपनी बहन की प्यारी इच्छा सुनकर यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी बहन को आशीर्वाद दिया और उनकी इच्छा पूरी की. इस तरह इस दिन भाई को तिलक लगाकर प्रेमपूर्वक भोजन कराने से परस्पर प्रेम तो बढ़ता ही है, भाई की उम्र भी लंबी होती है.

एक और मान्यता है कि भाई दूज के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण नरकासुर राक्षस का वध करके द्वारिका लौटे थे और तब बहन सुभद्रा ने उन्हें विजयी तिलक लगाकर उनका फल, फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर स्वागत किया था. साथ ही उनकी दीर्घायु की कामना की थी. इसीलिए इस दिन यम देवता और श्रीकृष्ण की पूजा करने का महत्व है.

यह भी पढ़ें: पार्टी जहां से कहेगी, वहां से लड़ूंगा चुनाव: योगी आदित्यनाथ

भाई दूज का पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. वहीं, भाई शगुन के रूप में बहन को उपहार देता है. साथ ही इस दिन भाई और बहन यमुना नदी में स्नान कर तट पर यम और यमुना का पूजन करते हैं, जिससे दोनों ही अकाल मृत्यु से छुटकारा पाकर सुखपूर्वक जीवनयापन करते हैं.

भाई दूज की पूजा विधि

  • इस दिन बहनें प्रात: स्नान कर, अपने ईष्ट देव और विष्णु एवं गणेशजी का व्रत-पूजन करें.
  • इस दिन बहनें अपने भाई को घर बुलाकर तिलक लगाकर उन्हें भोजन कराती हैं.
  • तिलक और आरती के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करें और सदैव उनकी रक्षा का वचन दें.
  • संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर दीये का मुख दक्षिण दिशा की ओर करके रखें.
Last Updated : Nov 6, 2021, 8:20 AM IST
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