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बांके बिहारी मंदिर में दर्शन का समय बढ़ाने के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में दर्शन का समय बढ़ाने के आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही मंदिर कॉरिडोर की योजना की समीक्षा के लिए कमेटी गठित कर दी है.

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बांके बिहारी मंदिर
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Published : Nov 28, 2022, 10:28 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर (Banke Bihari Temple in Vrindavan) में दर्शन का समय बढ़ाने के सिविल जज के आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने मंदिर के चारों तरफ प्रस्तावित कॉरिडोर की योजना की समीक्षा के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की एक सदस्य कमेटी बना दी है. कमेटी को प्रदेश सरकार द्वारा तैयार योजना की स्थलीय समीक्षा करके अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा है. बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी के बाद हुई भगदड़ में 2 लोगों की मौत की घटना को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की पीठ ने यह आदेश दिया.

इससे पूर्व हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने की योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा था. इसके जवाब में प्रदेश सरकार ने बताया कि उनके पास मंदिर के चारों और कॉरिडोर बनाने की योजना है. दूसरी ओर मंदिर के सेवायतों की ओर से और स्वयं भगवान बांके बिहारी विराजमान की ओर से हाईकोर्ट में पक्षकार बनाए जाने की अर्जी दाखिल देते हुए कहा कि उनको सुने बिना कोई भी योजना अमल में नहीं लाई जानी चाहिए. क्योंकि मंदिर प्राइवेट प्रॉपर्टी है और इसमें सरकारी अधिकारी हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रहे हैं.

सुनवाई के दौरान सेवायतों की ओर से अधिवक्ता संजय गोस्वामी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया है कि वह मंदिर के धार्मिक कार्यों और उससे होने वाली आमदनी के मामले में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेंगे. डीएम ने सिविल जज के यहां प्रार्थना पत्र देकर सिविल कोर्ट में लंबित मामले के निस्तारण के लिए अनुरोध किया। जिस पर जिला जज ने एक बैठक करने के बाद सिविल जज को इस मामले में आदेश पारित करने के लिए कहा. सिविल जज ने मंदिर में दर्शन का समय बढ़ाने का आदेश पारित कर दिया, जो कि अनुचित है. क्योंकि मामला अभी हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन है. अधिवक्ता का कहना था कि जिला प्रशासन को जिला जज को ऐसा पत्र नहीं भेजना चाहिए. ऐसा करना न्यायालय की अवमानना होगी. इस पर कोर्ट ने सिविल जज के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उन्होंने दर्शन का समय बढ़ाया था.

इसके साथ ही कोर्ट ने हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज न्यायमूर्ति सुधीर नारायण अग्रवाल की एक सदस्यीय कमेटी गठित करते हुए जिला प्रशासन द्वारा प्रस्तावित कॉरिडोर योजना की मौके पर जाकर के समीक्षा कर अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. जिला प्रशासन से कहा है कि वह अपनी योजना के प्रति न्यायमूर्ति सुधीर नारायण अग्रवाल को सौंप दें ताकि वह उसकी समीक्षा कर अपनी रिपोर्ट दे सके. अगली सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तिथि नियत की है.

इसे भी पढ़ें-बांके बिहारी मंदिर में दर्शन समय-सीमा अवधि बढ़ी, जानिए टाइम शेड्यूल

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर (Banke Bihari Temple in Vrindavan) में दर्शन का समय बढ़ाने के सिविल जज के आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने मंदिर के चारों तरफ प्रस्तावित कॉरिडोर की योजना की समीक्षा के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की एक सदस्य कमेटी बना दी है. कमेटी को प्रदेश सरकार द्वारा तैयार योजना की स्थलीय समीक्षा करके अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा है. बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी के बाद हुई भगदड़ में 2 लोगों की मौत की घटना को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की पीठ ने यह आदेश दिया.

इससे पूर्व हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने की योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा था. इसके जवाब में प्रदेश सरकार ने बताया कि उनके पास मंदिर के चारों और कॉरिडोर बनाने की योजना है. दूसरी ओर मंदिर के सेवायतों की ओर से और स्वयं भगवान बांके बिहारी विराजमान की ओर से हाईकोर्ट में पक्षकार बनाए जाने की अर्जी दाखिल देते हुए कहा कि उनको सुने बिना कोई भी योजना अमल में नहीं लाई जानी चाहिए. क्योंकि मंदिर प्राइवेट प्रॉपर्टी है और इसमें सरकारी अधिकारी हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रहे हैं.

सुनवाई के दौरान सेवायतों की ओर से अधिवक्ता संजय गोस्वामी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया है कि वह मंदिर के धार्मिक कार्यों और उससे होने वाली आमदनी के मामले में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेंगे. डीएम ने सिविल जज के यहां प्रार्थना पत्र देकर सिविल कोर्ट में लंबित मामले के निस्तारण के लिए अनुरोध किया। जिस पर जिला जज ने एक बैठक करने के बाद सिविल जज को इस मामले में आदेश पारित करने के लिए कहा. सिविल जज ने मंदिर में दर्शन का समय बढ़ाने का आदेश पारित कर दिया, जो कि अनुचित है. क्योंकि मामला अभी हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन है. अधिवक्ता का कहना था कि जिला प्रशासन को जिला जज को ऐसा पत्र नहीं भेजना चाहिए. ऐसा करना न्यायालय की अवमानना होगी. इस पर कोर्ट ने सिविल जज के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उन्होंने दर्शन का समय बढ़ाया था.

इसके साथ ही कोर्ट ने हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज न्यायमूर्ति सुधीर नारायण अग्रवाल की एक सदस्यीय कमेटी गठित करते हुए जिला प्रशासन द्वारा प्रस्तावित कॉरिडोर योजना की मौके पर जाकर के समीक्षा कर अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. जिला प्रशासन से कहा है कि वह अपनी योजना के प्रति न्यायमूर्ति सुधीर नारायण अग्रवाल को सौंप दें ताकि वह उसकी समीक्षा कर अपनी रिपोर्ट दे सके. अगली सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तिथि नियत की है.

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