प्रयागराजः ज्ञानवापी मंदिर परिसर में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को लेकर हाईकोर्ट द्वारा मांगी गई रिपोर्ट आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया नहीं दे पाया. अधिकारियों के इस ढुलमुल रवैए पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए फटकार लगाई है. मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र ने कहा कि इस अदालत ने 30 मार्च 2023 को शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को लेकर निदेशक अर्को लॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को रिपोर्ट दाखिल करने का अंतिम मौका दिया था. इसके बावजूद रिपोर्ट पेश नहीं की गई. निदेशक की यह अकर्मण्यता न्यायिक प्रक्रिया को बाधित करने वाली है. हाई कोर्ट द्वारा नवंबर 2022 में ही कार्बन डेटिंग के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई थी. इसके बावजूद आज तक रिपोर्ट नहीं दी जा सकी.
कोर्ट ने कहा कि एक उच्च अधिकारी जो पुरातत्व विभाग के महानिदेशक का पद संभाल रहा है, उसे इस मामले की गंभीरता को समझना चाहिए और अदालत के आदेश का सम्मान करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में और समय देने की आवश्यकता नहीं है, परंतु प्रकरण के महत्व को देखते हुए निदेशक को एक और अवसर दिया जाता है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले में जो पूरे देश में व्यापक रूप से चर्चित है यह अदालत किसी प्राधिकारी को अनावश्यक विलंब की अनुमति नहीं दे सकती है.
कोर्ट ने 17 अप्रैल को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. इसके बाद कोई किसी पक्ष को और समय नहीं दिया जाएगा. कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस दौरान सभी पक्ष कार इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए तैयार रहें, ताकि प्रकरण का शीघ्रता से निस्तारण किया जा सके. हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई कर रहे जिला अदालत वाराणसी को भी कहा है कि वह इस प्रकरण की अग्रिम तिथि 17 अप्रैल के बाद नियत करें.
उल्लेखनीय है कि लक्ष्मी देवी ने हाईकोर्ट में पुनरीक्षण अर्जी दाखिल कर जिला न्यायालय वाराणसी के आदेश को चुनौती दी है. जिसमें कार्बन डेटिंग कराने से इनकार किया गया है. हाईकोर्ट में पुरातत्व विभाग से इस बात की रिपोर्ट देने को कहा था कि क्या ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की आयु निर्धारण का कोई ऐसा तरीका हो सकता है, जिससे कि शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बिना उसकी आयु का निर्धारण किया जा सके.