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69 हजार शिक्षक भर्ती मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैर विज्ञापित पदों की चयन प्रक्रिया रोकी

69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट ने गैर विज्ञापित 19 हजार पदों में आरक्षित वर्ग को 6800 सीटें दिए जाने पर रोक लगा दी है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : May 8, 2022, 1:32 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 सहायक शिक्षक भर्ती के गैर विज्ञापित 19 हजार पदों में आरक्षित वर्ग को 6800 सीटें देने के मामले में जारी चयन प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. कोर्ट के इस आदेश से सरकार को तगड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने कहा है कि 69 हजार पदों के अतिरिक्त किसी भी पद पर नियुक्ति न की जाए और गैर विज्ञापित रिक्तियों को किसी भी दशा में न भरा जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने आलोक सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षकारों को 18 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया है.

अभ्यर्थियों का कहना है कि इस भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत की जगह मात्र 3.80 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. एससी वर्ग को 21 प्रतिशत की जगह सिर्फ 16.2 प्रतिशत आरक्षण दिया गया, जो पूरी तरह गलत है. क्योंकि इस भर्ती प्रक्रिया में लगभग 19,000 सीटों पर आरक्षण घोटाला हुआ है जबकि सरकार ने 19,000 सीटों के सापेक्ष मात्र 6,800 सीटें ही दी हैं.

बिना विज्ञापन भर्ती नहीं कर सकती सरकार
कोर्ट ने कहा कि सरकार विज्ञापन जारी किए बगैर एक भी सीट पर भर्ती नहीं कर सकती. इस भर्ती का मूल विज्ञापन 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती का है.

लखनऊ बेंच ने भी लगाई थी रोक
इससे पूर्व लखनऊ खंडपीठ में न्यायमूर्ति राजन राय ने सरकार को इस भर्ती पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है. साथ ही अगले आदेश तक कोई भी भर्ती नहीं करने का निर्देश दिया है.

इसे भी पढे़ं- अग्निशमन अधिकारियों को प्रोन्नत वेतनमान देने पर फैसला लेने का आदेश

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 सहायक शिक्षक भर्ती के गैर विज्ञापित 19 हजार पदों में आरक्षित वर्ग को 6800 सीटें देने के मामले में जारी चयन प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. कोर्ट के इस आदेश से सरकार को तगड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने कहा है कि 69 हजार पदों के अतिरिक्त किसी भी पद पर नियुक्ति न की जाए और गैर विज्ञापित रिक्तियों को किसी भी दशा में न भरा जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने आलोक सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षकारों को 18 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया है.

अभ्यर्थियों का कहना है कि इस भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत की जगह मात्र 3.80 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. एससी वर्ग को 21 प्रतिशत की जगह सिर्फ 16.2 प्रतिशत आरक्षण दिया गया, जो पूरी तरह गलत है. क्योंकि इस भर्ती प्रक्रिया में लगभग 19,000 सीटों पर आरक्षण घोटाला हुआ है जबकि सरकार ने 19,000 सीटों के सापेक्ष मात्र 6,800 सीटें ही दी हैं.

बिना विज्ञापन भर्ती नहीं कर सकती सरकार
कोर्ट ने कहा कि सरकार विज्ञापन जारी किए बगैर एक भी सीट पर भर्ती नहीं कर सकती. इस भर्ती का मूल विज्ञापन 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती का है.

लखनऊ बेंच ने भी लगाई थी रोक
इससे पूर्व लखनऊ खंडपीठ में न्यायमूर्ति राजन राय ने सरकार को इस भर्ती पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है. साथ ही अगले आदेश तक कोई भी भर्ती नहीं करने का निर्देश दिया है.

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