प्रयागराज : भारतीय विधिज्ञ परिषद ने उप्र बार काउन्सिल अध्यक्ष व सदस्य सचिव पद को लेकर मचे घमासान व पद बंटवारे की शिकायत पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है. परिषद ने कहा कि इससे बार काउन्सिल प्रतिष्ठा धूमिल हुई है. भारतीय विधिज्ञ परिषद ने सीधे हस्तक्षेप करते हुए अमरेन्द्र नाथ सिंह, अब्दुल रज्जाक व मधुसूदन त्रिपाठी की तीन सदस्यीय समिति को तत्काल उ प्र बार काउन्सिल का कार्यभार संभाल लेने का प्रस्ताव पारित किया है और कहा है कि अध्यक्ष के चुनाव कराने के कदम उठाए. इसे 8 हफ्ते में पूरा कर लिया जाए.
परिषद ने दो सदस्यों जानकी शरण पांडेय व रोहिताश्व अग्रवाल को बार काउन्सिल के किसी भी कार्य मे हस्तक्षेप करने से रोक दिया है और इनके अध्यक्ष के रूप में कार्य करने पर रोक लगा दी है. साथ ही पूर्व अध्यक्ष अमरेन्द्र नाथ सिंह व मानद सचिव देवेन्द्र मिश्र नगरहा को नया चुनाव होने तक बैंक खातों के संचालन का अधिकार दिया है.
परिषद ने उप्र बार काउन्सिल में शांतिपूर्ण वातावरण कायम रखने के लिए 9 सदस्यीय कमेटी गठित की है और कहा है कि यदि मानद सचिव पद विवादित हो तो तीन सदस्यीय समिति इस पर विचार कर बार काउन्सिल ऑफ इंडिया के सचिव को रिपोर्ट भेजे. भारतीय विधिज्ञ परिषद ने यह कड़ी कार्रवाई एक अधिवक्ता जय प्रकाश श्रीवास्तव की शिकायत पर की है, जिसमें कहा गया है कि बार काउन्सिल के अध्यक्ष पद पर बराबर वोट पाने के कारण एक साल के कार्यकाल का छः माह का बंटवारा कर लिया गया है. सदस्यों का दो ग्रुप आपस में लड़ रहा है. खबरें मीडिया व अखबारों में उठी है, जिससे बार काउन्सिल की गरिमा को ठेस पहुंची है.
परिषद ने कहा कि यदि बराबर वोट मिले तो टास या लाटरी सिस्टम से विजयी तय करना चाहिए. दो लोगों में 6-6 माह के लिए पद का बंटवारा और पद के लिए झगड़ा करना गैर कानूनी है. इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती.