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बांके बिहारी मंदिर मामला: मंदिर की सम्पत्ति छोड़ अपनी योजना बताए सरकार, हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

बांके बिहारी मंदिर के चारों तरफ कॉरिडोर बनाए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना है कि मंदिर की धनराशि छोड़कर सरकार बताए कि वह अपनी ओर से क्या कर रही है. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 29 सितंबर तय की है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 18, 2023, 11:01 PM IST

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बांके बिहारी मंदिर मामला

प्रयागराज: मथुरा वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर के चारों तरफ कॉरिडोर बनाए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह कॉरिडोर बनाने और अन्य व्यस्थाओं को लेकर मंदिर की धनराशि को छोड़कर अपनी योजना प्रस्तुत करे. प्रदेश सरकार ने इसके लिए समय दिए जाने की मांग की, जिसे मंजूर करते हुए अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 सितंबर की तिथि नियत की है.

इसके पूर्व भी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस मामले में मध्यस्थता के जरिए हल निकालने के लिए कहा था. लेकिन, उसका कोई समाधान नहीं निकला. मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिकर दिवाकर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल से कहा है कि यदि मंदिर प्रबंधन कॉरिडोर निर्माण पर अपना धन नहीं खर्च करना चाहते हैं तो सरकार बताए कि वह अपनी ओर से क्या करना चाह रही है.

इसे भी पढ़े-हाईकोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर की भूमि का बहीखाता दो माह में दुरुस्त करने का दिया निर्देश

दूसरी तरफ मंदिर सेवादारों की ओर से अधिवक्ता संजय गोस्वामी ने बताया कि सुनवाई सुबह 9:30 बजे हुई. उल्लेखनीय है कि श्री बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई. इस याचिका पर राज्य सरकार ने सर्वप्रथम सुझाव दिया था कि मंदिर के चारों ओर कॉरिडोर बना दिया जाए, ताकि श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित कर किया जा सके. लेकिन, इस पर आने वाले खर्च को लेकर विवाद हो गया. मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोगों का कहना है कि मंदिर एक प्राइवेट संस्था है. इसमें सरकार दखलअंदाजी करना चाहती है, जोकि उन्हें मंजूर नहीं है. सेवादार मंदिर की आमदनी से इस बाबत कोई खर्च करने के लिए तैयार नहीं हैं. जिस पर कोर्ट ने कहा था कि यदि दोनों पक्ष आपस में बैठकर इसका कोई हल निकाल ले तो बेहतर होगा.

यह भी पढ़े-बांके बिहारी मंदिर के नाम दर्ज जमीन की स्थिति बदलने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी, तहसीलदार छाता तलब

प्रयागराज: मथुरा वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर के चारों तरफ कॉरिडोर बनाए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह कॉरिडोर बनाने और अन्य व्यस्थाओं को लेकर मंदिर की धनराशि को छोड़कर अपनी योजना प्रस्तुत करे. प्रदेश सरकार ने इसके लिए समय दिए जाने की मांग की, जिसे मंजूर करते हुए अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 सितंबर की तिथि नियत की है.

इसके पूर्व भी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस मामले में मध्यस्थता के जरिए हल निकालने के लिए कहा था. लेकिन, उसका कोई समाधान नहीं निकला. मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिकर दिवाकर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल से कहा है कि यदि मंदिर प्रबंधन कॉरिडोर निर्माण पर अपना धन नहीं खर्च करना चाहते हैं तो सरकार बताए कि वह अपनी ओर से क्या करना चाह रही है.

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दूसरी तरफ मंदिर सेवादारों की ओर से अधिवक्ता संजय गोस्वामी ने बताया कि सुनवाई सुबह 9:30 बजे हुई. उल्लेखनीय है कि श्री बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई. इस याचिका पर राज्य सरकार ने सर्वप्रथम सुझाव दिया था कि मंदिर के चारों ओर कॉरिडोर बना दिया जाए, ताकि श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित कर किया जा सके. लेकिन, इस पर आने वाले खर्च को लेकर विवाद हो गया. मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोगों का कहना है कि मंदिर एक प्राइवेट संस्था है. इसमें सरकार दखलअंदाजी करना चाहती है, जोकि उन्हें मंजूर नहीं है. सेवादार मंदिर की आमदनी से इस बाबत कोई खर्च करने के लिए तैयार नहीं हैं. जिस पर कोर्ट ने कहा था कि यदि दोनों पक्ष आपस में बैठकर इसका कोई हल निकाल ले तो बेहतर होगा.

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