प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बदायूं की बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्या के चुनाव की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर जिला निर्वाचन अधिकारी से पत्रावली तलब की है. यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने सपा प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव और दिनेश कुमार की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मेन्द्र यादव के अधिवक्ता नरेन्द्र कुमार पाण्डेय द्वारा दाखिल गवाहों की सूची रिकॉर्ड के साथ पेश करने का आदेश दिया है. वहीं बीजेपी सांसद संघमित्रा की तरफ से अधिवक्ता उदय नंदन ने कहा कि वे बचाव में कोई गवाह पेश नहीं करना चाहते. दरअसल उक्त याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रत्याशी दिनेश कुमार का नामांकन गलत तरीके से निरस्त किया गया है. साथ ही कहा गया है कि यदि त्रुटि थी तो स्क्रूटनी के समय सुधारने का मौका देना चाहिए था.
इसके साथ ही याचिका में इस बात का जिक्र किया गया है कि कुल पड़े वोट से 8 हजार वोट अधिक गिना गया है, जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं है. साथ ही कहा गया है कि मौर्या ने अपने पति की स्थिति और संपत्ति का ब्योरा हलफनामे में नहीं दिया है. चुनाव नामांकन पत्र में पति के बजाय अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम लिखा है, जबकि अभी तक तलाक नहीं हुआ है. वहीं इस मामले की अगली याचिका की सुनवाई 4 नवम्बर को होनी है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलब की संघमित्रा मौर्या के चुनाव की पत्रावली - संघमित्रा मौर्या के चुनाव पत्रावली तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बदायूं सांसद संघमित्रा मौर्या के चुनाव की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर चुनाव की पत्रावली तलब की है. इस मामले में याचिका की अगली सुनवाई 4 नवम्बर को होगी.
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बदायूं की बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्या के चुनाव की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर जिला निर्वाचन अधिकारी से पत्रावली तलब की है. यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने सपा प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव और दिनेश कुमार की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मेन्द्र यादव के अधिवक्ता नरेन्द्र कुमार पाण्डेय द्वारा दाखिल गवाहों की सूची रिकॉर्ड के साथ पेश करने का आदेश दिया है. वहीं बीजेपी सांसद संघमित्रा की तरफ से अधिवक्ता उदय नंदन ने कहा कि वे बचाव में कोई गवाह पेश नहीं करना चाहते. दरअसल उक्त याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रत्याशी दिनेश कुमार का नामांकन गलत तरीके से निरस्त किया गया है. साथ ही कहा गया है कि यदि त्रुटि थी तो स्क्रूटनी के समय सुधारने का मौका देना चाहिए था.
इसके साथ ही याचिका में इस बात का जिक्र किया गया है कि कुल पड़े वोट से 8 हजार वोट अधिक गिना गया है, जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं है. साथ ही कहा गया है कि मौर्या ने अपने पति की स्थिति और संपत्ति का ब्योरा हलफनामे में नहीं दिया है. चुनाव नामांकन पत्र में पति के बजाय अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम लिखा है, जबकि अभी तक तलाक नहीं हुआ है. वहीं इस मामले की अगली याचिका की सुनवाई 4 नवम्बर को होनी है.