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उप्र क्रिकेट एसोसिएशन और BCCI को नोटिस कोर्ट का नोटिस, भारत सरकार सहित सभी विपक्षियों से जवाब-तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 40 आजीवन सदस्य और अयोग्य लोगों की डायरेक्टर पद पर नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर यूपीसीए और बीसीसीआई को नोटिस जारी किया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jan 10, 2022, 10:45 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप्र क्रिकेट एसोसिएशन कानपुर नगर के मनमाने ढंग से 40 आजीवन सदस्य और अयोग्य लोगों की डायरेक्टर पद पर नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर यूपीसीए और बीसीसीआई को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने भारत सरकार सहित सभी विपक्षियों से दो हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 3 फरवरी को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति एम के गुप्ता तथा न्यायमूर्ति डॉ. वाई के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने एसोसिएशन के 7 सदस्यों मनोज कुमार पुंडीर और अन्य की याचिका पर दिया है.

याची का कहना है कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और लोढ़ा कमेटी की संस्तुतियों की अनदेखी की गई है. मनमाने ढंग से समानांतर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की टीम तैयार कर ली गई है. सभी के 9 साल पूरे हो चुके थे. पहले भी डायरेक्टर रह चुके लोगों को फिर से डायरेक्टर बना लिया गया है, जो कि डायरेक्टर बनने के योग्य ही नहीं है. गैर कानूनी तरीके से मनमानी करते हुए यूपीसीए का कामकाज देख रहे हैं. नियमानुसार बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का चयन नहीं किया जा रहा है. नियमों को ताक पर रखकर 40 आजीवन सदस्य भी बना लिए गए हैं.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप्र क्रिकेट एसोसिएशन कानपुर नगर के मनमाने ढंग से 40 आजीवन सदस्य और अयोग्य लोगों की डायरेक्टर पद पर नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर यूपीसीए और बीसीसीआई को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने भारत सरकार सहित सभी विपक्षियों से दो हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 3 फरवरी को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति एम के गुप्ता तथा न्यायमूर्ति डॉ. वाई के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने एसोसिएशन के 7 सदस्यों मनोज कुमार पुंडीर और अन्य की याचिका पर दिया है.

याची का कहना है कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और लोढ़ा कमेटी की संस्तुतियों की अनदेखी की गई है. मनमाने ढंग से समानांतर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की टीम तैयार कर ली गई है. सभी के 9 साल पूरे हो चुके थे. पहले भी डायरेक्टर रह चुके लोगों को फिर से डायरेक्टर बना लिया गया है, जो कि डायरेक्टर बनने के योग्य ही नहीं है. गैर कानूनी तरीके से मनमानी करते हुए यूपीसीए का कामकाज देख रहे हैं. नियमानुसार बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का चयन नहीं किया जा रहा है. नियमों को ताक पर रखकर 40 आजीवन सदस्य भी बना लिए गए हैं.

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