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इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पहचान बना बरगद का पेड़

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में स्थित बरगद का पेड़ उतना ही पुराना है, जितनी पुरानी यूनिवर्सिटी है. अब यह पेड़ यहां की सांस्कृतिक पहचान भी बन चुका है.

प्रयागराजः
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Published : Jun 6, 2021, 11:13 AM IST

प्रयागराजः जिले की धार्मिक पहचान जहां गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम और अक्षयवट के वृक्ष से होती है तो वहीं दूसरी तरफ पूरब का ऑक्सफोर्ड कही जाने वाली इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की पहचान परिसर में स्थित 100 साल से ज्यादा पुराना बरगद का पेड़ बन चुका है. 1887 में लगाया गया ये बरगद का पेड़, इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी का लोगो भी बना दिया गया है.

पहचान बना बरगद का पेड़
विश्वविद्यालय की स्थापना के समय लगाया गया था बरगद का पेड़1887 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की स्थापना के समय से पर्यावरण को विशेष महत्व दिया गया. यही वजह थी कि यूनिवर्सिटी के मुख्य परिसर के बीच में एक बरगद का पेड़ लगया गया और बाद में उसी पेड़ को यूनिवर्सिटी का लोगो बना दिया गया. बीतते वक्त के साथ ये पेड़ अब ज्ञान की गंगा कहे जाने वाले इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की पहचान बन चुका है. यूनिवर्सिटी प्रशासन के हर कार्य में इस लोगो का इस्तेमाल दिखता है. पर्यावरण का महत्व समझेंगे छात्रइलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की जनसंपर्क अधिकारी प्रोफेसर जया कपूर का कहना है कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले हर छात्र को पर्यावरण का महत्व समझाने के उद्देश्य के लिए ही विश्वविद्यालय प्रशासन का आधिकारिक लोगो ये बरगद का पेड़ बना है, जिससे कि छात्रों को ये पता चले कि उनके जीवन के लिए वृक्ष कितने महत्वपूर्ण और उपयोगी हैं. 100 साल से ज्यादा पुराने हो चुके इस पेड़ से विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का लगाव अभी भी कायम है.

इसे भी पढ़ेंः यूपी मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज, राधा मोहन सिंह आज राज्यपाल से करेंगे मुलाकात !

छात्रों ने बरगद की सुरक्षा का संकल्प लेकर किया पौधरोपण
विश्वविद्यालय परिसर में पर्यावरण दिवस के अवसर पर छात्रों ने पहुंचकर इस प्राचीन वृक्ष को नमन करते हुए उसको सुरक्षित रखने का संकल्प लिया. विश्वविद्यालय के वर्तमान छात्रों के साथ ही पूरा छात्र भी इस मौके पर कैंपस में पहुंचे थे और उन्होंने भी वट वृक्ष को नमन करने के साथ पौधे लगाए. इन छात्रों ने कैंपस में बरगद के उसी पेड़ के पास कुछ दूसरे पौधे लगाकर पर्यावरण दिवस को मनाया. छात्रों का कहना है कि यहां पर पढ़ाई के दौरान ही इन पुराने संरक्षित पेड़ों को देखकर मन में पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षा का विचार बन जाता है. इसी वजह से यहां पढ़ने वाले छात्रों का पर्यावरण से विशेष लगाव रहता है.

प्रयागराजः जिले की धार्मिक पहचान जहां गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम और अक्षयवट के वृक्ष से होती है तो वहीं दूसरी तरफ पूरब का ऑक्सफोर्ड कही जाने वाली इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की पहचान परिसर में स्थित 100 साल से ज्यादा पुराना बरगद का पेड़ बन चुका है. 1887 में लगाया गया ये बरगद का पेड़, इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी का लोगो भी बना दिया गया है.

पहचान बना बरगद का पेड़
विश्वविद्यालय की स्थापना के समय लगाया गया था बरगद का पेड़1887 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की स्थापना के समय से पर्यावरण को विशेष महत्व दिया गया. यही वजह थी कि यूनिवर्सिटी के मुख्य परिसर के बीच में एक बरगद का पेड़ लगया गया और बाद में उसी पेड़ को यूनिवर्सिटी का लोगो बना दिया गया. बीतते वक्त के साथ ये पेड़ अब ज्ञान की गंगा कहे जाने वाले इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की पहचान बन चुका है. यूनिवर्सिटी प्रशासन के हर कार्य में इस लोगो का इस्तेमाल दिखता है. पर्यावरण का महत्व समझेंगे छात्रइलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की जनसंपर्क अधिकारी प्रोफेसर जया कपूर का कहना है कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले हर छात्र को पर्यावरण का महत्व समझाने के उद्देश्य के लिए ही विश्वविद्यालय प्रशासन का आधिकारिक लोगो ये बरगद का पेड़ बना है, जिससे कि छात्रों को ये पता चले कि उनके जीवन के लिए वृक्ष कितने महत्वपूर्ण और उपयोगी हैं. 100 साल से ज्यादा पुराने हो चुके इस पेड़ से विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का लगाव अभी भी कायम है.

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छात्रों ने बरगद की सुरक्षा का संकल्प लेकर किया पौधरोपण
विश्वविद्यालय परिसर में पर्यावरण दिवस के अवसर पर छात्रों ने पहुंचकर इस प्राचीन वृक्ष को नमन करते हुए उसको सुरक्षित रखने का संकल्प लिया. विश्वविद्यालय के वर्तमान छात्रों के साथ ही पूरा छात्र भी इस मौके पर कैंपस में पहुंचे थे और उन्होंने भी वट वृक्ष को नमन करने के साथ पौधे लगाए. इन छात्रों ने कैंपस में बरगद के उसी पेड़ के पास कुछ दूसरे पौधे लगाकर पर्यावरण दिवस को मनाया. छात्रों का कहना है कि यहां पर पढ़ाई के दौरान ही इन पुराने संरक्षित पेड़ों को देखकर मन में पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षा का विचार बन जाता है. इसी वजह से यहां पढ़ने वाले छात्रों का पर्यावरण से विशेष लगाव रहता है.

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