प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भाई व पति के साथ षड्यंत्र कर सौतन की हत्या कराने की आरोपी मेरठ की आयशा खातून को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य झूठे हो सकते हैं किन्तु निष्कर्ष तक पहुंचने वाली परिस्थितियां झूठ नहीं बोलतीं. यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने दिया है.
इस मामले में मृतका प्रिया की सहेली चंचल चौधरी ने प्रिया के पति शमशाद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी. चंचल चौधरी की अपनी दोस्त प्रिया से बात नहीं हो पा रही थी, जबकि दोनों के बीच लगभग रोज बातें होती थी. चंचल को शक हुआ तो उसने उसके पति शमशाद द्वारा अपहरण किए जाने की आशंका से पुलिस में शिकायत की. पुलिस ने कुछ नहीं किया. इसी बीच शमशाद ने प्रिया के नाम फ्लैट बेच दिया और उसके खाते से पैसे निकाल लिए तब चंचल चौधरी ने प्रतापपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई.
शमशाद गिरफ्तार हुआ तो घटना का खुलासा हुआ. पहले से शादीशुदा शमशाद ने मुस्लिम होते हुए हिन्दू प्रिया से शादी की. दोनों से एक बेटी कशिश पैदा हुई. जब प्रिया को शमशाद की पहले से बीबी बच्चे होने की जानकारी मिली तो झगड़े होने लगे. इधर शमशाद की पहली पत्नी आयशा खातून ने पति को धमकाया प्रिया को खत्म करो नहीं तो मेरा मुंह न देखो.
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याची ने भाई दिलावर के साथ षड्यंत्र किया. जब शमशाद गिरफ्तार हुआ तो बयान दिया कि उसने प्रिया और मासूम बेटी कशिश की हत्या की और लाश घर में दफना दी. सड़ी-गली लाश भी बरामद की गई. याची का कहना था कि हत्या में उसका हाथ नहीं है. बीबी होने के कारण फंसाया गया है। किन्तु कोर्ट ने कहा परिस्थितियां साफ गवाही दे रही है. जमानत अर्जी खारिज कर दी.