ETV Bharat / state

बाहुबली मुख्तार अंसारी के साले को गैंगेस्टर एक्ट में नहीं मिली राहत, याचिका खारिज

बाहुबली मुख्तार अंसारी के साले को गैंगेस्टर एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहत नहीं दी है. कोर्ट ने कहा कि कि मामले में अभी जांच चल रही है और जांच में कोर्ट कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी.

Bahubali Mukhtar Ansari
Bahubali Mukhtar Ansari
author img

By

Published : May 24, 2022, 10:53 AM IST

प्रयागराज: पूर्व मऊ विधायक और बाहुबली मुख्तार अंसारी के साले अनवर शहजाद को गैंगेस्टर एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे में राहत नहीं मिली है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका पर कहा कि मामले में अभी जांच चल रही है और जांच में कोर्ट कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी. यह आदेश जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने अनवर शहजाद की याचिका पर दिया है.

याचिका में अनवर शहजाद ने का कहना था कि वह निर्दोष है और उसे झूठा फंसाया गया है. क्योंकि, वह मुख्तार अंसारी का साला है. आरोप लगाया कि सरकार ने सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने और जीतने वाले प्रतिद्वंद्वी को परेशान करने की नीति शुरू की है.

बहस के दौरान सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि याची एक गैंग का सदस्य है. इसलिए गिरोह बंद एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर में कोई कमी नहीं पाई गई है.

खंडपीठ ने कहा कि न्यायालय आरोपों की विश्वसनीयता या वास्तविकता की जांच नहीं कर सकता है. लिहाजा, पुलिस द्वारा की जा रही जांच में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है. इतना कहने के बाद कोर्ट ने जांच में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

प्रयागराज: पूर्व मऊ विधायक और बाहुबली मुख्तार अंसारी के साले अनवर शहजाद को गैंगेस्टर एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे में राहत नहीं मिली है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका पर कहा कि मामले में अभी जांच चल रही है और जांच में कोर्ट कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी. यह आदेश जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने अनवर शहजाद की याचिका पर दिया है.

याचिका में अनवर शहजाद ने का कहना था कि वह निर्दोष है और उसे झूठा फंसाया गया है. क्योंकि, वह मुख्तार अंसारी का साला है. आरोप लगाया कि सरकार ने सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने और जीतने वाले प्रतिद्वंद्वी को परेशान करने की नीति शुरू की है.

बहस के दौरान सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि याची एक गैंग का सदस्य है. इसलिए गिरोह बंद एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर में कोई कमी नहीं पाई गई है.

खंडपीठ ने कहा कि न्यायालय आरोपों की विश्वसनीयता या वास्तविकता की जांच नहीं कर सकता है. लिहाजा, पुलिस द्वारा की जा रही जांच में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है. इतना कहने के बाद कोर्ट ने जांच में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.