प्रयागराज: बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन ने गुरुवार को बसपा का दामन थाम लिया है. इसके साथ ही उन्होंने मंच से एलान किया है कि किसी भी दलित पर जुल्म होने पर उसे इंसाफ दिलाने के लिए उनके पांचों बेटे लाठी लेकर पहुंच जाएंगे. मुसलमानों का भी नशा उतर चुका है और अब वो भी सपा को छोड़ने के लिए तैयार हैं. अतीक अहमद की पत्नी को बसपा जॉइन करवाने वाले पूर्व राज्यसभा सांसद कोऑर्डिनेटर घनश्याम चंद्र खरवार का दावा है कि अतीक के परिवार के सहारे वो मुस्लिम समाज को साध लेंगे और आने वाले दिनों बसपा भाजपा को सीधी टक्कर देगी, क्योंकि अब यूपी का मुस्लिम समाज बसपा के साथ जुड़ेगा.
शाइस्ता ने कहा बसपा के अनुशासन पर चलेंगे
बसपा की सदस्यता हासिल करने के बाद बाहुबली की पत्नी शाइस्ता ने मंच से भाषण देते हुए बसपा प्रमुख और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का आभार जताया. कहा कि अब वह अपने परिवार और समर्थकों के साथ बसपा के लिए काम करेंगी. मंडल में किसी भी दलित के ऊपर होने वाले अत्याचार के खिलाफ उनके पांचों बेटे लाठी लेकर लड़ाई लड़ेंगे. शाइस्ता परवीन ने कहा कि उनके पति निर्दलीय विधायक थे. बाद में सपा प्रमुख रहे. स्वर्गीय मुलायम सिंह के संपर्क में आए और शायद यही वजह थी कि वह कभी अनुशासन नहीं सीख पाए. लेकिन शाइस्ता ने दावा किया है कि वह अब बसपा जैसी अनुशासित पार्टी का हिस्सा है और अनुशासन में रहकर पार्टी के विकास के लिए काम करेंगी.
अतीक अहमद के जरिए मुसलमानों को साधने के प्रयास
गुजरात जेल में बंद बाहुबली पूर्व संसद अतीक अहमद की पत्नी ने मंच से मुसलमानों के शोषण का भी आरोप लगायाहै. इसके अलावा कहा कि अब मुसलमानों का भी नशा उतर चुका है. मुस्लिम समाज के पास भी कोई विकल्प नहीं बचा हुआ है. वह काफी समय से सपा को छोड़ने के लिए विकल्प तलाश रहे थे और अब शाइस्ता परवीन प्रदेश भर के मुसलमानों को बसपा के साथ जोड़ने और साधने के लिए काम करेंगी. शाइस्ता परवीन ने मंच से यह भी बताया कि इस समय वह और उनका परिवार बेहद गरीबी से जी रहे हैं. उनके 13 बैंक खाते इस समय सीज हो चुके हैं, जिस कारण उन्हें खाने पहनने के लिए भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आगे कहा कि अगर वह बहुजन समाज पार्टी से महापौर का चुनाव लड़ती है तो वह पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेंगी. उन्होंने मंच से ही अपील है कि अगर वह चुनाव लड़ती हैं तो उनके पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसे नहीं रहेंगे. इसलिए बसपा के नेता कार्यकर्ता और जिले की जनता उनकी तरफ से चुनाव लड़ेगी और उन्हें जिताने का काम करेगी.
गेस्ट हाउस कांड के बाद मायावती और अतीक के बीच खिंची थी तलवार
गेस्ट हाउस कांड के बाद यूपी की सियासत में आए सियासी भूचाल के बाद से मायावती और अतीक अहमद के बीच सियासी तलवार खिंच गयी थी. उस कांड के बाद से ही अतीक अहमद सपा प्रमुख रहे मुलायम सिंह यादव के करीबी बन गए थे. लेकिन प्रदेश में 2007 में बसपा की सरकार बनने के बाद अतीक अहमद के सांसद होने के बावजूद बुरे दिन शुरू हो गए थे. तत्कालीन बसपा सरकार में न सिर्फ अतीक अहमद पर तमाम केस दर्ज हुए थे. बल्कि उनके करीबियों की संपत्तियों पर भी बुलडोजर चलाया गया था. मायावती के शासन काल मे अतीक अहमद और उनके भाई पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ को लंबे समय तक फरारी भी काटनी पड़ी थी.
यह भी पढ़ें- भाजपा तलाशे दावेदार, एमएलसी चुनाव में टक्कर के लिए हेमराज सिंह गौर तैयार